कुल पेज दृश्य

geet pairody लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
geet pairody लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

geet pairody

एक गीत -एक पैरोडी
*
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा ३१
कहा दो दिलों ने, कि मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा ३०
*
ये क्या बात है, आज की चाँदनी में २१
कि हम खो गये, प्यार की रागनी में २१
ये बाँहों में बाँहें, ये बहकी निगाहें २३
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा १९
*
सितारों की महफ़िल ने कर के इशारा २२
कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा २१
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो २१
करे कोई दिल आरजू और क्या १९
*
कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे २१
रहे सांस जब तक ये बंधन न टूटे २२
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है २१
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा १८
फिल्म –‘दिल्ली का ठग’ 1958
*****
पैरोडी
है कश्मीर जन्नत, हमें जां से प्यारी, हुए हम फ़िदा ३०
ये सीमा पे दहशत, ये आतंकवादी, चलो दें मिटा ३१
*
ये कश्यप की धरती, सतीसर हमारा २२
यहाँ शैव मत ने, पसारा पसारा २०
न अखरोट-कहवा, न पश्मीना भूले २१
फहराये हरदम तिरंगी ध्वजा १८
*
अमरनाथ हमको, हैं जां से भी प्यारा २२
मैया ने हमको पुकारा-दुलारा २०
हज़रत मेहरबां, ये डल झील मोहे २१
ये केसर की क्यारी रहे चिर जवां २०
*
लो खाते कसम हैं, इन्हीं वादियों की २१
सुरक्षा करेंगे, हसीं घाटियों की २०
सजाएँ, सँवारें, निखारेंगे इनको २१
ज़न्नत जमीं की हँसेगी सदा १७
*****