कुल पेज दृश्य

baigan लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
baigan लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 7 मई 2010

बैंगन पर दोहे: संजीव वर्मा 'सलिल'

बैंगन पर दोहे: दोहा, सलिल,
संजीव वर्मा 'सलिल'
 baigan.jpg
'बैंगन' हूँ बेगुन नहीं, मुझे बनाओ मीत.

 'भटा' या कि 'भांटा' कहो, नहीं घटेगी प्रीत..

 आलू मेरा यार है, मन भायी है सेम.
 साथ हमारा अनूठा, जैसे साहब-मेम..

 काला नीला बैगनी, भाता रंग सफ़ेद.
 हिलमिल रहता सभी संग, यही खुशी का भेद..

 कर उपास दुबला बनूँ, खाकर गोल-मटोल.
उगूँ कछारों में लगूँ, छोटा-मोटा ढोल..
  hel-white-brinjal_small.jpg

  कट जाता हूँ मौन रह, खाओ तल या भून.
  ना मैं आँसू बहाता, नहीं बहाता खून..

  भीतर से हूँ नर्म मैं, आता सबके काम.

  भेदभाव करता नहीं, भला करेंगे राम..

  तुरत पकायें या सुखा, जैसा भाये स्वाद.  

  ऊगूँ क्यारी-खेत में, दो या मत दो खाद..

  मिर्ची-लहसुन संग रुचे, भर्ता बाटी दाल.

  DSC05495p.jpg
  फूल बैंगनी हँस रहे, लेकर कर में शूल.
  फलने दो तोड़ो नहीं, कहती माटी-धूल..
  शादी की पंगत सभी, मेरे बिन बेहाल..

  'थाली का बैगन' कहें, लोग न आती लाज.

  सांसद हूँ सब्जियों का, करता सब पर राज..

  मित्र टमाटर को मिला नन्हा सिर पर ताज.

  मेरे सिर का ताज है, बड़ा- कहो सरताज..

  ********************************
   दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम