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शुक्रवार, 18 जून 2010

- : शुभकामनायें : - कपिल- क्षिप्रा परिणय


- : पावन-परिणय शुभकामनायें : - 
आयुष्मान कपिल आत्मज श्रीमती रजनी - प्रो. नरेन्द्र वर्मा, नागपुर

संग

आयुष्मती क्षिप्रा आत्मजा श्रीमती - श्री अतुल खरे, छतरपुर.

*
परिणय पर्व,शनिवार १९.६.२०१०, नागपुर.

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*
. सकल 'सृष्टि' के रचनाकर्ता, चित्रगुप्त भगवान .
.. मातु नन्दिनी-माँ इरावती, राग-विराग निधान..
*
. रिद्धि-सिद्धि विघ्नेश नमन,  'विधि'-हरि-हर महिमावान .
.. भारत-भारती मातु नर्मदा, 'रवि'-'शशि' दें वरदान ..
*
. रीति सनातन, नीति पुरातन, प्रकृति-पुरुष हों एक .
.. चंदा-'पूनम', 'सूरज'-'ऊषा', सदृश रहें सविवेक ..
*
. श्वास-हास का, आस-रास का, नैसर्गिक सम्बन्ध .
.. नीर-क्षीर सम एक प्राण हों, अजर-अमर अनुबंध ..
*
. 'जग-लीला' हित 'जगन्नाथ' ने, किया नागपुर-वास .
.. जबलपुर से 'लीला' ने आ, धन्य किया आवास ..
*
. सुत 'नरेंद्र-रजनी' ने पाया, 'कपिल' नेक-अभिराम .
.. 'प्रगति' संग 'पंकज', 'योगी-अभिलाषा', मिले ललाम ..
*
. 'क्षिप्रा'- 'नेहा कीर्ति शांति यश' नेह-नर्मदा धार .
.. आये 'पुष्पा-अतुल' हुआ आभारी सब परिवार ..
*
. 'क्षिप्रा-प्रभा अजय' उज्जवल, ले नव 'आशा' भूपेश .
.. 'कपिल'- 'कृष्ण' सम निपुण,  कुशल ज्यों 'शरद-शिशिर-राजेश'..
*
. 'नीना-सविता-रेणु-स्मृति', 'राहुल-मुकुल अनंत' .
.. 'तान्या-नव्या तुहिना' दिव्या, प्रमुदित दिशा-दिगंत ..
*
. 'रचित-ऋतिक' मुद-मग्न सुन रहे, बन्ना-बन्नी गीत .
.. महाराष्ट्र-बुन्देलखण्ड' का मिलन, प्रीत की जीत ..
*
. चुटकी भर सिन्दूर, रखेगा 'मन्वन्तर' तक साथ .
.. मंगल-सूत्र-मुद्रिका हर्षित, देख हाथ-में हाथ ..
*
. बेंदा घूँघट नथ करधन,  चूड़ी पायल लालित्य .
.. कंगन अचकन पटका पगड़ी, कलगी नव आदित्य ..
*
. लज्जा हर्ष हुलास रुदन, बिछुड़ें-मिल अपने आज .
.. स्वागत, गारी, गीत विदाई के, गूँजें सँग साज ..
*
 . नयन उठे मिल सँकुच झुके, उठ मिल होते खुद बंद .
.. नयन बोलते बिन बोले ही, कहे-अनकहे छंद ..
*
. 'सलिल-साधना' सतत स्नेह की, देती परमानंद .
.. है 'अशोक' शुभ 'संध्या', दें वर आकर आनंदकंद ..
*
दुनिया का हर सुख पाओ, बढ़ वंश-बेल दे नाम.
.. सदन 'कपिल-क्षिप्रा' का हो, स्वर्गोपम तीरथ-धाम ..

