दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 28 मई 2009
ॐ वन्दना: स्व. शान्ति देवी वर्मा
चलीं जानकी प्यारी
चलीं जानकी प्यारी, सूना भया जनकपुर आज...
रोएँ अंक भर मातु सुनयना, पिता जनक बेहाल.
सूना भया जनकपुर आज...
सखी-सहेली फ़िर-फ़िर भेंटें, रखना हमको याद.
सूना भया जनकपुर आज...
शुक-सारिका न खाते-पीते, ले चलो हमको साथ.
सूना भया जनकपुर आज...
चारों सुताओं से कहें जनक, रखना दोउ कुल की लाज.
सूना भया जनकपुर आज...
कहें सुनयना भये आज से, ससुर-सास पितु-मात.
सूना भया जनकपुर आज...
गुरु बोलें: सबका मन जीतो, यही एक है पाठ.
सूना भया जनकपुर आज...
नगरनिवासी खाएं पछाडें, काहे बना रिवाज.
सूना भया जनकपुर आज...
जनक कहें दशरथ से 'करिए क्षमा सकल अपराध.
सूना भया जनकपुर आज...
दशरथ कहें-हैं आँख पुतरिया, रखिहों प्राण समान.
सूना भया जनकपुर आज...
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करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
मंगलवार, 26 मई 2009
विरासत: भजन - स्व. शान्ति देवी वर्मा
ठांडे जनक संकुचाएँ
ठांडे जनक संकुचाएँ, राम जी को का देऊँ ?...
हीरा पन्ना नीलम मोती, मूंगा माणिक लाल।
राम जी को का देऊँ ?
रेशम कोसा मखमल मलमल खादी के थान हजार।
राम जी को का देऊँ ?
कुंडल बाजूबंद कमरबंद, मुकुट अंगूठी नौलख हार।
राम जी को का देऊँ ?
स्वर्ण-सिंहासन चांदी का हौदा, हाथीदांत की चौकी।
राम जी को का देऊँ ?
गोटा किनारी, चादर परदे, धोती अंगरखा शाल।
राम जी को का देऊँ ?
काबुली घोडे हाथी गौएँ शुक सारिका रसाल।
राम जी को का देऊँ ?
चंदन पलंग, आबनूस पीढा, शीशम मेज सिंगार।
राम जी को का देऊँ ?
अवधपति कर जोड़ मनाएं, चाहें कन्या चार।
राम जी को का देऊँ ?
'दुल्हन ही सच्चा दहेज़ है, मत दे धन सामान।'
राम जी को का देऊँ ?
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन, देन बहु विध सम्मान।
राम जी को का देऊँ ?
शुभाशीष दें जनक-सुनयना, 'शान्ति' होंय बलिहार।
राम जी को का देऊँ ?
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