सामयिक गीत:
लाचार है...
संजीव 'सलिल'
*
मुखिया तो लाचार है,
हालत से बेज़ार है.....
*
जीवन भर था यह अधिकारी.
जो पायी आज्ञा स्वीकारी..
इटली की मैडम का सेवक-
वह दाता, यह दीन-भिखारी.
ना संसद में, ना जनता में
इसका कुछ आधार है...
*
कुर्सी पकड़ बन गया दूला.
मौनी बाबा झूले झूला..
साथी-संगी लोभी-लोलुप-
खुद लगता है बहरा-लूला..
अमरीकी सत्ता का सच्चा
यह फर्माबरदार है...
*
हर कोई मन-मर्जी करता.
चरा समझ देश-धन चरता.
बेकाबू है तन्त्र-प्रशासन.
जी-जीकर भी हर पल मरता..
बेकाबू हर मंत्री वाली
असरहीन सरकार है...
*
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
लाचार है...
संजीव 'सलिल'
*
मुखिया तो लाचार है,
हालत से बेज़ार है.....
*
जीवन भर था यह अधिकारी.
जो पायी आज्ञा स्वीकारी..
इटली की मैडम का सेवक-
वह दाता, यह दीन-भिखारी.
ना संसद में, ना जनता में
इसका कुछ आधार है...
*
कुर्सी पकड़ बन गया दूला.
मौनी बाबा झूले झूला..
साथी-संगी लोभी-लोलुप-
खुद लगता है बहरा-लूला..
अमरीकी सत्ता का सच्चा
यह फर्माबरदार है...
*
हर कोई मन-मर्जी करता.
चरा समझ देश-धन चरता.
बेकाबू है तन्त्र-प्रशासन.
जी-जीकर भी हर पल मरता..
बेकाबू हर मंत्री वाली
असरहीन सरकार है...
*
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com