इस स्तम्भ में विश्व की किसी भी भाषा की श्रेष्ठ मूल रचना देवनागरी लिपि में, हिंदी अनुवाद, रचनाकार
का परिचय व चित्र, रचना की श्रेष्ठता का आधार जिस कारण पसंद है. संभव हो
तो रचनाकार की जन्म-निधन तिथियाँ व कृति सूची दीजिए. धरोहर में
सुमित्रा नंदन पंत, मैथिलीशरण गुप्त तथा नागार्जुन के पश्चात् अब आनंद लें सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी की रचनाओं
का।
४.स्व. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
निराला जी - गिरिजा कुमार माथुर
बाँधो न नाव...
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बाँधो न नाव इस ठांव बंधु!
पूछेगा सारा गाँव बंधु!!
वह घाट वही जिस पर हँसकर,
वह कभी नहाती थी धँसकर,
आँखें रह जाती थीं फँसकर,
कँपते थे दोनों पाँव बंधु!
बाँधो न नाव इस ठांव बंधु!
पूछेगा सारा गाँव बंधु!!
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वह हँसी बहुत कुछ कहती थी,
फिर भी अपने में रहती थी,
सबकी घुटती थी, सहती थी,
देती थी सबके दाँव बंधु!
बाँधो न नाव इस ठांव बंधु!
पूछेगा सारा गाँव बंधु!!
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