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गुरुवार, 9 अप्रैल 2009

नर्मदा स्तवन

नमन नर्मदा

- संजीव 'सलिल'

नित्य निनादित नर्मदा, नवल निरंतर नृत्य।

सत-शिव-सुन्दर 'सलिल' सम, सत-चित-आनंद सत्य।

अमला, विमला, निर्मला, प्रबला, धवला धार।

कला, कलाधर, चंचला, नवला, फला निहार।

अमरकांटकी मेकला, मंदाकिनी ललाम।

कृष्णा, यमुना, मेखला, चपला, पला सकाम।

जटाशांकरी, शाम्भवी, स्वेदा, शिवा, शिवोम्।

नत मस्तक सौंदर्य लख, विधि-हरि-हर, दिक्-व्योम।

चिरकन्या-जगजननि हे!, सुखदा, वरदा रूप।

'सलिल'साधना सफलकर, हे शिवप्रिया अनूप।

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बुधवार, 8 अप्रैल 2009

स्तवन : माँ शारदा अवनीश तिवारी

नारद के काव्य में,

मोहन की बंसी में,

नटराज के नृत्य में

सर्वत्र माँ शारदा

सुर और ताल में ,

गुण और गान में ,

वेद और पुराण में ,

सर्वत्र माँ शारदा

मस्तिष्क की संवेदना में ,

मन की वेदना में,

ह्रदय की भावना में

सर्वत्र माँ शारदा

मेरी मुक्त स्मृतियों में ,

ऋचा और कृतियों में ,

एकांत की अनुभूतियों में ,

सर्वत्र माँ शारदा
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