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बुधवार, 14 नवंबर 2012

मुक्तिका: तनहा-तनहा संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
तनहा-तनहा
संजीव 'सलिल'
*
हम अभिमानी तनहा-तनहा।
वे बेमानी तनहा-तनहा।।

कम शिक्षित पर समझदार है
अकल सयानी तनहा-तनहा।।

दाना होकर भी करती मति
नित नादानी तनहा-तनहा।।

जीते जी ही करी मौत की
हँस अगवानी तनहा-तनहा।।

ईमां पर बेईमानी की-
नव निगरानी तनहा-तनहा।।

खीर-प्रथा बघराकर नववधु 
चुप मुस्कानी तनहा-तनहा।।

उषा लुभानी सांझ सुहानी,
निशा न भानी तनहा-तनहा।।

सुरा-सुन्दरी का याचक जग
भांग-भवानी तनहा-तनहा।।

'सलिल' संजोये प्यास-आस पर
श्वास भुलानी तनहा-तनहा।।

***