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बुधवार, 31 जुलाई 2019

मिथकों में केलि-प्रसंग, काम

मिथकों में केलि-प्रसंग
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'विश्वैक नीड़ं' और 'वसुधैव कुटुम्बकं' का सत्य मिथकों से भी प्रमाणित होता है। सृष्टि की रचना महतविस्फोट जनित ध्वनि-तरंगों के आकर्षण-अपकर्षण, टकराव-बिखराव, कण के जन्म और कण द्वारा भार ग्रहण करने से होना धर्म, दर्शन और अध्यात्म सभी को मान्य है। चित्र 'गुप्त' से 'प्रगट' हुआ, निराकार से साकार जन्मा। निहारिका, आकाश गंगा, सौरमंडल और पृथ्वी के अस्तित्व में आने पर पञ्च तत्वों नेअपनी भूमिका निभाते हुए जीव को विकसित किया। तदनन्तर जलचर (मत्स्यावतार), जल-थलचर (कच्छपावतार), थल-जलचर (वाराहावतार), थलचर या अर्धपशु (नृसिंहावतार), अर्ध मानव (वामनावतार), हिंस्र मानव (परशुरामावतार), कृषि मानव (शिव व रामावतार), पशु पालक मानव (कृष्ण), बुद्धिप्रधान मानव (बुद्धावतार) का आविर्भाव हुआ। इस क्रम में मिथकों ने महती भूमिका निभाई है। डायनासौर, मैमथ, हिम युग, जल प्लावन, कल्प-कल्प में देवासुर संग्राम के माध्यम से  निर्माण से विनाश और विनाश से निर्माण का दुहराव हर भूभाग में हुआ है। वर्तमान कल्प में लगभग ७ करोड़ वर्ष पूर्व हुए ज्वालामुखियों के ठन्डे होने पर गोंडवाना शिलाओं और नर्मदा नदी आदि का जन्म हुआ।लगभग १२ लाख वर्ष पूर्व भारतीय भूखंड और चीनी भूखंड के टकराव के फलस्वरूप शिशु पर्वत हिमालय और १० लाख वर्ष पूर्व टेथीज महासागर के भरने से गंगा का जन्म हुआ। यही एकाल खंड राम का है जिसमें जंबूद्वीप के साथ थाईलैंड मलेशिया आदि जुड़े थे इसलिए राम कथा का विस्तार वहां तक हुआ। कृष्ण के काल तक वे आर्यावर्त से अलग हो चुके थे इसलिए कृष्ण कथा भारत तक ही सीमित रह गयी। रामकथा में वानरराज बाली अनुज सुग्रीव की पत्नी रुक्मा से बलात संबंध बनाता है। बाली वध के पश्चात्  सुग्रीव बाली पत्नी तारा तथा  रुक्मा दोनों को पत्नी बना लेता है तथापि तारा को पंचकन्याओं में रखा गया। 