******************

 शब्द-सुमनांजलि : आचार्य  संजीव  'सलिल', सम्पादक दिव्यनर्मदा नेट पत्रिका.
salil.sanjiv@gmail.com, 09425183244

रविवार, 6 जून 2010

शुभ कामनाएं : हर्षवर्धन-अमृता परिणय

II  ॐ परात्पर परम्ब्रम्ह देवाधिदेव श्री चित्रगुप्त नमः II
-- :: पावन परिणय :: --

आयुष्मान हर्षवर्धन आत्मज श्रीमती रेवती-श्री रमेश कुमार श्रीवास्तव, सिवनी
संग
आयुष्मती अमृता आत्मजा श्रीमती-श्री अजय कुमार रायजादा, जबलपुर
परिणय पर्व : मंगलवार ८.६.२०१०, माढ़ोताल, जबलपुर
शुभाशीष समारोह : बुधवार, ९.६.२०१०, बारापत्थर, सिवनी
*****

नव दम्पति अभिनन्दन
I ऋद्धि-सिद्धि-विघ्नेश गणपति, चित्रगुप्त प्रभु शत वन्दन I
II मातु नंदिनी-माँ इरावती, अर्पित भाव-सुरभि चन्दन II
*
I विधि-हरि-हर संग शारद-लक्ष्मी-शक्ति पधारें, दें आशीष I
II भारत माता, मातु नर्मदा, हों प्रसन्न यह वर दें ईश II
*
I सुरपुर में भैंरोप्रसाद जी-बाल गोविन्द मुदित-मन हैं I
II मिले रायजादा-श्रीवास्तव, भुज भर सबका वंदन है II
*
I बाज रही अँगना शहनाई, बजी बधाई है द्वारे इ
II 'रामकुंवर, ऋतुराज' सहित, स्वागतरत नभ-रवि-शशि-तारे II
*
I संस्कार सोलह शुभ थाती, प्रथा सनातन-पावन है II
II प्रकृति-पुरुष को द्वैत न भाये, शुभ अद्वैत मन-भावन है II 
*
I मुकुलित-मुदित 'हर्षवर्धन' पर, हुई 'अमृता' आज निसार I
II मनहर रूप 'अमृता' का लख, गया 'हर्षवर्धन' दिल हार II
*
I हुए समर्पण पल के साक्षी, 'विजया' संग 'रूपेश-नरेश' I
II 'शक्तिबोध, अरुणिमा, अनुपमा, तुहिना, तोशु, दिनेश, सुरेश II
*
I 'आरुषि, सूफी, सारा, विशु, मधुरिमा शशांक' झूम नाचें I
II 'पुष्पा' तन, 'शोभना' मुदित मन, स्वागत गीत मौन बाँचें II
*
I बिम्ब 'अन्नपूर्णा' का देखें, 'सुधीर, सलिल, चातक, अवधेश' I
II स्नेह-'साधना' का 'अभिषेक' करें, सब मिल वर दें अमरेश II
*
I सप्तपदी पर सात वचन दे-लेकर, सात जन्म का साथ I
                                II विहँस निभाएं नव दम्पति, रख कदम साथ, हाथों में हाथ II                                          *
I राम-सिया, शिव-शिवा सदृश ही, साथ तुम्हारा अमर रहे I
II  चाँद-चाँदनी, सूर्य-रश्मि सम, नेह नर्मदा सतत बहे II
*
शब्द-सुमनांजलि : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल',
संपादक दिव्यनर्मदा नेट पत्रिका.
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम / दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
चलभाष: ०९४२५१८३२४४

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गुरुवार, 3 जून 2010

शुभ-कामना : कपिल-क्षिप्रा परिणय

- : पावन-परिणय : - 

आयुष्मान कपिल आत्मज श्रीमती रजनी - प्रो. नरेन्द्र वर्मा, नागपुर

संग

आयुष्मती क्षिप्रा आत्मजा श्रीमती - श्री अतुल खरे, छतरपुर.

*
परिणय पर्व,शनिवार १९.६.२०१०, नागपुर.

