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मंगलवार, 23 जुलाई 2019

मोहन छंद


छंद सलिला:
मोहन छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति रौद्राक, प्रति चरण मात्रा २३ मात्रा, यति ५-६-६-६, चरणांत गुरु लघु लघु गुरु
लक्षण छंद:
गोपियाँ / मोहन के / संग रास / खेल रहीं
राधिका / कान्हा के / रंग रंगी / मेल रहीं
पाँच पग / छह छह छह / सखी रखे / साथ-साथ
कहीं गुरु / लघु, लघु गुुरु / कहीं, गहें / हाथ-हाथ
उदाहरण:
१. सुरमयी / शाम मिले / सजन शर्त / हार गयी
खिलखिला / लाल हुई / चंद्र देख / भाग गयी
रात ने / जाल बिछा / तारों के / दीप जला
चाँद को / मोह लिया / हवा बही / हाय छला

२. कभी खुशी / गम कभी / कभी छाँव / धूप कभी
नयन नम / करो न मन / नमन करो / आज अभी
कभी तम / उजास में / आस प्यास / साथ मिले
कभी हँस / प्रयास में / आम-खास / हाथ मिले
३. प्यार में / हार जीत / जीत हार / प्यार करो
रात भी / दिवस लगे / दिवस रात / प्यार वरो
आह भी / वाह लगे / डाह तजो / चाह करो
आस को / प्यास करो / त्रास सहो / हास करो
९.५.२०१४ 
*********

मंगलवार, 9 जुलाई 2019

मोहन छंद

हिंदी ग़ज़ल / मुक्तिका 
[रौद्राक जातीय, मोहन छंद, ५,६,६,६]
*
''दिलों के / मेल कहाँ / रोज़-रोज़ / होते हैं''
मिलन के / ख़्वाब हसीं / हमीं रोज़ / बोते हैं 
*
बदन को / देख-देख / हो गये फि/दा लेकिन
न मन को / देख सके / सोच रोज़ / रोते हैं
*
न पढ़ अधि/क, ले समझ/-सोच कभी /तो थोड़ा
ना समझ / अर्थ राम / कहें रोज़ / तोते हैं
*
अटक जो / कदम गए / बढ़ें तो मि/ले मंज़िल
सफल वो / जो न धैर्य / 'सलिल' रोज़ / खोते हैं
*
'सलिल' न क/रिए रोक / टोक है स/फर बाकी
करम का / बोझ मौन / काँध रोज़ / ढोते हैं
***

गुरुवार, 9 मई 2019

मोहन छंद


छंद सलिला:
मोहन छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति रौद्राक, प्रति चरण मात्रा २३ मात्रा, यति ५-६-६-६, चरणांत गुरु लघु लघु गुरु
लक्षण छंद:
गोपियाँ / मोहन के / संग रास / खेल रहीं
राधिका / कान्हा के / रंग रंगी / मेल रहीं
पाँच पग / छह छह छह / सखी रखे / साथ-साथ
कहीं गुरु / लघु, लघु गुुरु / कहीं, गहें / हाथ-हाथ
उदाहरण:
१. सुरमयी / शाम मिले / सजन शर्त / हार गयी
खिलखिला / लाल हुई / चंद्र देख / भाग गयी
रात ने / जाल बिछा / तारों के / दीप जला
चाँद को / मोह लिया / हवा बही / हाय छला

२. कभी खुशी / गम कभी / कभी छाँव / धूप कभी
नयन नम / करो न मन / नमन करो / आज अभी
कभी तम / उजास में / आस प्यास / साथ मिले
कभी हँस / प्रयास में / आम-खास / हाथ मिले
३. प्यार में / हार जीत / जीत हार / प्यार करो
रात भी / दिवस लगे / दिवस रात / प्यार वरो
आह भी / वाह लगे / डाह तजो / चाह करो
आस को / प्यास करो / त्रास सहो / हास करो
*********
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