वर्तमान मानव सभ्यता के आदि मानव ने १० लाख वर्षों में बबून, गिबन, ओरांगउटान, गोरिल्ला, चिम्पांजी, होमोइरेक्टस, होमोसेपियंस से उन्नत होते हुए लगभग ३५ हजार वर्ष पूर्व शैलचित्र बनाये, फिर उच्चार सीखकर, वाक्, भाषा और कहने-सुनने का काल, कथाओं, वार्ताओं, चर्चाओं विमर्श तक आ पहुँचा। इस प्रक्रिया में मिथक मानव जीवन के हर अचार-विचार के साथी बने रहे। सत-चित-आनंद, सत-शिव-सुंदर अथवा सत-रज-तम अर्थ धर्म, दर्शन, नीति आदि का विकास इन्हीं मिथकों से हुआ। मानव केलि का मूल इन्हीं मिथकों में है। ब्रम्ह-ब्रम्हांड, आकाश-पृथ्वी-पटल, सूर्य-उषा, चंद्र-ज्योत्सना, गिरि-सलिला-सागर, सावन-बसंत-फागुन, मेघ-दामिनी-वर्षा आदि प्रकृति की केलि कीड़ा के संवाहक बनाकर सुख-दुःख देते रहे हैं। दश-दशावतार-दशरथ-दशानन, वसु-वसुदेव-वासुकि, नू-नट-नटवर-नटराज, दिति-दैत्य,अदिति-आदित्य, सुर-असुर, पञ्च-पञ्चक-पाञ्चाल-पाण्डव, शिव-शिवा, शंभु-शांभवी, शुंभ-निशुंभ, देह दुर्ग-दुर्गा-दुर्गतिनाशिनी, विषाणु-विष्णु-लक्ष्मी, जियस-एफ्रोडाइट, इंटी-वीराकोचा, आइसिस-हाथोर, सिंह-व्याघ्र-गज-ऋक्ष-विडाल-श्वान, वंशलोचन-शिलाजीत, इंद्र-कार्तिकेय, ईश्तर-अमातेरासु,  गरुण, मगर, शेष, कच्छप, वानर, किन्नर, गंधर्व आदि मिथक प्रणय देवी वीनस और एफ्रोडाइट आदि बल-रूप-कला-सौंदर्य-काम-भोग आदि  मिथक-मुक्ताओं की माला ही मानव सभ्यता है। धर्म, कर्तव्य, कर्म, कर्म काण्ड, पाठ, जप, लीला आदि में काम की उपस्थिति सर्वत्र है। दक्षिण भारत की द्रविड़ कथाओं में शिव-काली के मध्य श्रेष्ठता का निर्णय नृत्य कला प्रदर्शन से होता है। शिव एक पैर ऊपर उठाकर जिस नृत्य मुद्रा को साधकर जयी होते हैं, साध्य होते हुए भी गुप्तांग दिखने की आशंका से काली उसे नहीं साधतीं। लिंगायत प्रकारी की समुद्र कथा के अनुसार शिव के विषपान करने पर प्रश्न होते ही मनसा देवी द्वारा विष हरण का दृष्टांत उपस्थित कर दिया गया। शिव विषपायी के साथ मृत्युंजय भी हो गए। राम की पीक को भूल से कुछ दसियों ने पी लिया और अगस्त्य मुनि के आश्रम में ऋषि के सौंदर्य पर मोहित होकर स्त्री रूप में रमन के एकाम्ना करने लगे तो उन्हें अगले जन्म में गोपी के रूप में जन्म लेकर कृष्ण के साथ रमण का दृष्टांत सामने आ गया। असुर राज जालंधर से देवताओं की रक्षा के लिए विष्णु ने छल से उसकी पत्नी वृन्दा का सतीत्व भंग किया। अमृत मंथन के समय मोहिनी रूप धारण कर असुरों को अमृत से वंचित रखा। पवन पुत्र हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज के जन्म की कथाएं विविध योनियों में काम संबंध का प्रतिफल है। भीम-हिडिम्बा का विवाह भी इसे तरह का है। 

काम-केलि (जियस) की जातक कथाएँ

भारत में बौद्ध और जैन धर्मों में बुद्ध और महावीर  की जातक कथाएँ हैं जिनमें वे विविध योनियों में जन्म लेकर धर्म-ज्ञान देते हैं। 

भारत में काम क्रीड़ा के संदर्भ में सुरों और असुरों के आचरण में विशेष अंतर नहीं है। ब्रह्मा-सरस्वती, इंद्र-अहल्या, विष्णु-वृंदा, कारण और पांडवों का जन्म, द्रौपदी के पंच पति आदि काम शुचिता पर प्रश्न चिन्ह उपस्थित करते हैं। भोले शिव को भस्मासुर से बचने के लिए विष्णु मोहिनी रूप धारण कर उसका अंत करते हैं। 

ग्रीस में जियस भी विविध योनियों में जन्म लेकर केलि क्रीड़ा करता है। भारतीय मिथकों में काम संतुष्टि हेतु निकट संबंधों को ताक पर रखे जाने के भी असंख्य उदाहरण हैं। यांग-यिंग, पान-गुट, गेब-नुट, रांगी-पापा, अम्मा-डोगोन, देवराज इंद्र, ग्रीक देवराज जियस आदि ने केलि संबंधों में सामाजिक मर्यादा को आड़े नहीं आने दिया।

जियस ने बुद्धि की टाइटनी मेटिस से प्रणय किया। यह भय होने पर कि पुत्र उसे अपदस्थ कर देगा उसने गर्भवती मेटीस को निगल लिया। जिस ट्रॉय राजकुमार गेनीमेड पर आसक्त हो बाज बनकर उसे ओलम्पियस पर्वत पर ले गया। 

