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मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

भव छंद सोमराजी छंद

छंद बहर का मूल है: १
छंद परिचय:
दस मात्रिक दैशिक जातीय भव छंद।
षडवार्णिक गायत्री जातीय सोमराजी छंद।
संरचना: ISS ISS,
सूत्र: यगण यगण, यय।
बहर: फ़ऊलुं फ़ऊलुं ।
*
कहेगा-कहेगा
सुनेगा-सुनेगा।
हमारा-तुम्हारा
फ़साना जमाना।
मिलेंगे-खिलेंगे
चलेंगे-बढ़ेंगे।
गिरेंगे-उठेंगे
बनेंगे निशाना।
न रोके रुकेंगे
न टोंके झुकेंगे।
कभी ना चुकेंगे
हमें लक्ष्य पाना।
नदी हो बहेंगे
न पीड़ा तहेंगे।
ख़ुशी से रहेंगे
सुनाएँ तराना।
नहीं हार मानें
नहीं रार ठानें।
नहीं भूल जाएँ
वफायें निभाना।
***

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

छंद-बहर दोउ एक हैं २

कार्य शाला 
छंद-बहर दोउ एक हैं २ 
*
गीत 
फ़साना 
(छंद- दस मात्रिक दैशिक जातीय, षडाक्षरी गायत्री जातीय सोमराजी छंद)
[बहर- फऊलुन फऊलुन १२२ १२२] 
*
कहेगा-सुनेगा 
सुनेगा-कहेगा 
हमारा तुम्हारा 
फसाना जमाना 
*
तुम्हें देखता हूँ
तुम्हें चाहता हूँ 
तुम्हें माँगता हूँ 
तुम्हें पूजता हूँ 
बनाना न आया 
बहाना बनाना 
कहेगा-सुनेगा 
सुनेगा-कहेगा 
हमारा तुम्हारा 
फसाना जमाना
*
तुम्हीं जिंदगी हो 
तुम्हीं बन्दगी हो 
तुम्हीं वन्दना हो 
तुम्हीं प्रार्थना हो 
नहीं सीख पाया 
बिताया भुलाना
कहेगा-सुनेगा 
सुनेगा-कहेगा 
हमारा तुम्हारा 
फसाना जमाना
*
तुम्हारा रहा है 
तुम्हारा रहेगा 
तुम्हारे बिना ना 
हमारा रहेगा 
कहाँ जान पाया 
तुम्हें मैं लुभाना 
कहेगा-सुनेगा 
सुनेगा-कहेगा 
हमारा तुम्हारा 
फसाना जमाना
***

शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

chhand bahar 2

कार्य शाला 
छंद-बहर दोउ एक हैं २
*
गीत
फ़साना 
(छंद- दस मात्रिक दैशिक जातीय, षडाक्षरी गायत्री जातीय सोमराजी छंद)
[बहर- फऊलुन फऊलुन १२२ १२२]
*
कहेगा-सुनेगा
सुनेगा-कहेगा
हमारा तुम्हारा
फसाना जमाना
*
तुम्हें देखता हूँ
तुम्हें चाहता हूँ
तुम्हें माँगता हूँ
तुम्हें पूजता हूँ
बनाना न आया
बहाना बनाना
कहेगा-सुनेगा
सुनेगा-कहेगा
हमारा तुम्हारा
फसाना जमाना
*
तुम्हीं जिंदगी हो
तुम्हीं बन्दगी हो
तुम्हीं वन्दना हो
तुम्हीं प्रार्थना हो
नहीं सीख पाया
बिताया भुलाना
कहेगा-सुनेगा
सुनेगा-कहेगा
हमारा तुम्हारा
फसाना जमाना
*
तुम्हारा रहा है
तुम्हारा रहेगा
तुम्हारे बिना ना
हमारा रहेगा
कहाँ जान पाया
तुम्हें मैं लुभाना
कहेगा-सुनेगा
सुनेगा-कहेगा
हमारा तुम्हारा
फसाना जमाना
***
उग, बढ़, झर पत्ते रहे,
रहे न कुछ भी जोड़
सीख न लेता कुछ मनुज,
कब चाहे दे छोड़
उग, बढ़, झर पत्ते रहे,
रहे न कुछ भी जोड़
सीख न लेता कुछ मनुज,
कब चाहे दे छोड़