मंगलवार, 9 मई 2017

mohan chhand


छंद सलिला:
मोहन छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति रौद्राक, प्रति चरण मात्रा २३ मात्रा, यति ५-६-६-६, चरणांत गुरु लघु लघु गुरु
लक्षण छंद:
गोपियाँ / मोहन के / संग रास / खेल रहीं
राधिका / कान्हा के / रंग रंगी / मेल रहीं
पाँच पग / छह छह छह / सखी रखे / साथ-साथ
कहीं गुरु / लघु, लघु गुुरु / कहीं, गहें / हाथ-हाथ
उदाहरण:
१. सुरमयी / शाम मिले / सजन शर्त / हार गयी
खिलखिला / लाल हुई / चंद्र देख / भाग गयी
रात ने / जाल बिछा / तारों के / दीप जला
चाँद को / मोह लिया / हवा बही / हाय छला
२. कभी खुशी / गम कभी / कभी छाँव / धूप कभी
नयन नम / करो न मन / नमन करो / आज अभी
कभी तम / उजास में / आस प्यास / साथ मिले
कभी हँस / प्रयास में / आम-खास / हाथ मिले
३. प्यार में / हार जीत / जीत हार / प्यार करो
रात भी / दिवस लगे / दिवस रात / प्यार वरो
आह भी / वाह लगे / डाह तजो / चाह करो
आस को / प्यास करो / त्रास सहो / हास करो
९-५-२०१४
*********

शुक्रवार, 9 मई 2014

chhand salila: mohan chhand -sanjiv


छंद सलिला:   ​​​

मोहन छंद ​


संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति रौद्राक, प्रति चरण मात्रा २३ मात्रा, यति ५-६-६-६, चरणांत गुरु लघु लघु गुरु


लक्षण छंद:
   गोपियाँ / मोहन के / संग रास / खेल रहीं
   राधिका / कान्हा के / रंग रंगी / मेल रहीं
   पाँच पग / छह छह छह / सखी रखे / साथ-साथ

   कहीं गुरु / लघु, लघु गुुरु / कहीं, गहें / हाथ-हाथ

​उदाहरण:

१.  सुरमयी / शाम मिले / सजन शर्त / हार गयी
    खिलखिला / लाल हुई / चंद्र देख / भाग गयी
    रात ने / जाल बिछा / तारों के / दीप जला
    चाँद को / मोह लिया / हवा बही / हाय छला


२. कभी खुशी / गम कभी / कभी छाँव / धूप कभी
    नयन नम / करो न मन / नमन करो / आज अभी
    कभी तम / उजास में / आस प्यास / साथ मिले
    कभी हँस / प्रयास में / आम-खास / हाथ मिले

   

३. प्यार में / हार जीत / जीत हार / प्यार करो
    रात भी / दिवस लगे / दिवस रात / प्यार वरो
    आह भी / वाह लगे / डाह तजो / चाह करो
    आस को / प्यास करो / त्रास सहो / हास करो

                    *********

(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

गुरुवार, 27 मार्च 2014

chhand salila: mohan / saras chhand

छंद सलिला:
मोहन (सरस) छंद
संजीव
*
लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत लघु लघु लघु (नगण) होता है.  

लक्षण छंद:
शुभ छंद रच मोहन-सरस 

चौदह सुकल यति सात पर
प्रभु सुयश गा, नित कर नमन
चरणान्त में लघु तीन धर। 

उदाहरण:
१.
मोहो नहीं मोहन विनय 
   स्वीकार लो करुणा-अयन
   छोडो नहीं भव पार कर
  
निज शरण लो राधारमण।

२. जिसका दरस इतना सरस
   भज तो मिले पारस परस
   मिथ्या अहम् तजकर विहँस
   पा मुक्ति मत नाहक तरस।

३. छोड़ दल-हित, साध जन-हित
   त्याग दल-मत, पूछ जनमत
   छोड़ दुविधा, राज-पथ तज-
   त्याग सुविधा, वरो जन-पथ।

४. छोडो न रण वर लो विजय 
   धरती-गगन-नभ हो अभय
   मतिमान हो इंसान अब-
   भी हो नहीं वीरान अब।
 *********************************************
 (अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)