सौंदर्य और प्रेम की देवी एफ्रोडाइट के कई देवों और मानवों से संबंध और संतानें वर्णित हैं। वह जियस की पत्नी हेरा को हराकर केलि क्रीड़ा में दक्षता से जियस को वश में कर सकी।  केलि क्रीड़ा में निपुण सखियों चेरीटेस व होराई के सहायता से वह जिसे चाहती जीत लेती। लुहार पति हेफेस्टस के साथ वह जेठ और देवर से भी काम सुख पाती रही। वह युद्ध देवता ऐरेस, उन्माद के देवता डोयानिसिस तथा सौभाग्य के देवता हर्मीस वाक् की पर्यंक शायनी  भी रही। एफ्रोडाइट को ऐरेस से कामदेव ऐरॉस, हर्मीस से उभयलिंगी हर्माफ्रोडायटस, डायोनोसिस से उत्थित लिंगधारी प्रियापस एवं  ऐंचिसेक्स से ऐनियास  पुत्र हुए। वह निर्द्वन्द प्रेम और रति में निमग्न रहती थी। असीरिया सम्राट सिन्यारस की अप्रतिम सुंदर पुत्री स्याइर्ना से ईर्ष्या वश उसने सिन्यारस की कामवासना को इतना उत्तेजित किया कि उसने पुत्री को ही गर्भवती कर दिया तथा निंदा भय से हत्या करना तय किया।  एफ्रोडाइट ने स्याइर्ना को बचाकर उसके पुत्र एडोनिस को पालने हेतु पाताल साम्राज्ञी पर्सिफ़ोन को दे दिया। एडोनिस के युवा होने पर दोनों ने उससे यौन संबंध बनाये। एडोनिस-एफ्रोडाइट की ३ संतानें हुईं। जियस ने हंस बनकर सुंदरी देवी लीडा को हंसिनी बनाकर पंखों से कटी से जहां प्रदेश को कसकर कामबंध बनाकर संभोग किया। इससे उत्पन्न २ अण्डों से २ मानवों हेलन और क्लाइटैमनेस्ट्रो तथा २ जुड़वाँ देव पुत्रों क्रेस्टर व पोलेक्स का जन्म हुआ। जियस ने सांड बनकर डिओ से संभोग किया। प्रचंड कामावेग से डिओ अति शक्तिशाली हो गयी और इजिप्ट में जाकर देवी हो गयी। जियस ने नारी कोरी से सर्प बनकर संभोग किया। उसने श्वेत वृषभ बनकर यूरोपा का अपहरण कर उसे पेट पर आरूढ़ करा पुरुषायित बंध बनाया और स्वर्ण फुहार का वर्षण करते हुए संभोग किया।  मिनोस की रानी पेसीफे ने कामोन्मत्त होकर साँड़ के साथ सम्भोग किया और मिनोटोरों को (अर्ध वृषभ-अर्ध मानव) जन्म दिया। मदिरा तथा उन्माद देवता डायोनिसस से सेंटारा (अर्ध अश्व-अर्ध मानव) अस्तित्व में आये।

हवाई द्वीप समूह, न्यूजीलैंड व आस्ट्रलिया का धूर्त नायक माउई ने दैत्य ईल-ते-तूना को विशाल लिंग से मारकर उसकी स्वेच्छाचारिणी पत्नी को पाया। उसने पाताल की देवी हाइने के शरीर में प्रवेश कर लिया, देवी जाग गयी और उसे मार डाला।

केलि गौड़, प्रीत प्रमुख

मिथकों में अमान्य केलि संबंध ही नहीं हैं। वृद्ध स्यावन ऋषि की अतिसुन्दरी पत्नी सुकन्या ने अश्विनीकुमारों का प्रणय प्रस्ताव ठुकरा दिया। अश्विनों ने ऋषि को युवा कर, तीनों में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया। सुकन्या ने ऋषि को ही चुना। ग्रीक ओड़िसिस की पत्नी पेनीलोप को श्वसुर ने विवाह हेतु विवश किया। पेनलोप ने पाजामा पूरा बुन लेने पर विवाह का वायदा किया।  वह हर दिन बुनती और रात को उधेड़ देती। उसने पति के आने तक पाजामा पूरा नहीं होने दिया।

उमा ने अपने रूप पर मुग्ध मधु-कैटभ का वध किया। दुर्गा द्वारा शिव का वरण करने पर शिव वध हेतु तत्पर पूर्व शिवभक्त शुंभ-निशुम्भ के साथ प्रणय-अभिनय कर उनका वध किया। सीता ने राक्षसराज द्वारा हरण किये जाने के बाद भी राम को छोड़कर उसका वरन स्वीकार नहीं किया। राम ने रावण वध कर सीता को पाया किन्तु लोकापवाद के कारण गर्भवती सीता का त्याग कर दिया। सीता ने राम पुत्र लव-कुश को जन्म देकर उनका पालन किया। राम सीता की स्वर्ण प्रतिमा को वाम रखकर यज्ञादि करते रहे। पवित्रता का प्रमाण माँगे जाने पर सीता पृथ्वी में समा गईं। यम-यमी भाई -बहिन थे। यमी द्वारा केलि संबंध का आग्रह करने पर भी यम ने स्वीकार नहीं किया।

