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शनिवार, 22 सितंबर 2018

hasya rachna

हास्य रचना:
सीता-राम
*
लालू से
कालू मिला,
खुश हो किया सलाम।
बोला-
"जोड़ी जँच रही
जैसे सीता-राम।
लालू बोला-
'सच?
न क्यों, रावण हरता बोल?
समा न लेती भू कहो,
क्यों लाकर भूडोल??'
कालू बोला -
"दिख रही सीता सी भौजाई
राम सरीखे तुम नहीं
तकते गैर लुगाई।"
लालू बोला-
'लव किया रबड़ी से सच्चा 
प्यार इमरती से किया
समझ न तू कच्चा।'
कालू बोला -
"भा गया चारा तुझको यार
बेचारा इसलिए है
बैठ जेल बेकार।
***

गुरुवार, 18 सितंबर 2014

kundali: sanjiv

कुंडली:
संजीव
*
चीनी सेना घुस रही, भारत में हे राम!
स्वागत जिनपिंग का करें, हम तज शर्म तमाम
हम तज शर्म तमाम, पसारे हाथ खड़े हैं
है निवेश की आस, चरण पर हाय पड़े हैं
बंद करें आयात, न क्यों निज धरती छीनी
बदलें अपनी चाल तभी सुधरेंगे चीनी
*
हास्य कुंडली

'लालू जी! सुत आपका मेरा बच्चा एक
सचमुच नटखट है बहुत, लेकिन भोला नेक
लेकिन भोला नेक' सुना लालू चकराए
लाली यदि सुन सके तुरत शामत आ जाए
गए तुरत एकांत टालने नेता चालू
मिली नहीं तरकीब परेशां बेहद लालू

पूछा 'इमरतिया'? मगर गलत रहा अंदाज़
'हो जिलेबिया?', 'जी नहीं' जान न पाये राज़
'जुही?, चमेली?, गुलबिया?' पूछ-पूछ हैरान
'बच्चा कैसे? कब? कहाँ? सोच निकलती जान
हुए रुआँसे क्षमा माँग जब परिचय पूछा
'बच्चे की शिक्षिका' मिला तब उत्तर छूछा
*