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सोमवार, 6 मई 2013

HINDI RHYME: SHUBH PRABHAT SANJIV

बाल गीत:
शुभ प्रभात
संजीव 'सलिल' 
***
 

शुभ प्रभात, गुड मोर्निंग,
आओ! खेलें खेल।
उछलें-कूदें, नाचें-गायें-
रख आपस में मेल।
*
कलियों से सीखें मुस्काना,
फूलों से नित खिलना।
चिड़ियों से सीखें संग रहना-
आसमान में उड़ना।
चलो! तोड़ दें बैर-भाव की-
मिलकर आज नकेल…
*
हरियाली दे शुद्ध हवा हँस,
बादल देता छैयां।
धूप अँधेरा हरकर थामे-
उजियारे की बैयां।
कोयल कहती मीठा बोलो
छोडो दूर झमेल
*


शनिवार, 12 जनवरी 2013

बाल गीत : रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया संजीव 'सलिल'



> बाल गीत :
> रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया
> संजीव 'सलिल'
> *
> रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया, आती है हँस नमन करो.
> जो कुछ अच्छा दिखे तुम्हें, वह जीवन-पाथेय वरो..
>
> जल्दी उठ व्यायाम करो, स्नान करो फिर ध्यान धरो.
शीश झुका, आशीष मिले, पा जीवन को चमन करो..
>
> सीखो मुश्किल से लड़ना, फूल-फलो हो विनत झरो.
> सरहद पर दुश्मन आए, पाठ पढ़ाओ नहीं डरो..
>
> भेद-भाव को दूर करो, सबमें समता भाव भरो.
> निर्बल का बल बनना है,
>
> अच्छा दिखे न जो- छोड़ो, पीर किसी की 'सलिल' हरो.
> मलिन न हो धरती माता, पर्यावरण सफाई करो..
>
> ****
>
>
> Sanjiv verma 'Salil'
> salil.sanjiv@gmail.com
> http://divyanarmada.blogspot.com

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

शिशु गीत सलिला : 7 संजीव 'सलिल'

शिशु गीत सलिला : 7
संजीव 'सलिल'
*

 61. फल
 



मेहनत का मिलता है फल,
कोशिश होती सदा सफल।
पौधा कली पुष्प मिलते-
तब ही मिलता उनको फल।।
काम आज का आज करो,
किसने देखा बोलो कल?

'सलिल' निरंतर बहता है 
झरना नदिया बन कलकल।।

*
62. नदी 




नदी न रुकती, बहती है,
हर मौसम चुप सहती है।
पानी मत गंदा करना-
सुनो तुम्हीं से कहती है।।
बारिश में उफनाती है,

माटी गिरती, ढहती है।
वृक्ष लगाओ किनारे पर-
स्वच्छ-शांत तब रहती है।।
*
63. तालाब


 

सभी का मन लुभाता है,
भरा तालाब में पानी।
कमल के फूल मन मोहें-
न पाटो, है ये नादानी।।

नहीं गहराई में जाना,
किनारे ही नहाना है।
बने हों घाट पर मंदिर-
वहीं सर को झुकाना है।।
*
64. झरना



धीरे-धीरे आता है,
फिर यह चाल बढ़ाता है।
कूद शिखर से गड्ढे में-
हँसता है, मस्ताता है।
लहरों-भँवरों को संग ले
पत्थर से टकराता है।
बैठ किनारे मौन सुनो-
गीत प्रीत के गाता है।।
*
65. सागर
 



सारी दुनिया की गागर,
यह विशाल नीला सागर।
किसने रंग दिया नीला?
यह लहरों का जलसा घर?


मछली, मगरमच्छ रहते,
नहीं किसी से कुछ कहते।
तूफानों को लेते झेल-
हर  कठिनाई मिल सहते।
*
66. मछली 




मछली पानी में भाती,
हाथ लगाओ डर जाती।
पानी को करती है साफ़-
बाहर निकले मर जाती।
*
67. बंदर
 



बंदर खेल दिखाता है,
सबको खूब रिझाता है।
दिख जाए फल अगर इसे-
खाने को ललचाता है।।
*
68. बंदरिया
 



पहने लाल घघरिया है,
नाची खूब बंदरिया है।
बच्चे बजा रहे ताली-
बंदर बना सँवरिया है।।
*
69. मुर्गा
 



सूरज जब उग आता है,
मुर्गा झट जग जाता है।
प्यारे बच्चों जग जाओ-
जमकर बांग लगता है।।
*
70. तितली
 



बगिया में जब खिली कली,
झूम-नाच खेले तितली।
भँवरे चाचा थाम रहे-
सम्हली, फिसली फिर सम्हली।।
*