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शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

बुन्देली मुक्तिका: मंजिल की सौं...

बुन्देली मुक्तिका:
मंजिल की सौं...
संजीव
*
मंजिल की सौं, जी भर खेल
ऊँच-नीच, सुख-दुःख. हँस झेल
रूठें तो सें यार अगर
करो खुसामद मल कहें तेल
यादों की बारात चली
नाते भए हैं नाक-नकेल
आस-प्यास के दो कैदी
कार रए साँसों की जेल
मेहनतकश खों सोभा दें
बहा पसीना रेलमपेल
*

बुन्देली मुक्तिका: बात नें करियो

बुन्देली मुक्तिका:
बात नें करियो
संजीव
*
बात नें करियो तनातनी की.
चाल नें चलियो ठनाठनी की..
होस जोस मां गंवा नें दइयो
बाँह नें गहियो हनाहनी की..
जड़ जमीन मां हों बरगद सी
जी न जिंदगी बना-बनी की..
घर नें बोलियों तें मकान सें
अगर न बोली धना-धनी की..
सरहद पे दुसमन सें कहियो
रीत हमारी दना-दनी की..
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Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com

बुधवार, 27 सितंबर 2017

bundeli muktika

कार्यशाला 
सवाल-जवाब 
*
सच कहूँ तो चोट उन को लगती है
झूठ कहने से जुबान मेरी जलती है - राज आराधना 
*
न कहो सच, न झूठ मौन रहो
सुख की चाहत जुबान सिलती है -संजीव
*

मुक्तिका बुंदेली में
*
पाक न तन्नक रहो पाक है?
बाकी बची न कहूँ धाक है।।
*
सूपनखा सें चाल-चलन कर
काटी अपनें हाथ नाक है।।
*
कीचड़ रहो उछाल हंस पर
मैला-बैठो दुष्ट काक है।।
*
अँधरा दहशतगर्द पाल खें
आँखन पे मल रओ आक है।।
*
कल अँधियारो पक्का जानो
बदी भाग में सिर्फ ख़ाक है।।
*
पख्तूनों खों कुचल-मार खें
दिल बलूच का करे चाक है।।
*
२०४ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन,
जबलपुर ४८२००१, ९४२५१८३२४४ 
salil.sanjiv@gmail.com
divyanarmada.blogspot.com 
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शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

bundeli muktika

बुन्देली मुक्तिका
*
कओ बाद में, सोचो पैले।
मन झकास रख, कपड़े मैले।।
*
रैदासों सें कर लई यारी।
रुचें नें मंदिर पंडित थैले।।
*
शीश नबा लओ, हो गओ पूजन।
तिलक चढ़ोत्री?, ठेंगा लै ले।।
*
चाहत हो पीतम सें मिलना?
उठो! समेटो, नाते फैले।।
*
जोड़ मरे, जा रए  छोड़कर
लिए मनुज तन, बे थे बैले।।
***
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com
#हिंदी_ब्लॉगर