कुल पेज दृश्य

sw.shanti devi verma लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
sw.shanti devi verma लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 11 अगस्त 2012

कृष्ण भजन: श्याम सुंदर नन्दलाल स्व. श्रीमती शान्ति देवी वर्मा

कृष्ण भजन:

श्याम सुंदर नन्दलाल


स्व. श्रीमती शान्ति देवी वर्मा







वरिष्ठ कवयित्री व लेखिका श्रीमती शान्ति देवी वर्मा बापू के नेतृत्व में स्वतंत्रता सत्याग्रही बनने के लिए ऑनरेरी मजिस्ट्रेट पद से त्यागपत्र देकर विदेशी वस्त्रों की होली जलानेवाले रायबहादुर माताप्रसाद सिन्हा 'रईस' मैनपुरी उत्तर प्रदेश की ज्येष्ठ पुत्री थीं.  उनका विवाह जबलपुर मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता सत्याग्रही स्व. ज्वालाप्रसाद वर्मा के छोटे भाई श्री राजबहादुर वर्मा (अब स्व.) सेवानिवृत्त जेल अधीक्षक से हुआ था. उन्होंने अवधी, भोजपुरी मायके से तथा बुन्देली, खड़ी बोली ससुराल से ग्रहण की तथा अपने आस्तिक संस्कारशील स्वभाववश भगवद भजन रचे. वे मानस मंडली में मानस पाठ के समय  प्रसंगानुकूल भजन रचकर गया करती थीं. ससुराल में कन्याओं के उच्च अध्ययन की प्रथा न होने पर भी उन्होंने अपनी चारों पुत्रियों को उच्च शिक्षा दिलाकर शिक्षण कर्म में प्रवृत्त कराया तथा सेवाकर्मी पुत्र वधुओं का चयन किया. साहित्यिक संस्था 'अभियान' जबलपुर के माध्यम से रचनाकारों हेतु दिव्य नर्मदा अलंकरण, दिव्य नर्मदा पत्रिका तथा समन्वय प्रकाशन की स्थापना कर संस्कारधानी जबलपुर  की साहित्यिक चेतना को गति देने में उन्होंने महती भूमिका निभायी। अपने पुत्र संजीव वर्मा 'सलिल', पुत्री आशा वर्मा तथा पुत्रवधू डॉ. साधना वर्मा को साहित्यिक रचनाकर्म तथा समाज व पर्यावरण सुधार के कार्यक्रमों के माध्यम से सतत देश व समाज के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा उन्होंने दी।

स्व. शांति देवी वर्मा
*
श्याम सुंदर नन्दलाल, अब दरस दिखाइए।

तरस रहे प्राण, इन्हें और न तरसाइए।


त्याग गोकुल वृन्द मथुरा, द्वारिका जा के बसे।

सुध बिसारी काहे हमरी, ऊधो जी बतलाइये।


ज्ञान-ध्यान हम न जानें, नेह के नाते को मानें।

गोपियाँ सारी दुखारी, बांसुरी बजाइए।


टेरती यमुना की लहरें, फूले ना कदंब टेरे।

खो गए गोपाल कहाँ?, दधि-मखन चुराइए।


तन में जब तक शक्ति रहे, मन उन्हीं की भक्ति करे।


जा के ऊधो सांवरे को, हाल सब बताइए।


दूर भी रहें तो नन्द- लाल न बिसराइये।

'शान्ति' है अशांत, दरश दे सुखी बनाइये।

***************

Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
salil.sanjiv@gmail.com
0761- 2411131 / 09425183244