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. सकल 'सृष्टि' के रचनाकर्ता, चित्रगुप्त भगवान .
.. मातु नन्दिनी-माँ इरावती, राग-विराग निधान..
*
. रिद्धि-सिद्धि विघ्नेश नमन,  'विधि'-हरि-हर महिमावान .
.. भारत-भारती मातु नर्मदा, 'रवि'-'शशि' दें वरदान ..
*
. रीति सनातन, नीति पुरातन, प्रकृति-पुरुष हों एक .
.. चंदा-'पूनम', 'सूरज'-'ऊषा', सदृश रहें सविवेक ..
*
. श्वास-हास का, आस-रास का, नैसर्गिक सम्बन्ध .
.. नीर-क्षीर सम एक प्राण हों, अजर-अमर अनुबंध ..
*
. 'जग-लीला' हित 'जगन्नाथ' ने, किया नागपुर-वास .
.. जबलपुर से 'लीला' ने आ, धन्य किया आवास ..
*
. सुत 'नरेंद्र-रजनी' ने पाया, 'कपिल' नेक-अभिराम .
.. 'प्रगति' संग 'पंकज', 'योगी-अभिलाषा', मिले ललाम ..
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. 'क्षिप्रा'- 'नेहा कीर्ति शांति यश' नेह-नर्मदा धार .
.. आये 'पुष्पा-अतुल' हुआ आभारी सब परिवार ..
*
. 'क्षिप्रा-प्रभा अजय' उज्जवल, ले नव 'आशा' भूपेश .
.. 'कपिल'- 'कृष्ण' सम निपुण,  कुशल ज्यों 'शरद-शिशिर-राजेश'..
*
. 'नीना-सविता-रेणु-स्मृति', 'राहुल-मुकुल अनंत' .
.. 'तान्या-नव्या तुहिना' दिव्या, प्रमुदित दिशा-दिगंत ..
*
. 'रचित-ऋतिक' मुद-मग्न सुन रहे, बन्ना-बन्नी गीत .
.. महाराष्ट्र-बुन्देलखण्ड' का मिलन, प्रीत की जीत ..
*
. चुटकी भर सिन्दूर, रखेगा 'मन्वन्तर' तक साथ .
.. मंगल-सूत्र-मुद्रिका हर्षित, देख हाथ-में हाथ ..
*
. बेंदा घूँघट नथ करधन,  चूड़ी पायल लालित्य .
.. कंगन अचकन पटका पगड़ी, कलगी नव आदित्य ..
*
. लज्जा हर्ष हुलास रुदन, बिछुड़ें-मिल अपने आज .
.. स्वागत, गारी, गीत विदाई के, गूँजें सँग साज ..
*
 . नयन उठे मिल सँकुच झुके, उठ मिल होते खुद बंद .
.. नयन बोलते बिन बोले ही, कहे-अनकहे छंद ..
*
. 'सलिल-साधना' सतत स्नेह की, देती परमानंद .
.. है 'अशोक' शुभ 'संध्या', दें वर आकर आनंदकंद ..
*
दुनिया का हर सुख पाओ, बढ़ वंश-बेल दे नाम.
.. सदन 'कपिल-क्षिप्रा' का हो, स्वर्गोपम तीरथ-धाम ..

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 शब्द-सुमनांजलि : आचार्य  संजीव  'सलिल', सम्पादक दिव्यनर्मदा नेट पत्रिका.
salil.sanjiv@gmail.com, 09425183244

गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

सौ. कां. शिल्पी एवं चि. पंकज के परिणय-पर्व पर शुभकामनाएँ


श्री चित्रगुप्ताय नमः

सौ. कां. शिल्पी एवं चि. पंकज के परिणय-पर्व पर शुभकामनाएँ

. श्री गणेश विघ्नेश्वर, ऋद्धि-सिद्धि के साथ .
.. विश्वनाथ जगदंबिका, रखें शीश पर हाथ ..



