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रविवार, 18 मार्च 2018

devi geet

देवी गीत -
*
अंबे! पधारो मन-मंदिर, १५
हुलस संतानें पुकारें। १४
*
नीले गगनवा से उतरो हे मैया! २१
धरती पे आओ तनक छू लौं पैंया। २१
माँगत हौं अँचरा की छैंया। १६
न मो खों मैया बिसारें। १४
अंबे! पधारो मन-मंदिर, १५
हुलस संतानें पुकारें। १४
*
खेतन मा आओ, खलिहानन बिराजो २१
पनघट मा आओ, अमराई बिराजो २१
पूजन खौं घर में बिराजो १५
दुआरे 'माता!' गुहारें। १४
अंबे! पधारो मन-मंदिर, १५
हुलस संतानें पुकारें। १४
*
साजों में, बाजों में, छंदों में आओ २२
भजनों में, गीतों में मैया! समाओ २१
रूठों नें, दरसन दे जाओ १६
छटा संतानें निहारें। १४
अंबे! पधारो मन-मंदिर, १५
हुलस संतानें पुकारें। १४
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विक्रम वर्षारंभ, १८.३.२०१८

मंगलवार, 5 मई 2009

लघुकथा: एक राजा था -डॉ. किशोर काबरा, अहमदाबाद


''एक राजा था!''

बेताल ने कहानी शुरू की और वहीं समाप्त करते हुए विक्रम से पूछा-

''अब बताओ, एक ही राजा क्यों था? अगर तुम जान-बूझकर इसका उत्तर नहीं दोगे तो तुम्हारे सर के सौ टुकड़े हो जायेंगे।

''विक्रम ने कहा-''जनता मूर्ख थी, इसलिए एक ही राजा था,''

इतना सुनते ही बेताल विक्रम के कंधे से उड़कर झाड़ पर लटक गया।

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