कुल पेज दृश्य

pairody लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
pairody लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 30 मार्च 2019

पैरोडी- हवाई दोस्ती है ये / अजीब दास्तां है ये

ई मित्रता पर पैरोडी:
संजीव 'सलिल'
*
(बतर्ज़: अजीब दास्तां है ये,
कहाँ शुरू कहाँ ख़तम...)
*
हवाई दोस्ती है ये,
निभाई जाए किस तरह?
मिलें तो किस तरह मिलें-
मिली नहीं हो जब वज़ह?
हवाई दोस्ती है ये...
*
सवाल इससे कीजिए?
जवाब उससे लीजिए.
नहीं है जिनसे वास्ता-
उन्हीं पे आप रीझिए.
हवाई दोस्ती है ये...
*
जमीं से आसमां मिले,
कली बिना ही गुल खिले.
न जिसका अंत है कहीं-
शुरू हुए हैं सिलसिले.
हवाई दोस्ती है ये...
*
दुआ-सलाम कीजिए,
अनाम नाम लीजिए.
न पाइए न खोइए-
'सलिल' न न ख्वाब देखिए.
हवाई दोस्ती है ये...
*
संवस
७९९९५५९६१८

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

pairody: kashmeer

एक गीत -एक पैरोडी
*
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा ३१
कहा दो दिलों ने, कि मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा ३०
*
ये क्या बात है, आज की चाँदनी में २१
कि हम खो गये, प्यार की रागनी में २१
ये बाँहों में बाँहें, ये बहकी निगाहें २३
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा १९
*
सितारों की महफ़िल ने कर के इशारा २२
कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा २१
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो २१
करे कोई दिल आरजू और क्या १९
*
कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे २१
रहे सांस जब तक ये बंधन न टूटे २२
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है २१
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा १८
फिल्म –‘दिल्ली का ठग’ 1958
*****
पैरोडी
है कश्मीर जन्नत, हमें जां से प्यारी, हुए हम फ़िदा ३०
ये सीमा पे दहशत, ये आतंकवादी, चलो दें मिटा ३१
*
ये कश्यप की धरती, सतीसर हमारा २२
यहाँ शैव मत ने, पसारा पसारा २०
न अखरोट-कहवा, न पश्मीना भूले २१
फहराये हरदम तिरंगी ध्वजा १८
*
अमरनाथ हमको, हैं जां से भी प्यारा २२
मैया ने हमको पुकारा-दुलारा २०
हज़रत मेहरबां, ये डल झील मोहे २१
ये केसर की क्यारी रहे चिर जवां २०
*
लो खाते कसम हैं, इन्हीं वादियों की २१
सुरक्षा करेंगे, हसीं घाटियों की २०
सजाएँ, सँवारें, निखारेंगे इनको २१
ज़न्नत जमीं की हँसेगी सदा १७
*****

मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

karyashala

कार्यशाला १० 
पैरोडी
नीचे एक चित्रपटीय गीत है। इसका आनंद लें। चाहें तो इसकी पैरोडी बनाइये। 
१. हर मात्रा गिनिये, तुक मिलान पर ध्यान दें। मात्राओं में लघु-गुरु का क्रम देखें। २. शब्दों को आगे-पीछे करिये, इससे लघु-गुरु का क्रम बदलेगा। 
३. ध्यान से देखें- क्या शब्द बदलने का लय पर कोई प्रभाव पड़ता है? 
४. इसमें कौन-कौन से अलंकार हैं? पहचानिये। 
५. गलतियाँ खोजिये।
उत्तर टिप्पणी में अंकित करें।
*
गीत-
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा
कहा दो दिलों ने, के मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा
ये क्या बात है, आज की चाँदनी में
के हम खो गये, प्यार की रागनी में
ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा
सितारों की महफ़िल ने कर के इशारा
कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो
करे कोई दिल आरजू और क्या
कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे
रहे सांस जब तक ये बंधन ना टूटे
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा
-------- फिल्म –‘दिल्ली का ठग’ 1958
***
पैरोडी 
है कश्मीर जन्नत, हमें जां से प्यारी, हुए हम फ़िदा ३० 
ये सीमा पे दहशत, ये आतंकवादी, चलो दें मिटा ३१ 
*
ये कश्यप की धरती, सतीसर हमारा २२ 
यहाँ शैव मत ने, पसारा पसारा २० 
न अखरोट-कहवा, न पश्मीना भूले २१ 
फहराये हरदम तिरंगी ध्वजा १८ 

अमरनाथ हमको, हैं जां से भी प्यारा २२ 
मैया ने हमको पुकारा-दुलारा २० 
हज़रत मेहरबां, ये डल झील मोहे २१ 
ये केसर की क्यारी रहे चिर जवां २० 
*
लो खाते कसम हैं, इन्हीं वादियों की २१ 
सुरक्षा करेंगे, हसीं घाटियों की २० 
सजाएँ, सँवारें, निखारेंगे इनको २१ 
ज़न्नत जमीं की हँसेगी सदा १७ 
*****

गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016

geet aur pairody

एक गीत -एक पैरोडी 
*
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा           ३१
कहा दो दिलों ने, कि मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा       ३० 
*
ये क्या बात है, आज की चाँदनी में                                २१
कि हम खो गये, प्यार की रागनी में                                २१
ये बाँहों में 
बाँहें, ये बहकी निगाहें                                   २३
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा                                      १९ 
*
सितारों की महफ़िल ने कर के इशारा                            २२ 
कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा                                 २१
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो                                २१
करे कोई दिल आरजू और क्या                                      १९ 
*
कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे                            २१
रहे सांस जब तक ये बंधन न टूटे                                   २२
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है                                २१
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा                                          १८ 

फिल्म –‘दिल्ली का ठग’ 1958
*****
पैरोडी 
है कश्मीर जन्नत, हमें जां से प्यारी, हुए हम फ़िदा   ३० 
ये सीमा पे दहशत, ये आतंकवादी, चलो दें मिटा       ३१ 
*
ये कश्यप की धरती, सतीसर हमारा                        २२ 
यहाँ शैव मत ने, पसारा पसारा                                २० 
न अखरोट-कहवा, न पश्मीना भूले                          २१  
फहराये हरदम तिरंगी ध्वजा                                  १८ 
अमरनाथ हमको, हैं जां से भी प्यारा                        २२ 
मैया ने हमको पुकारा-दुलारा                                   २०
हज़रत मेहरबां, ये डल झील मोहे                            २१ 
ये केसर की क्यारी रहे चिर जवां                              २० 
*
लो खाते कसम हैं, इन्हीं वादियों की                         २१
सुरक्षा करेंगे, हसीं घाटियों की                                  २०
सजाएँ, सँवारें, निखारेंगे इनको                                २१ 
ज़न्नत जमीं की हँसेगी सदा                                    १७ 
*****