कुल पेज दृश्य

gorakhpur shishu mrityu लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
gorakhpur shishu mrityu लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 13 अगस्त 2017

muktak

मुक्तक सलिला:
निरुपमा की उपमा कैसे शब्द कहेंगे?
अपनी अक्षमता पर लज कर मौन रहेंगे।
कसे कसौटी पर कवि बार-बार शब्दों को-
पूर्ण न तब भी, आंशिक ही कह 'वाह' गहेंगे।
*
असमय ही बिन खिले फूल कुछ मुरझाये,
मौसम कैसे हँसे, कहें कैसे गाये?
दोषी जो उनको भी ऐसी पीड़ा हो-
ईश्वर मंत्री, सचिव, प्रशासन दुःख पाए
*
आह निकलती मुख से, आँसू नैनों में.
जाएँ नर्क में जो झूठे हैं बैनों में।
जन जागे, नेताओं-अधिकारी को कुचले-
शर्म न किंचित भी है जिनके सैनों में। .......
*
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
http://divyanarmada.blogspot.com 
#हिंदी_ब्लॉगर