केलि-दर्शन दंडनीय

मिथकों में ऐसे भी प्रसंग हैं जब दो केलिरत प्रेमियों की कामक्रीडा देखने या उसमें विघ्न उपस्थित करने पर दंड दिया गया। किसी समय देव गण बिना पूर्व सूचना के शिव के समीप उपस्थित हो गए। तब निर्वासना पार्वती लजाकर शिव से लिपट गईं। शिव ने देवताओं को शाप दिया कि को इलावर्त पर्वत पर आएगा स्त्री रूप में परिवर्तित हो जायेगा। सुद्यम्न वहां पहुंचे तो स्त्री हो गए, चंद्र पुत्र बुध से मिलन और पुत्र पुरुरवा का जन्म हुआ। दमयंती पर मोहासक्त नारद भी स्त्री हो गए और विवाह कर कन्याओं को जन्म दिया।

कन्या पूजनीय

भारत में नौ दुर्गा महापर्व पर कन्या पूजन प्रचलित है। विद्या, धन तथा धन की त्रिदेवियाँ सर्वमान्य हैं।

ग्रीस की क्वाँरी देवी आर्तेमिस योनि शुचिता की पर्याय है। किशोरियों तथा शिकारियों की आराध्या आर्तेमिस कठोर दण्ड देती है। आर्केडिया में चाँदनी रात में नृत्य महोत्सव में आराधिकाएँ 'आर्कतोई' (कुमारियाँ) लिंगाकृत पोषक पहन कर नृत्य करतीं थीं, नर बलि होती थी। किसी समय आर्तेमिस स्नान कर रही थी। एक्टाओन छल कर मृग रूप धारण कर उसके निर्वासन रूप का रस पान करने लगा। एक्टाओन के जंगली कुत्तों ने उसके चिथड़े कर दिए। ज्ञान की देवी एथेना ने योनि शुचिता के लिए सुहाग सेज से हेफाइस्टस को धक्के मार कर नीचे गिरा दिया। उसका वीर्य भूमि पर गिरा जिससे एरिकथॉनियस नामक सर्प-शिशु जन्मा जिसने बढ़ होने पर एक बार एथेना को स्नान करते हुए निर्वसना देख लिया, उसे अंधत्व की सजा दी गयी। 

 लिंग-योनि पूजन / अर्धनारीश्वर और उभय लिंगी 

भारत और विदेशों में भी लिंग और योनि पूजक संप्रदाय हुए हैं। शिव पुराण के अनुसार ब्रह्मा तथा विष्णु में श्रेष्ठता का विवाद होने पर पटल से आकाश तक विराट लिंग प्रगट हुआ। ब्रम्हा हंस बनकर उसकी ऊँचाई तथा विष्णु वाराह बनकर उसकी गहराई नहीं नाप सके। दोनों ने प्राथना की तो उस लिंग के पार्श्व में योनि का उद्भव हुआ और शिव प्रगट हुए। इसीलिए शिव अर्धनारीश्वर कहलाए। मोहनजोदारो का पशुपति उत्थित लिंगी है। स्केंडिनेविया के फ्रे-फ्रेया तंत्र मार्ग में, इजिप्ट में  बबून, ग्रीस में प्रियपास आदि उत्थित (विशाल) लिंगी हैं। डायोनीसस, डिमीटर, ओसाईरस, जापान के शिंटो मत, भारत में चर्वाक-वाम मार्गियों आदि में शिश्न पूजन प्रचलित था। लिंगायत शिव भक्त गले में शिवलिंग धारण करते हैं। 
ग्रीक एफ्रोडाइट तथा हरमीज का पुत्र उभयलिंगी हर्माफ्रोडाइटिस, १५ वर्ष की उम्र में माता एफ्रोडाइट के साथ एशिया माइनर आया जहाँ जलपरी सलमाकिस उस पर मुग्ध हो गयी। ठुकराए जाने पर उसने स्नान करते हर्माफ्रोडाइटिस को आलिंगन में जकड लिया और उसे में समा गयी। फलत: हर्माफ्रोडाइटिस बारी-बारी से स्त्रैण युवक और पौरुषेय युवती होता था। 

