कुल पेज दृश्य

doha yamak shlesh anupras लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
doha yamak shlesh anupras लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 3 अप्रैल 2019

दोहा यमक, श्लेष, अनुप्रास

दोहा में अलंकार
खास-ख़ास बतला रहे, आया आम चुनाव।
ताव-भाव मत माँगते, मत दें भूख-अभाव।।
*
मिला भाग से भाग, गुणा-भाग कर भाग मत।
ले जो भाग सुभाग, उससे दूर न भागता।।
*
भाग = किस्मत, हिस्सा, हिसाब-किताब, दूर जाना, भाग लेना, सौभाग्य, अलग होता।
संवस, ३-४-२०१९
======
छंद सोरठा
अलंकार यमक
*
आ समान जयघोष, आसमान तक गुँजाया
आस मान संतोष, आ समा न कह कराया 
***
छंद सोरठा
अलंकार श्लेष
सूरज-नेता रोज, ऊँचाई पा तपाते
झुलस रहे हैं लोग, कर पूजा सर झुकाते
***
छंद दोहा
अलंकार वृत्यानुप्रास
*
अजर अमर अक्षर अजित, अविनाशी अमिताभ।
अचल अटल असुरारि अज, अलख अजल अजिताभ।।
***
अजय अभय अविकल अतुल, अविचल अतल असार।
अचर अनल अवसर अगम, अक्षु असर अबरार।।
***

संवस
१.४.२०१९
एक दोहा
*
सुन पढ़ सीख समझ जिसे, लिखा साल-दर साल।
एक निमिष में पढ़ लिया?, सचमुच किया कमाल।।
***
संवस
७९९९५५९६१८