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

राम नवमी पर विशेष लोक भजन : स्व. शांति देवी वर्मा

राम नवमी पर विशेष लोक भजन : स्व. शांति देवी वर्मा
अवध में जन्में हैं श्री राम
अवध में जन्में हैं श्री राम, दरश को आए शंकरजी...
*
कौन गा रहे?, कौन नाचते?, कौन बजाएं करताल?
दरश को आए शंकरजी...
*
ऋषि-मुनि गाते, देव नाचते, भक्त बजाएं करताल.
दरश को आए शंकरजी...
*
अंगना मोतियन चौक है, द्वारे हीरक बन्दनवार.
दरश को आए शंकरजी...
*
मलिन-ग्वालिन सोहर गायें, नाचें डे-डे ताल.
दरश को आए शंकरजी...
*
मैया लाईं थाल भर मोहरें, लो दे दो आशीष.
दरश को आए शंकरजी...
*
नाग त्रिशूल भभूत जाता लाख, डरे न मेरो लाल
दरश को आए शंकरजी...
*
बिन दर्शन हम कहूं न जैहें, बैठे धुनी रमाय.
दरश को आए शंकरजी...
*
अलख जगाये द्वार पर भोला, डमरू रहे बजाय.
दरश को आए शंकरजी...
*
रघुवर गोदी लिए कौशल्या, माथ डिठौना लगाय.
दरश को आए शंकरजी...
जग-जग जिए लाल माँ तेरो, शम्भू करें जयकार.
दरश को आए शंकरजी...
*********** 
बाजे अवध बधैया
बाजे अवध बधैया, हाँ हाँ बाजे अवध बधैया...
मोद मगन नर-नारी नाचें, नाचें तीनों मैया.
हाँ-हाँ नाचें तीनों मैया, बाजे अवध बधैया..
मातु कौशल्या जनें रामजी, दानव मार भगैया
हाँ हाँ दानव मार भगैया बाजे अवध बधैया...
मातु कैकेई जाए भरत जी, भारत भार हरैया
हाँ हाँ भारत भार हरैया, बाजे अवध बधैया...
जाए सुमित्रा लखन-शत्रुघन, राम-भारत की छैयां
हाँ हाँ राम-भारत की छैयां, बाजे अवध बधैया...
नृप दशरथ ने गाय दान दी, सोना सींग मढ़ईया
हाँ हाँ सोना सींग मढ़ईया, बाजे अवध बधैया...
रानी कौशल्या मोहर लुटाती, कैकेई हार-मुंदरिया
हाँ हाँ कैकेई हार-मुंदरिया, बाजे अवध बधैया...
रानी सुमित्रा वस्त्र लुटाएं, साडी कोट रजैया
हाँ हाँ साडी कोट रजैया, बाजे अवध बधैया...
विधि-हर हरि-दर्शन को आए, दान मिले कुछ मैया
हाँ हाँ दान मिले कुछ मैया, बाजे अवध बधैया...
'शान्ति'-सखी मिल सोहर गावें, प्रभु की लेनी बलैंयाँ 
हाँ हाँ प्रभु की लेनी बलैंयाँ, बाजे अवध बधैया...
***********

रविवार, 28 फ़रवरी 2010

होली गीत: स्व. शांति देवी वर्मा

होली गीत:

स्व. शांति देवी वर्मा

होली खेलें सिया की सखियाँ
होली खेलें सिया की सखियाँ,
                       जनकपुर में छायो उल्लास....
रजत कलश में रंग घुले हैं, मलें अबीर सहास.
           होली खेलें सिया की सखियाँ...
रंगें चीर रघुनाथ लला का, करें हास-परिहास.
            होली खेलें सिया की सखियाँ...
एक कहे: 'पकडो, मुंह रंग दो, निकरे जी की हुलास.'
           होली खेलें सिया की सखियाँ...
दूजी कहे: 'कोऊ रंग चढ़े ना, श्याम रंग है खास.'
          होली खेलें सिया की सखियाँ...
सिया कहें: ' रंग अटल प्रीत का, कोऊ न अइयो पास.'
                  होली खेलें सिया की सखियाँ...
 सियाजी, श्यामल हैं प्रभु, कमल-भ्रमर आभास.
                   होली खेलें सिया की सखियाँ...
'शान्ति' निरख छवि, बलि-बलि जाए, अमिट दरस की प्यास.
                      होली खेलें सिया की सखियाँ...
***********
होली खेलें चारों भाई
होली खेलें चारों भाई, अवधपुरी के महलों में...
अंगना में कई हौज बनवाये, भांति-भांति के रंग घुलाये.
पिचकारी भर धूम मचाएं, अवधपुरी के महलों में...
राम-लखन पिचकारी चलायें, भारत-शत्रुघ्न अबीर लगायें.
लखें दशरथ होएं निहाल, अवधपुरी के महलों में...
सिया-श्रुतकीर्ति रंग में नहाई, उर्मिला-मांडवी चीन्ही न जाई.
हुए लाल-गुलाबी बाल, अवधपुरी के महलों में...
कौशल्या कैकेई सुमित्रा, तीनों माता लेंय बलेंयाँ.
पुरजन गायें मंगल फाग, अवधपुरी के महलों में...
मंत्री सुमंत्र भेंटते होली, नृप दशरथ से करें ठिठोली.
बूढे भी लगते जवान, अवधपुरी के महलों में...
दास लाये गुझिया-ठंडाई, हिल-मिल सबने मौज मनाई.
ढोल बजे फागें भी गाईं,अवधपुरी के महलों में...
दस दिश में सुख-आनंद छाया, हर मन फागुन में बौराया.
'शान्ति' संग त्यौहार मनाया, अवधपुरी के महलों में...
***********
साभार : संजीव 'सलिल', दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

