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शनिवार, 26 अगस्त 2017

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पौधारोपण अभियान : सच्चा समर्पण  
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह-प्रवेश त्यौहार।। सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार ।।
*
जबलपुर, २६ अगस्त २०१७। म. पर. शासन द्वारा एक करोड़ पौधे रोपने और संवर्धन की कोइ व्यवस्था न होने के कारण असमय काल-कवलित होने के पाखंड के सर्वथा विपरीत समर्पण और अभियान जैसी स्वैच्छिक संस्थाएँ गत ३ वर्षों से प्रति वर्ष किसी सुरक्षित परिसर में अपने सीमित संसाधनों से सीमित संख्या में पौधे लगाकर, उनकी सिंचाई और सुरक्षा की व्यवस्था करती आई हैं। इस वर्ष कैंटूनमेंट बोर्ड खालसा कन्या उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला, सदर बाज़ार, जबलपुर के प्रांगण में प्रात: ११ बजे से पौधारोपण महोत्सव है। समर्पण संस्था के अध्यक्ष निर्मल अग्रवाल इस अनुष्ठान के प्रति प्राण प्रण से समर्पित हैं। 

'स्वच्छ पर्यावरण और हमारा दायित्व' विषय पर  शालेय विद्यार्थियों हेतु आयोजित व्याख्यान, निबन्ध तथा चित्रकला प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया जा रहा है। इस अवसर पर आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' द्वारा प्रस्तुत काव्य रचना - 
सत्य ईश है, शीश ईश के सम्मुख नत करना है। 
मानवता के लिए समर्पण, कर मराल बनना है।।
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गुरु तो गुरु हैं, बहती निर्मल नेह-नर्मदा धारा। 
चौकस रहकर करें साधना, शांति-पंथ चलना है।।
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पाता है जस वीर तभी जब संत सुशील रहा हो। 
पारस सैम लोहे को कंचन कर कुछ नाम गहा हो।।
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करे वंदना जग दिनेश की, परमजीत तम हरता। 
राधा ने आराधा  हरि को, जो गोवर्धन धरता।।
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गो-वर्धन हित वन, तरुवर हों, सरवर पंछी कलरव। 
पौध लगाये, वृक्ष बनाये, नित नव पीढ़ी संभव।।
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राज दिलों पर करने जब राजेन्द्र स्वच्छता वरता। 
चंद्र कांत उतरे धरती पर, रूप राह नव गढ़ता।।
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वाणी वीणा-स्वर बनकर जब करे अर्चना मनहर। 
मन-मंदिर को रश्मि विनीता, करे प्रकाशित सस्वर।।
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तुल सी गयी आस्था-निष्ठा, डिग यदि गया मनोबल। 
तुलसी-चौरा दीप बाल कर जोड़ मना शुभ हर पल।।
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चंचल-चपल चेतना जब बन सलिल-धार बहती है। 
तब नरेश दीक्षित गौतम हो संजीवनी तहती है।।
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'बुके नहीं बुक' की संस्कृति गढ़ वाल बनायें दृढ़ हम। 
पुस्तक के प्रति नया चाव ला, मूल्य रचें नव उत्तम।।
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संजय सैम सच देख बता, हम दुनिया नयी बनायें। 
इतना सुख हो, प्रभु भारत में, रहने फिर-फिर आयें।।
***
।। हिंदी भाषा बोलिए, उर्दू मोयन डाल।। सलिल संस्कृत सां दे पूड़ी बने कमाल।।
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'स्वच्छ पर्यावरण हेतु भावी पीढ़ी का योगदान' विषयक परिचर्चा में सर्व श्री / श्रीमती एन. के. चौकसे जिला शिक्षा अधिकारी, डॉ. गार्गीशरण मिश्र 'मराल' शिक्षाविद, एस. एन. रूपराह, सचिव सिक्ख एजुकेशन सोसायटी, राजेन्द्र चंद्रकांत राय पर्यावरणविद, कंचनलता जैन पूर्व सहायक संचालक शिक्षा तथा वृक्षमित्र आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' प्रख्यात साहित्यकार नई पीढ़ी को संबोधित कर पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छता हेतु प्रेरित करेंगे। स्वागताध्यक्ष परमजीत कौर प्राचार्य कैंटूनमेंट बोर्ड खालसा कन्या उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला, सदर बाज़ार, जबलपुर, साधना शुक्ला, रश्मि मिश्रा, व्ही. के पाण्डे, डॉ. के. एन. तिवारी, सरदार सरबजीत सिंह, जे. पी. जैन, प्रो. आर. एन. श्रीवास्तव, डॉ. द्रौपदी राधा अग्रवाल, वीणा वाजपेयी, कंचन होरा, तुलसीराम तिवारी, वंदना श्रीवास्तव, अर्चना त्रिवेदी, बबीता रवीन्द्र गुप्ता, इंजी. सुनील चावला, एम. नाज्वाले, नीना खेत्रपाल, मालती श्रीवास्तव, आर. के. शर्मा, विनीता राय, एल.एल. साहू, संजय सूबेदार, अवधेश गौतम, सुशील दुबे, आर. के. गढ़वाल आदि की भूमिका सराहनीय है। 
*** 