नायक-नायिका भेद
कालांतर में इन मिथकों का स्थान चक्रों, आसनों, शक्ति आदि ने लिया। सर्प, वृषभ और अश्व ही नहीं तोता-मैना आदि भी काम संदर्भों में प्रयुक्त हुए। भरत ने नायक के चार भेद किए हैं : धीरललित, धीरप्रशान्त, धीरोदात्त, धीरोद्धत। "अग्निपुराण" में इनके अतिरिक्त चार और भेदों का उल्लेख है : अनुकूल, दर्क्षिण, शठ, धृष्ठ।  भानुदत्त (1300 ई.) ने "रसमंजरी" में एक नया वर्गीकरण दिया, जिसे आगे चलकर प्रधान वर्गीकरण माना गया। यह है : पति, उपपति वेशिक। 

भरत के अनुसार नायिका के आठ भेद वासकसज्जा, विरहोत्कंठिता, स्वाधीनपतिका, कलहांतरिता, खंडिता, विप्रलब्धा, प्रोषितभर्तृका तथा अभिसारिका हैं। नायिका के पद्मिनी, चित्रिणी, शंखिनी तथा हस्तिनी अदि भेद भी बताये गए हैं। रुद्रट ("काव्यालंकार", नवीं शताब्दी) तथा रुद्रभट्ट (शृंगारतिलक, ९००-११०० ई.) ने -षोडष भेद स्वकीया, परकीया, सामान्या, स्वकीया : मुग्धा, मध्या, प्रगल्भा, मध्या तथा प्रगल्भा : धीरा, मध्या (धीराधीरा), अधीरा, मध्या तथा प्रगल्भा; पुन: ज्येष्ठा, कनिष्ठा, परकीया : ऊढा, अनूढा (कन्या) को मान्यता दी। "सुखसागरतरंग" का अंश भेद प्रसिद्ध है : देवी (सात वर्ष की अवस्था तक), देवगंधर्वी (सात से चौदह तक), गंधर्वी (चौदह से इक्कीस तक), गंधर्वमानुषी (इक्कीस से अट्ठाईस तक), मानुषी (अट्ठाईस से पैंतीस वर्ष की अवस्था तक)। नायिकाभेद का सर्वाधिक विस्तार रसलीन के "रसप्रबोध" में है। १. मुग्धा, मध्या तथा प्रगल्भा के अनेक प्रभेद; २. पतिदु:खिता स्वकीया : मूढपतिदु:खिता, बाल., वृद्ध.; ३. परकीया : अद्भुता, उद्भूदिता (तोष के उद्बुद्धा तथा उद्बोधिता भेदों से अभिन्न); ४. परकीया : आसाध्या, सुखसाध्या (प्रथमके पाँच तथा द्वितीय के आठ प्रभेद); ५. स्वकीया तथा परकीया : कामवती, अनुरागिनी, प्रेम अशक्ता; ६. सामान्या के चार प्रभेद; ७. अनेक परिस्थितिभेदों के प्रभेद; ८. "सुखसागरतरंग" के आधार पर विभिन्न नायिकाओं की आयुसीमा का निर्धारण।

भारत कोक शास्त्र और काम शास्त्र का विधिवत अध्ययन कर ८४ आसनों का निर्धारण किया। महर्षि वात्स्यायन ने वैज्ञानिक विधि से काम को चार पुरुषार्थों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्ध किया। अर्थ का अर्जन ही काम पूर्ति हेतु है। काम ही धर्म की साधना का आधार है। काम पूर्ति में ही मोक्ष है। रसानंद को परमानंद तुल्य कहा गया है। पश्चिम में केलि क्रीड़ा वासना तक सीमित हो कर रह गयी है जबकि भारत में यह व्यक्तित्व के विकास का माध्यम है। 
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संपर्क: आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', विश्ववाणी हिंदी संस्थान,  ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर ४८२००१, चलभाष ७९९९५५९६१८, ईमेल  salil.sanjiv@gmail.com  
   




























  

