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शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

नुस्खे

आरोग्य-आशा:
स्व. शान्ति देवी वर्मा के नुस्खे
पारंपरिक चिकित्सा-विधि
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आपको ऐसे नुस्खे ज्ञात हों तो भेजें। इनका प्रयोग स्वविवेक से करें।
वायु भगाएँ दूर :
एक चुटकी अजवाइन में नीबू रस की कुछ बूँदें डालकर थोड़े से नमक के साथ मिलाकर रगड़ लें। आधा कप पानी के साथ सेवन करने पर कुछ देर बाद वायु निकलना प्रारम्भ हो जाएगी।
पांडु रोग / पीलिया :
अदरक की पतली-पतली फाँकें नीबू के रस में डूबा दें। इसमें अजवाइन के दाने तथा स्वाद के अनुसार नमक मिला दें। अदरक का रंग लाल होने पर तीन-चार बार सेवन करने पर पांडु रोग में लाभ होगा। 
इसक् साथ रोज सवेरे तथा शाम को किसी बगीचे या मैदान में जहाँ खूब पेड़-पौधे हों घूमना लाभदायक है। बगीचे में खूब गहरी-गहरी साँसें लें ताकि अधिक से अधिक ओषजन वायु शरीर में पहुँचे।
जोड़ों का दर्द:
सरसों के तेल में लहसुन तथा अजवाइन डालकर आग पर गरम करें। लहसुन काली पड़ने पर ठंडाकर छान लें और किसी शीशी में भर लें। इसकी मालिश करते समय ठंडी हवा न लगे। धीरे-धीरे दर्द कम होकर आराम मिलेगा।
कान दर्द:
यह तेल कान के दर्द को भी दूर करेगा। दाद, खारिश, खुजली में इसके उपयोग से लाभ होगा। कब्ज से बचें तथा कढ़ी, चांवल जैसा वायु बढ़ने वाला आहार न लें। 
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मंगलवार, 19 मई 2009

आरोग्य-आशा: स्व. शान्ति देवी


इस स्तम्भ के अंतर्गत पारंपरिक चिकित्सा-विधि के प्रचलित दिए जा रहे हैं। हमारे बुजुर्ग इन का प्रयोग कर रोगों से निजात पाते रहे हैं।

आपको ऐसे नुस्खे ज्ञात हों तो भेजें।



इनका प्रयोग आप अपने विवेक से करें, परिणाम के प्रति भी आप ही जिम्मेदार होंगे, लेखक या संपादक नहीं।



रोग: रक्त-अतिसार, खूनी-दस्त




बकरी के दूध में तिल का चूर्ण और मिश्री मिलकर पिलाने से रक्त-अतिसार जड़-मूल से दूर हो जाता है।



डालें बकरी-दूध में, मिसरी-तिल का चूर्ण.

रोग रक्त-अतिसार हो, नष्ट शीघ्र ही पूर्ण..



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