चित्र पर कविता:
* एल. के .'अहलुवालिया 'आतिश'
'अक्से -फ़िरदौस ...'
'अक्से -फ़िरदौस ...'
है बेबसी ये फ़क़त, दिल का मुद्द''आ तो नहीं ...
तेरी निगाहे - बे'नियाज़, 'अलविदा' तो नही । (अलमस्त, care-free)
जुदा तो जब हों, कोई फासले दिलों में करे ...
नज़र से दूर, मगर दिल से तू जुदा तो नही ।
मैं तो अपने नसीबे - सर्द पे शर्मिंदा हूँ ...
तू कहीं वक्ते- रुखसती में ग़मज़दा तो नही । (बिछड़ने का समय)
ब- लफ्ज़े- नाख़ुदा, साहिल मिले सफीने को ... (नाविक के कथनानुसार)
लबे - दोज़ख, ये लरज़ती हुई सदा तो नही ।
दो क़दम पर तेरा रुकना, औ' पलटना 'आतिश' ...
अक्से- फ़िरदौसे- हक़ीक़ी, तेरी अदा तो नहीं । (असल-स्वर्ग की सी तेरी परछाईं) (यहाँ 'तेरी' शब्द दोनों ओर जुड़ता है)
Lalit Walia <lkahluwalia@yahoo.com>
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