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बुधवार, 16 जनवरी 2013

चित्र पर कविता:एल. के .'अहलुवालिया 'आतिश'

चित्र पर कविता:





 
 
* एल. के .'अहलुवालिया 'आतिश'

 'अक्से -फ़िरदौस ...'
 
 
है बेबसी ये फ़क़त, दिल का मुद्द''आ तो नहीं ...
तेरी  निगाहे - बे'नियाज़,  'अलविदा'  तो  नही ।    (अलमस्त, care-free)
 
जुदा तो जब हों, कोई फासले  दिलों में  करे ...
नज़र से दूर, मगर दिल से तू जुदा तो नही ।
 
मैं  तो  अपने  नसीबे -  सर्द  पे  शर्मिंदा  हूँ ...
तू कहीं वक्ते- रुखसती में ग़मज़दा तो नही ।    (बिछड़ने का समय)
 
ब- लफ्ज़े- नाख़ुदा, साहिल  मिले  सफीने को ...  (नाविक के कथनानुसार)
लबे - दोज़ख,  ये  लरज़ती  हुई  सदा  तो नही ।
 
दो क़दम पर तेरा रुकना, औ' पलटना 'आतिश' ...
अक्से- फ़िरदौसे- हक़ीक़ी,  तेरी  अदा  तो  नहीं  ।   (असल-स्वर्ग की सी तेरी परछाईं)  (यहाँ 'तेरी' शब्द दोनों ओर जुड़ता है)
 
Lalit Walia <lkahluwalia@yahoo.com>
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