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

doha duniya


शिव दोहावली
*
नाथ बसे कैलाश पर, विपिन रहा मन मोह
काम अकाम सुकाम लख, रति-पति करता द्रोह
*
भाव समाधि अटूट जब, टूटी हाहाकार
पुष्पलता के अश्रु बह, बने नर्मदा-धार
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चंद्र झुलस श्यामल हुआ, कंपित रश्मि सुशील
शेष श्लेष भी धैर्य तज, हुआ भीति से नील
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शशि का मन उन्मन हुआ, क्यों? बोलो शशिनाथ
उस बाधा को हटा दो, जिसका इसमें हाथ
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रति-पति मति बौरा गई, किया शम्भु पर वार
पल में जल कर क्षार हो, पाया कष्ट अपार
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शिव संयम साक्षात हैं, कभी न होते बाध्य
शिव चाहें तो क्या नहीं, होगा उनका प्राप्य?
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स्वार्थी सुर निज हित करें, भोगे अन्य अनिष्ट
शिव-शिक्षा खुद कष्ट सह, बनकर रहिए शिष्ट
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सीमोल्लंघन से हुए, शिव रति-पति पर रुष्ट
रति की विनती सुन द्रवित, हुए मिटाया कष्ट
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शक्ति-शक्तिधर आप मिल, करें सृजन-संहार
करे बाध्य कोई अगर, हो भीषण संहार
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४.१.२०१८

शनिवार, 5 सितंबर 2015

ek chat warta, काम

एक चैट वार्ता:
कुछ दिन पूर्व एक वार्ता आपसे साझा की थी. आज एक अन्य वार्ता से आपको जोड़ रहा हूँ. कोई कहानीकार इन पर कहानी का तन-बाना बुन सकता है. आपसे साझा करने का उद्देश्य समाज में बढ़ रही प्रवृत्तियों का साक्षात है. समाज में हो रहे वैचारिक परिवर्तन का संकेत इन वार्ताओं से मिलता है.

- hi
= नमस्कार
पर्व नव सद्भाव के
संजीव 'सलिल'
*
हैं आ गये राखी कजलियाँ, पर्व नव सद्भाव के.
सन्देश देते हैं न पकड़ें, पंथ हम अलगाव के..
भाई-बहिन सा नेह-निर्मल, पालकर आगे बढ़ें.
सत-शिव करें मांगल्य सुंदर, लक्ष्य सीढ़ी पर चढ़ें..
शुभ सनातन थाती पुरातन, हमें इस पर गर्व है.
हैं जानते वह व्याप्त सबमें, प्रिय उसे जग सर्व है..
शुभ वृष्टि जल की, मेघ, बिजली, रीझ नाचे मोर-मन.
कब बंधु आये? सोच प्रमुदित, हो रही बहिना मगन..
धारे वसन हरितिमा के भू, लग रही है षोडशी.
सलिला नवोढ़ा नारियों सी, कथा है नव मोद की..
शालीनता तट में रहें सब, भंग ना मर्याद हो.
स्वातंत्र्य उच्छ्रंखल न हो यह, मर्म सबको याद हो..
बंधन रहे कुछ तभी तो हम, गति-दिशा गह पायेंगे.
निर्बंध होकर गति-दिशा बिन, शून्य में खो जायेंगे..
बंधन अप्रिय लगता हमेशा, अशुभ हो हरदम नहीं.
रक्षा करे बंधन 'सलिल' तो, त्याज्य होगा क्यों कहीं?
यह दृष्टि भारत पा सका तब, जगद्गुरु कहला सका.
रिपुओं का दिल संयम-नियम से, विजय कर दहला सका..
इतिहास से ले सबक बंधन, में बंधें हम एक हों.
संकल्पकर इतिहास रच दें, कोशिशें शुभ नेक हों..
***
- hi
= कहिए, कैसी हैं?

- thik hu ji
= क्या कर रही हैं आजकल?

- kuch nahi ji. aap kyaa karte ho ji?
=मैं लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर रहा. अब सेवा निवृत्त  हूँ.

- aachha ji
= आपके बच्चे किन कक्षाओं में हैं?

- beta 4th me or beti 3 मे.
= बढ़िया. उनके साथ रोज शाम को रामचरित मानस के ५ दोहे अर्थ के साथ पढ़ा करें। इससे वे नये  शब्द और छंद को समझेंगे। उनकी परीक्षा में उपयोगी होगा। गाकर पढ़ने से आवाज़ ठीक होगी।

- ji. me aapke charan sparsh karti hu. aap bahut hi nek or aachhe insan he.
= सदा प्रसन्न रहें। बच्चों की पहली और सबसे अधिक प्रभावी शिक्षक माँ ही होती है. माँ  बच्चों की सखी भी हो तो बच्चे बहुत सी बुराइयों से बच जाते हैं.

