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शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

navgeet neki kar

नवगीत:
संजीव

'नेकी कर 
दरिया में डालो'
कह गये पुरखे
.
याद न जिसको
रही नीति यह
खुद से खाता रहा
भीती वह
देकर चाहा
वापिस ले ले
हारा बाजी
गँवा प्रीति वह
कुछ भी कर
आफत को टालो
कह गये पुरखे
.
जीत-हार
जो हो, होने दो
भाईचारा
मत खोने दो
कुर्सी आएगी
जाएगी
जनहित की
फसलें बोने दो
लोकतंत्र की
नींव बनो रे!
कह गए पुरखे
***