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मंगलवार, 26 अक्टूबर 2021

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला
संजीव
*
मैं मेहनत
तुम बनी प्रेरणा
हुए सफल।
*
देखा सपना
साथ तुम्हारे मैंने
पूरा होगा ही।
*
आ झूला झूलें
पेंग बढ़ाएँ ऐसी
आकाश छू लें।
*
आँखों आँखों में
बिन बोले बतियाँ
आओ कर लें।
*
क्या कहता है
धड़क रहा दिल?
दिल ही जाने।
*
२६-१०-२०२१

बुधवार, 8 सितंबर 2021

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला

*
हाइकु करे
शब्द-शब्द जीवंत
छवि भी दिखे।
*
सलिल धार
निर्मल निनादित
हरे थकान।
*
मेघ गरजा
टप टप मृदंग
बजने लगा।
*
किया प्रयास
शाबाशी इसरो को
न हो हताश
*
जब भी लिखो
हमेशा अपना हो
अलग दिखो।
८-९-२०१९
*

शनिवार, 22 मई 2021

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला:
संजीव
.
सागर माथा
नत हुआ आज फिर
देख विनाश.
.
झुक गया है
गर्वित एवरेस्ट
खोखली नीव
.
मनमानी से
मानव पराजित
मिटे निर्माण
.
अब भी चेतो
न करो छेड़छाड़
प्रकृति संग
.
न काटो वृक्ष
मत खोदो पहाड़
कम हो नाश
.
न हो हताश
करें नव निर्माण
हाथ मिलाएं.
.
पोंछने अश्रु
पीड़ितों के चलिए
न छोड़ें कमी
.

सोमवार, 26 अप्रैल 2021

हाइकु सलिला

नेपाल में भूकंपजनित महाविनाश के पश्चात रचित
हाइकु सलिला:
संजीव
.
सागर माथा
नत हुआ आज फिर
देख विनाश.
.
झुक गया है
गर्वित एवरेस्ट
खोखली नीव
.
मनमानी से
मानव पराजित
मिटे निर्माण
.
अब भी चेतो
न करो छेड़छाड़
प्रकृति संग
.
न काटो वृक्ष
मत खोदो पहाड़
कम हो नाश
.
न हो हताश
करें नव निर्माण
हाथ मिलाएं.
.
पोंछने अश्रु
पीड़ितों के चलिए
न छोड़ें कमी
.
२६.४.२०१५

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला
*
हाइकु लिखा
मन में झाँककर
अदेखा दिखा।
*
पानी बरसा
तपिश शांत हुई
मन विहँसा।
*
दादुर कूदा
पोखर में झट से
छप - छपाक।
*
पतंग उड़ी
पवन बहकर
लगा डराने
*
हाथ ले डोर
नचा रहा पतंग
दूसरी ओर
*

२१-७-२०१९ 

शनिवार, 30 मई 2020

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला:
हाइकु का रंग पलाश के संग
संजीव
*
करे तलाश
अरमानों की लाश
लाल पलाश
*
है लाल-पीला
देखकर अन्याय
टेसू निरुपाय
*
दीन न हीन
हमेशा रहे तीन
ढाक के पात
*
आप ही आप
सहे दुःख-संताप
टेसू निष्पाप
*
देख दुर्दशा
पलाश हुआ लाल
प्रिय नदी की
*
उषा की प्रीत
पलाश में बिम्बित
संध्या का रंग
*
फूल त्रिनेत्र
त्रिदल से पूजित
ढाक शिवाला
*
पर्ण है पन्त
तना दिखे प्रसाद
पुष्प निराला
*
मनुजता को
पत्र-पुष्प अर्पित
करे पलाश
*
होली का रंग
पंगत की पत्तल
हाथ का दौना
*
पहरेदार
विरागी तपस्वी या
प्रेमी उदास
*
३०-५-२०१५

शुक्रवार, 22 मई 2020

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला:
संजीव
.
सागर माथा
नत हुआ आज फिर
देख विनाश.
.
झुक गया है
गर्वित एवरेस्ट
खोखली नीव
.
मनमानी से
मानव पराजित
मिटे निर्माण
.
अब भी चेतो
न करो छेड़छाड़
प्रकृति संग
.
न काटो वृक्ष
मत खोदो पहाड़
कम हो नाश
.
न हो हताश
करें नव निर्माण
हाथ मिलाएं.
.
पोंछने अश्रु
पीड़ितों के चलिए
न छोड़ें कमी
.

शनिवार, 13 जुलाई 2019

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला 
*
ध्यान में ध्यान 
ध्यान पर न ध्यान 
तभी हो ध्यान। 
*
मुक्ति की चाह
रोकती है हमेशा
मुक्ति की राह।
*
खुद से ऊब
कैसे पायेगा राह?
खुद में डूब।
*
१३-७-२०१७
salil.sanjiv@gmail.com
#हिंदी_ब्लॉगिंग

हाइकु सलिला

हाइकु सलिला 
*
कल आएगा? 
सोचना गलत है
जो करो आज। 
*
लिखो हाइकु
कागज़-कलम ले
हर पल ही।
*

जिया में जिया
हर पल हाइकु
जिया ने रचा।
*
चाह कलम
मन का कागज़
भाव हाइकु।
*
शब्द अनंत
पढ़ो-सुनो, बटोरो
मित्र बनाओ।
*
शब्द संपदा
अनमोल मोती हैं
सदा सहेजो।
*
श्वास नदिया
आस नद-प्रवाह
प्रयास नौका।
****
१३-७-२०१७
salil.sanjiv@gmail.com
#हिंदी_ब्लॉगिंग