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सोमवार, 3 जुलाई 2017

हाइकु


हाइकु
ज्योतिर्मयी है
मानव की चेतना
हो ऊर्ध्वमुखी
*
ज्योति है ऊष्म
सलिल है शीतल
मेल जीवन
*
ज्योति जलती
पवन है बहता
जग दहता
*
ज्योति धरती
बाँटती उजियारा
तम पीकर
*
ज्योति जागती
जगत को सुलाती
आप जलकर
*
३-७-२०१७
#हिंदी_ब्लॉगिंग

रविवार, 25 सितंबर 2011

हाइकु सलिला:२ - संजीव 'सलिल'

हाइकु सलिला:२
- संजीव 'सलिल'
*
श्रम-सीकर
चरणामृत से है
ज्यादा पावन.
*
मद मदिरा
मत मुझे पिलाना
दे विनम्रता.
*
पर पीड़ा से
अगर न पिघले
मानव कैसे?
*
मैले मन को
उजला तन क्यों
देते हो हरि?
*
बना शंकर
नर्मदा का कंकर
प्रयास कर.
*
मितवा दूँ क्या
भौतिक सारा जग
क्षणभंगुर?
*
स्वर्ग न जाऊँ
धरती माता पर
स्वर्ग बसाऊँ.
*
कौन हूँ मैं?
क्या दूँ परिचय?
मौन हूँ मैं.
*
नहीं निर्वाण
लक्ष्य हो मनुज का
नव-निर्माण.
*
एक है रब
तभी जानोगे उसे
मानोगे जब.
*
ईश स्मरण
अहं के वहम का
हो विस्मरण.
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

शनिवार, 24 सितंबर 2011

हाइकु सलिला 1 : संजीव 'सलिल'

हाइकु सलिला 1 :
संजीव 'सलिल'
*
हाइकु धारा
सतत प्रवाहित
छंद है प्यारा.
*
पथ हेरता
हाइकु पपीहरा
स्वाति-बूँद का.
*
सच से जुड़े
नव भंगिमामय
हाइकु मुए.
*
होती चेतन
जड़ दिखती धरा
देती जीवन.
*
बिंदु में सिंधु
देखे सच अदेखा
जीवन रेखा
*
हाथ तो मिले
सुमन नहीं खिले
शिकवे-गिले.
*
करूणा-कुञ्ज
ममता का सागर
भोर अरुणा
*
ईंट-रेट का
मंदिर मनहर
देव लापता.
*
करें आरती
चलिए बहलायें
रोते बच्चे को.
*
हो न अबोला
आत्म-लीन होकर
सुनें मौन को.
*
फ़िक्र न लेश
हाइकु सलिला है
शेष-अशेष.
******
divyanarmada.blogspot.com