एक क्षणिका
*
पहले दिखी
फिर मिली-जुली
हँस कली खिली
झट साँझ ढली
कर बंद गली
'मी टू' बोली अगली।
***
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पहले दिखी
फिर मिली-जुली
हँस कली खिली
झट साँझ ढली
कर बंद गली
'मी टू' बोली अगली।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.