. चित्रगुप्त प्रभु शत नमन, जग-'शिल्पी' कर्मेश .
.. इरावती-नंदिनी माँ, रहिये सदय हमेश ..

. शतदल 'पंकज' सम खिले, मिले ह्रदय शत आज .
.. माई महामाया विनय, सफल करो शुभ काज ..

. आये अरपा-तीर से, गंगा-तट ले आस .
.. बने बनारस में सरस, श्वास-आस मधुमास ..

. काया में स्थित हुआ, परमब्रम्ह कायस्थ .
.. काया-काया से मिले, 'शोभा' काया स्वस्थ ..

. प्रकृति-पुरुष का सम्मिलन, रीति सनातन सत्य .
.. दो अपूर्ण मिल पूर्ण हों, नीर-क्षीर सम नित्य ..

. अनुगुंजन शहनाई की, 'रामाडा' में मीत .
.. स्वागत करती आपका, दिल हारें दिल जीत ..

. 'देवनारायण' दे रहे, सुरपुर से आशीष.
.. 'ज्वालाप्रसाद' मना रहे, शुभ करना हे ईश ..

. 'महावीर' स्वागत करें. भुज-भर 'राधेश्याम' .
.. 'प्रभावती' आशीष दें, 'प्रतिमा-प्रीती' ललाम ..

. शुभ-'प्रभात' कह 'आरती', 'संध्या' लिए 'विनीत' .
.. 'आशा-सत्य सहाय' से, पाई मंगल रीत ..

. 'प्यारेमोहन जी' नमन, 'रविप्रकाश-संदीप' .
.. खुश 'प्रशांत-संभ्रांत हों, शत स्वागत 'हरदीप' ..

. स्वागतरत हैं 'मुदित' मन, 'सागर, किरण, गजेन्द्र' .
.. 'आशा, मधु, तनया, तनय, सुरभि, प्रसन्न, नरेंद्र' ..

. 'दीप्ति, निर्मला, रेवती, ज्योति, अंशिका' झूम .
.. अरुण, अजय, पल्लवी' संग, 'नीरज' लें नभ चूम..

. 'अनुपम, शुचि, अनमोल' हैं, श्वास-आस संबंध .
.. 'पंकज, अंशुल, मोहिनी', नवल युगल अनुबंध ..

. 'मुकुल, वन्दना, प्रार्थना, निशा, साधना,-नाथ .
.. 'सलिल, अशोक, अनूप' हैं, 'हर्षित' जोड़े हाथ ..

. 'आभा' रमा-'रमेश' सी, 'मन्वंतर' तक दिव्य .
.. 'अनुश्री-तुहिना' मनायें, 'हों 'पृथीश' ये नव्य..

. अचकन पर बेंदा हुआ, हुलस-पुलक बलिहार .
.. कलगी नथनी पर गयी, निज अंतर्मन हार ..

. कंगन-चूड़ी की खनक, सुन पटका बेचैन .
.. लड़े झुके उठ मिल झुके, चार हुए जब नैन ..

. चुटकी भर सिन्दूर से, सात जन्म का संग .
.. सप्तपदी पर चल युगल, नहा रहा है गंग ..

. बन्ना-बन्नी गारियाँ, विदा-बधाई गीत .
.. ढोलक की हर थाप में, है 'सरोज' की प्रीत ..

. हुलसित हैं 'राजुल-अतुल', नर्तित हैं 'पीयूष' .
.. 'शिल्पी-पंकज' उम्र भर, पायें सुख प्रत्यूष ..

. चिर जीवहु जोरी जिए, पाए 'कीर्ति' सुनाम .
.. दस-दिश-छाये 'मंजुला', 'शिल्पी-पंकज' नाम ..

. 'खरे'-खरे व्यवहार कर, 'श्री वास्तव' में जीत .
.. नवल-युगल में नित बढे, 'सलिल' परस्पर प्रीत ..

*** शब्दसुमन: संजीव वर्मा 'सलिल' ***

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