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शनिवार, 6 जून 2009

बाल गीत: तोता और कैरी - कृष्णवल्लभ पौराणिक, इंदौर



तोता कैरी खाता है
कुतर -कुतर रह जाता है।

टें-टें करता रहे सदा

बच्चों के मन भाता है।

नहीं अकेला आता है।

मित्र साथ में लाता है।

टहनी पर बैठा होता जब

ताजी कैरी खाता है।

झूम-झूम लहराता है

खा-खाकर इठलाता है।

छोड़ अधूरी कैरी को

दूजी पर ललचाता है।


कभी न गाना गाता है

आम वृक्ष से नाता है।

काट कभी कैरी डंठल को
वह दाता बन जाता है।

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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

शिशु गीत --कृष्णवल्लभ पौराणिक, इंदौर


कुत्ता बोला भौं भौं भौं
गफलत में क्यों रहते?
चौंकन्ने तुन सदा रहो.

बिल्ली बोली म्याऊँ-म्याऊँ
भूख लगी है मुझको
क्या अन्दर आ जाऊँ?

मुर्गा बोला कुकडूकूं
भोर हो गयी मुन्ने
कब तक तुझे पुकारूँ?

गधा बोलता ढेंचू-ढेंचू
भर बहुत लड़ा है
मैं कैसे खैन्चूं?

घोड़ा हिन्-हिन् बोला
आओ! सैर कराऊँ
मैं तुमको हरदिन.

गाय बोली म्यां
मेरा बछडा नहीं मिला
वह खो गया कहाँ?

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