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शनिवार, 16 जून 2012

जागरण गीत: क्यों सो रहा..... संजीव 'सलिल'

जागरण गीत:
क्यों सो रहा.....
संजीव 'सलिल'
*
क्यों सो रहा मुसाफिर,
उठ भोर रही है.
चिड़िया चहक-चहककर,
नव आस बो रही है.
*
मंजिल है दूर तेरी,
कोई नहीं ठिकाना.
गैरों को माने अपना-
तू हो गया दीवाना.
आये घड़ी न वापिस
जो व्यर्थ खो रही है...
*
आया है हाथ खाली,
जायेगा हाथ खाली.
नातों की माया नगरी
तूने यहाँ बसा ली.
जो बोझ जिस्म पर है
चुप रूह ढो रही है...
*
दिन सोया रात जागा,
सपने सुनहरे देखे.
नित खोट सबमें खोजे,
नपने न अपने लेखे.
आँचल के दाग सारे-
की नेकी धो रही है...
*

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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