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रविवार, 17 अक्टूबर 2021

गीत, छंद: रविशंकर, धनतेरस

गीत
*
छंद: रविशंकर
विधान:
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा
२. मात्रा क्रम लघु लघु गुरु लघु लघु
***
धन तेरस
बरसे रस...
*
मत निन्दित
बन वन्दित।
कर ले श्रम
मन चंदित।
रचना कर
बरसे रस।
मनती तब
धन तेरस ...
*
कर साहस
वर ले यश।
ठुकरा मत
प्रभु हों खुश।
मन की सुन
तन को कस।
असली तब
धन तेरस ...
*
सब की सुन
कुछ की गुन।
नित ही नव
सपने बुन।
रख चादर
जस की तस।
उजली तब
धन तेरस
***
१७-१०-२०१७ 

शनिवार, 17 अक्टूबर 2020

धनतेरस, रविशंकर छंद

धन तेरस पर नव छंद
गीत
*
छंद: रविशंकर
विधान:
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा
२. मात्रा क्रम लघु लघु गुरु लघु लघु
***
धन तेरस
बरसे रस...
*
मत निन्दित
बन वन्दित।
कर ले श्रम
मन चंदित।
रचना कर
बरसे रस।
मनती तब
धन तेरस ...
*
कर साहस
वर ले यश।
ठुकरा मत
प्रभु हों खुश।
मन की सुन
तन को कस।
असली तब
धन तेरस ...
*
सब की सुन
कुछ की गुन।
नित ही नव
सपने बुन।
रख चादर
जस की तस।
उजली तब
धन तेरस
***
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४

मंगलवार, 17 अक्टूबर 2017

dhan teras

धन तेरस पर नव छंद 
गीत 
*
छंद: रविशंकर
विधान:
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा 
२. मात्रा क्रम लघु लघु गुरु लघु लघु
***
धन तेरस
बरसे रस... 
*
मत निन्दित
बन वन्दित।
कर ले श्रम
मन चंदित।
रचना कर
बरसे रस।
मनती तब
धन तेरस ... 
*
कर साहस
पा ले यश। 
ठुकरा मत
प्रभु हों खुश।
मन की सुन
तन को कस।
असली तब
धन तेरस ...  
 *
सब की सुन
कुछ की गुन।
नित ही नव
सपने बुन। 
रख चादर
जस की तस। 
उजली तब
धन तेरस
***
divyanarmada.blogspot.com
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
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