शिव भजन: स्व. शांति देवि वर्मा

शिव भजन



स्व. शांति देवि वर्मा
*
 
शिवजी की आयी बरात





शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




भूत प्रेत बेताल जोगिनी'


खप्पर लिए हैं हाथ.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




कानों में बिच्छू के कुंडल सोहें,


कंठ में सर्पों की माला.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




अंग भभूत, कमर बाघम्बर'


नैना हैं लाल विशाल.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




कर में डमरू-त्रिशूल सोहे,


नंदी गण हैं साथ.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




कर सिंगार भोला दूलह बन के,


नंदी पे भए असवार.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




दर्शन कर सुख-'शान्ति' मिलेगी,


करो रे जय-जयकार.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




***********




गिरिजा कर सोलह सिंगार




गिरिजा कर सोलह सिंगार


चलीं शिव शंकर हृदय लुभांय...




मांग में सेंदुर, भाल पे बिंदी,


नैनन कजरा लगाय.


वेणी गूंथी मोतियन के संग,


चंपा-चमेली महकाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




बांह बाजूबंद, हाथ में कंगन,


नौलखा हार सुहाय.


कानन झुमका, नाक नथनिया,


बेसर हीरा भाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




कमर करधनी, पाँव पैजनिया,


घुँघरू रतन जडाय.


बिछिया में मणि, मुंदरी मुक्ता,


चलीं ठुमुक बल खांय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




लंहगा लाल, चुनरिया पीली,


गोटी-जरी लगाय.


ओढे चदरिया पञ्च रंग की ,


शोभा बरनि न जाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




गज गामिनी हौले पग धरती,


मन ही मन मुसकाय.


नत नैनों मधुरिम बैनों से


अनकहनी कह जांय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




**********




मोहक छटा पार्वती-शिव की




मोहक छटा पार्वती-शिव की


देखन आओ चलें कैलाश....




ऊँचो बर्फीलो कैलाश पर्वत,


बीच बहे गैंग-धार.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




शीश पे गिरिजा के मुकुट सुहावे


भोले के जटा-रुद्राक्ष.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




माथे पे गौरी के सिन्दूर-बिंदिया


शंकर के नेत्र विशाल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




उमा के कानों में हीरक कुंडल,


त्रिपुरारी के बिच्छू कान


मोहक छटा पार्वती-शिव की.....




कंठ शिवा के मोहक हरवा,


नीलकंठ के नाग.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




हाथ अपर्णा के मुक्ता कंगन,


बैरागी के डमरू हाथ.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




सती वदन केसर-कस्तूरी,


शशिधर भस्मी राख़.


मोहक छटा पार्वती-शिव की.....




महादेवी पहने नौ रंग चूनर,


महादेव सिंह-खाल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




महामाया चर-अचर रच रहीं,


महारुद्र विकराल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




दुर्गा भवानी विश्व-मोहिनी,


औढरदानी उमानाथ.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




'शान्ति' शम्भू लख जनम सार्थक,


'सलिल' अजब सिंगार.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...


********************

 
भोले घर बाजे बधाई




मंगल बेला आयी, भोले घर बाजे बधाई ...




गौर मैया ने लालन जनमे,


गणपति नाम धराई.


भोले घर बाजे बधाई ...




द्वारे बन्दनवार सजे हैं,


कदली खम्ब लगाई.


भोले घर बाजे बधाई ...




हरे-हरे गोबर इन्द्राणी अंगना लीपें,


मोतियन चौक पुराई.


भोले घर बाजे बधाई ...




स्वर्ण कलश ब्रम्हाणी लिए हैं,


चौमुख दिया जलाई.


भोले घर बाजे बधाई ...


लक्ष्मी जी पालना झुलावें,


झूलें गणेश सुखदायी.

*******************