- or sunaao kuch. mujhe aap s bat karke bahut aacha laga ji
= आपके बच्चों के नाम क्या हैं?

- beta sachin beti sandhya
= रोज शाम को एकाग्र चित्त होकर लय सहित मानस का पाठ करने से आजीवन शुभ होता है.

- wah wah kya bat he ji. aap mere guru ji ho
= आपकी सहृदयता के लिए धन्यवाद। बच्चों को बहुत सा आशीर्वाद

- orr sunaao aapko kya pasand he? mere layk koi sewa?
= आप कहाँ तक पढ़ी हैं? कौन से विषय थे.
- 10 pas hu. koi job karna chahti hu.
= अभी नहीं। पहले मन को मजबूत कर १२ वीं पास करें। प्राइवेट परीक्षा दें. साथ में कम्प्यूटर सीखें। इससे आप बच्चों को मदद कर सकेंगी. बच्चों को ८० प्रतिशत अंक मिलें तो समझें आप को मिले. आप के पति क्या करते हैं? आय कितनी है?

- ha par m padhai nahi kar sakti hu. computar chalaana to aata he mujhe
 mobail repering ka kam he dukaan he khud ki
= तब तो सामान्य आर्थिक स्थिति है. बच्चे कॉलेज में जायेंगे तो खर्च अधिक होगा। अभी से सोचना होगा। आप किस शहर में हैं?

- ……।
= आय लगभग १५-२०  हजार रु. मानूं तो भी आपको कुछ कमाना होगा। कम्प्यूटर में माइक्रौसौफ़्ट ऑफिस, माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, विंडो आदि सीखना होगा। बच्चे छोटे हैं इसलिए घर में रहना भी जरूरी है. आप घर पर वकीलों और किताबों का टाइपिंग काम करें तो अतिरिक्त आय का साधन हो सकता है. बाहर नौकरी करेंगी तो घर में अव्यवस्था होगी.

- bahar bhi kar lugi yadi job achha he to. 10 hajar s jyada nahi kama pate he.
= अच्छी नौकरी के लिए १० वीं पर्याप्त नहीं है. आजकल प्राइवेट स्कूल १ से ३ हजार में  शिक्षिकाएं रखते हैं जो BA या MA होती हैं. कंप्यूटर से टाइपिंग सीखने में २-३ माह लगेंगे और आप घर पर काम कर अच्छी आय कर सकती हैं. घर कहाँ है?

- steshan k pas men rod par, kabhi aana to hum s jarur milna aap.

= दूसरा रास्ता घर में पापड़, आचार, बड़ी आदि बनाकर बेचना है. यह घर, दूकान तथा सरकारी दफ्तरों में किया जा सकता है. नौकरी करने वाली महिलाओं को घर में बनाने का समय नहीं मिलता। आपसे स्वच्छ, स्वादिष्ट तथा सस्ता सामान मिल सकेगा। त्योहारों आर मिठाई भी बना कर बेच सकती हैं. इसमें लगभग ६० % का फायदा है. जबलपुर में मेरी एक रिश्तेदार ने इसी तरह अपने बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई  कराई है. यह सुझाव  उन्हें भी मैंने ही दिया था.
- thank u ji
= पति के साथ सोच-विचार कर कोई निर्णय करें जिसमें घर और बच्चों को देखते हुए भी आय कर सकें. घर में और कौन-कौन हैं?

- total femli 4 log, sas sasur nahi he, bhai sab aalag rahte he
= फिर तो पूरी जिम्मेदारी आप पर है, वे होते तो आपके बाहर जाने पर बच्चों को बड़े देख लेते। मेरी समझ में बेहतर होगा कि आप घर से ही काम करें।

- ji, hamari bhai ki ladki yahi p rahti he coleej ki padhai kar rahi he ghar ka kam to bo kar leti he. m jyadatar free rahti hu. isliye kuch karne ka socha

= घर में सामान बना कर बेचेंगी, अथवा पढ़ाई करेंगी या टाइपिंग का काम करेंगी तो समय कम पड़ेगा। घर पर करने से घर और बच्चों की देख-रेख कर सकेंगी. थकान होने पर सुस्ता सकेंगी, बाहर की नौकरी में घर छोड़ना होग. समय अधिक लगेगा. आने-जाने में भी खर्च होग. वेतन भी कम ही मिलेगा. उससे अधिक आप घर पर काम कर कमा सकती हैं. बनाया हुआ सामान बिकने लगे तो फिर काम बढ़ता जाता है. त्योहारों पर सहायक रखकर काम करना होता है. मैदा, बेसन आदि बोरों से खरीदने अधिक बचत होती है. आप लड्डू, बर्फी, सेव, बूंदी, मीठी-नमकीन मठरी, शकरपारे, गुझिया, पपड़ियाँ आदि बना लेती होंगी। अभी यह योग्यता घर तक सीमित है.

