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शनिवार, 1 जून 2013

hindi lyric: acharya sanjiv verma 'salil'


गीत :

फोड़ रहा है काल फटाके...
संजीव
*
झाँक झरोखे से वह ताके, 
या नव चित्र अबोले आँके...
* http://img207.imageshack.us/img207/8596/17410865db63b8a8c81dc79.jpg
सांध्य-सुंदरी दुल्हन नवेली,
ठुमक-ठुमक पग धरे अकेली।
निशा-नाथ को निकट देखकर-
झट भागी खो धीर सहेली।
तारागण बाराती नाचे 
पियें सुधा रस मिलकर बाँके...
*https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjnRGnzIqnpTJPGXAVXCfM6PMb-PEz56Uuqzehl-yiXlCq8RzlCNHTai9k7_4-WF39kmgPbINsRwRhnv49PHgoGuJQNH9CusFOVtyqKSGG30SFbLR75TMrfYRNomz6hJ99YmSBI_nYxhMmO/s1600/seven_sisters800a.jpg
झींगुर बजा रहे शहनाई,
तबला ठोंकें दादुर भाई।
ध्रुव तारे को दिखा रही है-
उत्तर में पुरवैया दाई।
दें-लें सात वचन, मत नाके-  
कहाँ पादुका ऊषा ताके...
*http://statics.erasmusu.com/originals/sun-rise-41493966de312ae88e43953358215e95.jpg
धरा धरा ने अब तक धीरज,
रश्मि बहू ले आया सूरज।
अगवानी करती गौरैया-
सलिल-धार उपहारे नीरज।
चित्र गुप्त, चुप सुनो ठहाके-
फोड़ रहा है काल फटाके...
Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com/blogspot.in