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बुधवार, 10 जुलाई 2019

द्विपदी

द्विपदी:
करें शिकवे-शिकायत आप-हम दिन-रात अपनों से 
कभी गैरों से कोई बात मन की कह नहीं सकता.

बुधवार, 10 जनवरी 2018

द्विपदी/शे'र

हम न होते जो आप जैसे तो
हममें रिश्ता कभी न हो पाता

मंगलवार, 10 अक्टूबर 2017

haiku, kashanika, janak chhand, soratha, sher, doha, muktak

हाइकु:
ईंट रेत का 
मंदिर मनहर 
देव लापता
क्षणिका :
*
पुज परनारी संग
श्री गणेश गोबर हुए.
रूप - रूपए का खेल,
पुजें परपुरुष साथ
पर
लांछित हुईं न लक्ष्मी
***
जनक छंद :
नोबल आया हाथ जब 
उठा गर्व से माथ तब 
आँख खोलना शेष अब
सोरठा :
घटे रमा की चाह, चाह शारदा की बढ़े 
गगन न देता छाँह, भले शीश पर जा चढ़े
***
शे'र : 
लिए हाथों में अपना सर चले पर 
नहीं मंज़िल को सर कर सके अब तक
दोहा :
तुलसी जब तुल सी गयी, नागफनी के साथ
वह अंदर यह हो गयी, बाहर विवश उदास.
मुकतक :
मेरा गीत शहीद हो गया, दिल-दरवाज़ा नहीं खुला
दुनियादारी हुई तराज़ू, प्यार न इसमें कभी तुला
राह देख पथराती अखियाँ, आस निराश-उदास हुई
किस्मत गुपचुप रही देखती, कभी न पाई विहँस बुला
***

बुधवार, 28 सितंबर 2016

कार्यशाला - समस्यापूर्ति  
 
*
सच कहूँ तो चोट उन को लगती है
झूठ कहने से जुबान मेरी जलती है - राज आराधना 
*

न कहो सच, न झूठ मौन रहो
सुख की चाहत, जुबान सिलती है -संजीव
*

मंगलवार, 15 मार्च 2016

sher aur dohe

द्विपदियाँ / अश'आर
*
जिस दर पर सजदा किया, मिला एक ही सत्य 
दुनिया ने बुत तराशे, जिसके उसे भुलाया 
*
कितनों से कहा, उससे मगर कह न सके हम 
जिसने हमें बनाया, आ! एक बार मिल 
*
चेहरे पे है सजाया, जिस नाज़नीं ने तिल 
कैसे उसे बतायें, यह है किसी का दिल
*
जैसे ही यह बताया हम हैं किसी काबिल
माशूक ने भिजवाया अपनी अदा का बिल
*
दोहा
तेवर देखें वक़्त के, करें सतत तदबीर
बदल सकेंगे तभी हम, कोशिश की तक़दीर
*
हाथ मिला, मुँह मोड़ना, है सत्ता का खेल
केर-बेर का ही हुआ, राजनीति में मेल
*

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

dwipadi

द्विपदियाँ (अश'आर)
*
उगते सूरज को करे, दुनिया सदा प्रणाम
तपते से बच,डूबते देख न लेती नाम
*
औरों के ऐब देखना, आसान है बहुत
तू एक निगाह, अपने आप पे भी डाल ले
*
आगाज़ के पहले जरा अंजाम सोच ले
शुरुआत किसी काम की कर, बाद में 'सलिल' 
*
उगते सूरज को करे, दुनिया सदा प्रणाम
तपते से बच,डूबते देख न लेती नाम
*
३-२-२०१६
अमरकंटक एक्सप्रेस बी २ /३५
बिलासपुर-भाटापारा 

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

sher

द्विपदि (शेर)
*
मुझ बिन न तुझमें जां रहे बोला ये तन से मन
मुझ बिन न तू यहां रहे, तन मन से कह रहा

*

sher

द्विपदि (शेर)
*
औरों की ताकिए न 'सलिल' आप घूम-घूम
बीबी, बहिन, दौलत कभी अपनी निहारिए    

*

sher

द्विपदि (शेर)
*
रटकर किताब से नकल की कॉपियों पे रोज
समझे न कुछ परीक्षा मगर पास हो गये  

*

sher

द्विपदि (शेर)
*
सिंदूर-तेल पोत देव हो गये पत्थर 
धंधा ये ब्यूटीपार्लर का आज का नहीं  

*

sher

द्विपदि (शेर)
*
आखर ही आखिरी में रहा आदमी के साथ 
बाकी कलम-दवात से रिश्ते फना हुए 

*

sher

द्विपदि (शेर)
*
जिसको न अपने आप पर विश्वास रह गया
वो आसरा तलाश खुद ही दास हो गया

*

sher

द्विपदि (शेर)
*
हर हसीं हँसी न होगी दिलरुबा कभी
दिल पंजीरी नहीं जो हर को आप बाँट दें

*

sher

द्विपदि (शेर)
*
औरों से पूछताछ की तूने बहुत 'सलिल'
खुद अपने आप से भी कभी बातचीत कर
*

बुधवार, 5 नवंबर 2014

dwipadiyan

द्विपदियां:

पहाड़ों को पुकारो तो सदा ही लौट आती है
न अपना ही बनाती है, न बेगाना बताती है
*
दिलवर के दिल का मिला, जब से दिल को राज
खुद से बेगाना हुआ, खो खुद का अंदाज़
*
शे'र कहे जब शेरनी, शेर सुने रह मौन
दे दहाड़ कर दाद तो, कहो बचाये कौन?
*
जिसने खुद को खो दिया, उसको मिला जहान
जिसने सब कुछ पा लिया, उसका पथ वीरान
*

शनिवार, 27 सितंबर 2014

kavita: sher aur adami

कविता:

शेर के बाड़े में
कूदा आदमी
शेर था खुश
कोई तो है जो
न घूरे दूर से
मुझसे मिलेगा
भाई बनकर.

निकट जा देखा
बँधी घिघ्घी
थी उसकी
हाथ जोड़े
गिड़गिड़ाता:
'छोड़ दो'

दया आयी
फेरकर मुख
चल पड़ा
नरसिंह नहीं
नरमेमने
जा छोड़ता हूँ

तब ही लगा
पत्थर अचानक
हुआ हमला
क्यों सहूँ मैं?
आत्मरक्षा
है सदा
अधिकार मेरा

सोच मारा
एक थप्पड़
उठा गर्दन
तोड़ डाली
दोष केवल
मनुज का है

***

बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

dwipadiyan: anjaan -sanjiv

द्विपदियाँ
अनजान 
संजीव
*
अनजान 
दुनिया को जानने की ज़िद करता रहा मगर
मैं अपने आप ही से अनजान रह गया.
*
दंगे-फसाद कर रहे वे जान-बूझकर
मौला भला किया मुझे अनजान ही रखा
*
जानवर अनजान हैं बुराई से 'सलिल'
इंसान जान कर बुराई पालता मिला
*
यूं तो नुमाइंदे हैं वे आम के मगर
हैं आम से अनजान खुद को ख़ास कह रहे
*
अनजान अपने आप से वह शख्स रह गया
जिसने उमर गुज़ार दी औरों की फ़िक्र में
*