- mujhe ghumna pasand he. aap jese jankar or sammaniy logos bat karna aacha lagta he. gana gane ka shook he
= जब सामान बना लेंगी तो बेचने के लिए घूमना होगा। सरकारी दफ्तरों में काम करनेवाले कर्मचारी ही आपके ग्राहक होंगे.  जिनके घरों में महिलायें बनाना नहीं जानतीं, बीमार हैं, या आलसी हैं वे सभी घर का बना साफ़-सुथरा सामान खरीदना पसंद करते हैं.गायन अच्छी कला है पर इससे धन कमाना कठिन है.  अधिकांश कार्यक्रम मुफ्त देना होते हैं, लगातार अभ्यास करना होता है. आयोजक या व्यवस्था ठीक न हो तो कठिनाई होती है. पूरी टीम चाहिए। गायक-गायिका, वादक, माइक आदि

- ji, aapko kya pasand he
= आपकी परिस्थितियों, वातावरण और साधनों को देखते हुए अधिक सफलता घर में सामान बनाकर बेचने से मिल सकती है. नौकरीवालों के लिए टिफिन भी बना सकती हैं. इससे घर के सदस्यों का भोजन-व्यय बच जाता है. कमाई होती है सो अलग.
गायन, वादन, नर्तन आदि शौक हो सकते हैं पर इनसे कमाई की सम्भावना काम है.

- aapko kya pasand he
= मुझे हिंदी मैया की सेवा करना पसंद है. रिटायर होने के बाद रोज १०-१२ घंटे लिखता-पढ़ता हूँ. चैटिंग के माध्यम से समस्याएं सुलझाता हूँ.

- thank u. i l u. i lick  u
= प्रभु आपकी सहायता करें.. कंप्यूटर पर हिंदी में लिखना सीख लें.

- aap  bhi kuch sahayta karo
= इतना विचार-विमर्श और मार्गदर्शन सहायता ही तो है.

- haa ji
= आपने गायन के जो कार्यक्रम किये उनसे कितनी आय हुई ?

- मै आपको मिल जाऊँ तो आप क्या करोगे । 1. दोस्ती, 2.प्यार, 3. सेक्स। mene koi karykaran nahi kiya he kewal shook he ghar p gati rahti hu
= मैं केवल लेखन और परामर्श देने में रूचि रखता हूँ. दोस्ती जीवन साथी से, प्यार बच्चों से करना उत्तम है. सेक्स का उद्देश्य संतान उत्पत्ति है. अब उसकी कोई भूमिका नहीं है.

- मै आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ,
= सम्बन्ध तन, नहीं मन के हों तभी कल्याणकारी  होते हैं. आप विवाहिता हैं, माँ भी हैं, किसी के चाहने पर भी देह के सम्बन्ध कैसे बना सकती हैं?

- m kuch bhi kar sakti hu, paresan hu. peeso ki jarurathe mujhe
= चरित्र से बड़ा कुछ नहीं है. ऐसा कुछ कभी न करें जिससे आप खुद, पति या बच्चे शर्मिंदा हों. देह व्यापार से आत्मा निर्बल हो जाती है. मन को शांत करें, नित्य मानस-पाठ करें. दुर्गा  जी से सहायता की प्रार्थना करें।

- aap mujhe 10 hajar ru ki madad de sakte ho
= नहीं। अपने सहायक आप हो, होगा सहायक प्रभु तभी. श्रम करें, याचना नहीं।

- ok ji. muft ki salaah to har koi deta he kisi s 2 rupay mago to koi nahi deta. mene aapko aapna samajh kar madad magi thi  kuch bhi kam karne k liy peesa ki jarurat to sabse pahle hoti he   or wo mere pas nahi he ji
= राह पर कदम बढ़ाने से, मंज़िल निकट आती है. ठोकर लगे तो सहारा मिला जाता है अथवा ईश्वर उठ खड़े होने की हिम्मत देता है. किनारे बैठकर याचना करने पर भिक्षा मिल भी जाए तो मंज़िल नहीं मिलती.

- कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई
= आपको भी पर्व मंलमय हो
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