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शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

गीत: मनुज से... संजीव 'सलिल'

गीत:

मनुज से...

संजीव 'सलिल'
*

*
न आये यहाँ हम बुलाये गये हैं.
तुम्हारे ही हाथों बनाये गये हैं.
ये सच है कि निर्मम हैं, बेजान हैं हम,
कलेजे से तुमको लगाये गये हैं.

नहीं हमने काटा कभी कोई जंगल
तुम्हीं कर रहे थे धरा का अमंगल.
तुमने ही खोदे थे पर्वत और टीले-
तुम्हीं ने किया पाट तालाब दंगल..

तुम्हीं ने बनाये ये कल-कारखाने.
तुम्हीं जुट गये थे भवन निज बनाने.
तुम्हारी हवस का न है अंत लोगों-
छोड़ा न अवसर लगे जब भुनाने..

कोयल की छोड़ो, न कागा को छोड़ा.
कलियों के संग फूल कांटा भी तोड़ा.
तुलसी को तज, कैक्टस शत उगाये-
चुभे आज काँटे हुआ दर्द थोड़ा..

मलिन नेह की नर्मदा तुमने की है.
अहम् के वहम की सुरा तुमने पी है.
न सम्हले अगर तो मिटोगे ये सुन लो-
घुटन, फ़िक्र खुद को तुम्हीं ने तो दी है..

हूँ रचना तुम्हारी, तुम्हें जानती हूँ.
बचाऊँगी तुमको ये हाथ ठानती हूँ.
हो जैसे भी मेरे हो, मेरे रहोगे-
इरादे तुम्हारे मैं पहचानती हूँ..

नियति का इशारा समझना ही होगा.
प्रकृति के मुताबिक ही चलना भी होगा.
मुझे दोष देते हो नादां हो तुम-
गिरे हो तो उठकर सम्हलना भी होगा..

ये कोंक्रीटी जंगल न ज्यादा उगाओ.
धरा-पुत्र थे, फिर धरा-सुत कहाओ..
धरती को सींचो, पुनः वन उगाओ-
'सलिल'-धार संग फिर हँसो-मुस्कुराओ..

नहीं है पराया कोई, सब हैं अपने.
अगर मान पाये, हों साकार सपने.
बिना स्वर्गवासी हुए स्वर्ग पाओ-
न मंगल पे जा, भू का मंगल मनाओ..

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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

बुधवार, 21 जुलाई 2010

दोहा दर्पण: संजीव 'सलिल' *


दोहा दर्पण:

संजीव 'सलिल'

*
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*
कविता की बारिश करें, कवि बादल हों दूर.
कौन किसे रोके 'सलिल', आँखें रहते सूर..

है विवेक ही सुप्त तो, क्यों आये बरसात.
काट वनों को, खोद दे पर्वत खो सौगात..

तालाबों को पाट दे, मरुथल से कर प्यार.
अपना दुश्मन मनुज खुद, जीवन से बेज़ार..

पशु-पक्षी सब मारकर खा- मंगल पर घूम.
दंगल कर, मंगल भुला, 'सलिल' मचा चल धूम..

जर-ज़मीन-जोरू-हुआ, सिर पर नशा सवार.
अपना दुश्मन आप बन, मिटने हम बेज़ार..

गलती पर गलती करें, दें औरों को दोष.
किन्तु निरंतर बढ़ रहा, है पापों का कोष..

ले विकास का नाम हम, करने तुले विनाश.
खुद को खुद ही हो रहे, 'सलिल' मौत का पाश..
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Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

शिव भजन: स्व. शांति देवि वर्मा

शिव भजन



स्व. शांति देवि वर्मा
*
 
शिवजी की आयी बरात





शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




भूत प्रेत बेताल जोगिनी'


खप्पर लिए हैं हाथ.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




कानों में बिच्छू के कुंडल सोहें,


कंठ में सर्पों की माला.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




अंग भभूत, कमर बाघम्बर'


नैना हैं लाल विशाल.


चलो सखी देखन चलिए


शिवजी की आयी बरात....




कर में डमरू-त्रिशूल सोहे,


नंदी गण हैं साथ.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




कर सिंगार भोला दूलह बन के,


नंदी पे भए असवार.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




दर्शन कर सुख-'शान्ति' मिलेगी,


करो रे जय-जयकार.


शिवजी की आयी बरात,


चलो सखी देखन चलिए...




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गिरिजा कर सोलह सिंगार




गिरिजा कर सोलह सिंगार


चलीं शिव शंकर हृदय लुभांय...




मांग में सेंदुर, भाल पे बिंदी,


नैनन कजरा लगाय.


वेणी गूंथी मोतियन के संग,


चंपा-चमेली महकाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




बांह बाजूबंद, हाथ में कंगन,


नौलखा हार सुहाय.


कानन झुमका, नाक नथनिया,


बेसर हीरा भाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




कमर करधनी, पाँव पैजनिया,


घुँघरू रतन जडाय.


बिछिया में मणि, मुंदरी मुक्ता,


चलीं ठुमुक बल खांय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




लंहगा लाल, चुनरिया पीली,


गोटी-जरी लगाय.


ओढे चदरिया पञ्च रंग की ,


शोभा बरनि न जाय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




गज गामिनी हौले पग धरती,


मन ही मन मुसकाय.


नत नैनों मधुरिम बैनों से


अनकहनी कह जांय.


गिरिजा कर सोलह सिंगार...




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मोहक छटा पार्वती-शिव की




मोहक छटा पार्वती-शिव की


देखन आओ चलें कैलाश....




ऊँचो बर्फीलो कैलाश पर्वत,


बीच बहे गैंग-धार.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




शीश पे गिरिजा के मुकुट सुहावे


भोले के जटा-रुद्राक्ष.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




माथे पे गौरी के सिन्दूर-बिंदिया


शंकर के नेत्र विशाल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




उमा के कानों में हीरक कुंडल,


त्रिपुरारी के बिच्छू कान


मोहक छटा पार्वती-शिव की.....




कंठ शिवा के मोहक हरवा,


नीलकंठ के नाग.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




हाथ अपर्णा के मुक्ता कंगन,


बैरागी के डमरू हाथ.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




सती वदन केसर-कस्तूरी,


शशिधर भस्मी राख़.


मोहक छटा पार्वती-शिव की.....




महादेवी पहने नौ रंग चूनर,


महादेव सिंह-खाल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




महामाया चर-अचर रच रहीं,


महारुद्र विकराल.


मोहक छटा पार्वती-शिव की......




दुर्गा भवानी विश्व-मोहिनी,


औढरदानी उमानाथ.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...




'शान्ति' शम्भू लख जनम सार्थक,


'सलिल' अजब सिंगार.


मोहक छटा पार्वती-शिव की...


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भोले घर बाजे बधाई




मंगल बेला आयी, भोले घर बाजे बधाई ...




गौर मैया ने लालन जनमे,


गणपति नाम धराई.


भोले घर बाजे बधाई ...




द्वारे बन्दनवार सजे हैं,


कदली खम्ब लगाई.


भोले घर बाजे बधाई ...




हरे-हरे गोबर इन्द्राणी अंगना लीपें,


मोतियन चौक पुराई.


भोले घर बाजे बधाई ...




स्वर्ण कलश ब्रम्हाणी लिए हैं,


चौमुख दिया जलाई.


भोले घर बाजे बधाई ...


लक्ष्मी जी पालना झुलावें,


झूलें गणेश सुखदायी.

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