सोमवार, 1 सितंबर 2014

nvgeet: chah kiski sanjiv

नवगीत:
चाह किसकी.... 
संजीव
*
चाह किसकी है
कि वह निर्वंश हो?....
*
ईश्वर अवतार लेता
क्रम न होता भंग
त्यगियों में मोह बसता
देख दुनिया दंग
संग-संगति हेतु करते
जानवर बन जंग
पंथ-भाषा कोई भी हो
एक ही है ढंग
चाहता कण-कण
कि बाकी अंश हो....
*
अंकुरित पल्लवित पुष्पित
फलित बीजित झाड़ हो
हरितिमा बिन सृष्टि सारी
खुद-ब-खुद निष्प्राण हो  
जानता नर काटता क्यों?
जाग-रोपे पौध अब
रह सके सानंद प्रकृति
हो ख़ुशी की सौध अब
पौध रोपें, वृक्ष होकर
'सलिल' कुल अवतंश हो....


मंगलवार, 6 सितंबर 2011

दोहे पर्यावरण के: भारत की जय बोल --- संजीव 'सलिल'

दोहे पर्यावरण के :                                                               
भारत की जय बोल
-- संजीव 'सलिल'
*
वृक्ष देव देते सदा, प्राणवायु अनमोल.
पौधारोपण कीजिए, भारत की जय बोल..
*
पौधारोपण से मिले, पुत्र-यज्ञ का पुण्य.
पेड़ काटने से अधिक, पाप नहीं है अन्य..
*
माँ धरती के लिये हैं, पत्ते वस्त्र समान.
आभूषण फल-फूल हैं, सर पर छत्र वितान..
*
तरु-हत्या दुष्कर्म है, रह नर इससे दूर.
पौधारोपण कर मिले, तुझे पुण्य भरपूर..
*
पेड़ कटे, वर्षा घटे, जल का रहे अभाव.
पशु-पक्षी हों नष्ट तो, धरती तप्त अलाव..
*
जीवनदाता जल सदा, उपजाता है पौध.
कलकल कलरव से लगे, सारी दुनिया सौध..
*
पौधे बढ़कर पेड़ हों, मिलें फूल,फल, नीड़.
फुदक-फुदक शुक-सारिका, नाचें देखें भीड़..
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पेड़ों पर झूले लगें, नभ छू लो तुम झूल.
बसें देवता-देवियाँ. काटो मत तुम भूल..
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पीपल में हरि, नीम में, माता करें निवास.
शिव बसते हैं बेल में, पूजो रख विश्वास..
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दुर्गा को जासौन प्रिय, हरि को हरसिंगार.
गणपति चाहें दूब को, करी सबसे प्यार..
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शारद-लक्ष्मी कमल पर, 'सलिल' रहें आसीन.
पाट रहा तालाब नर, तभी हो रहा दीन..
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Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com