कुल पेज दृश्य

कशानिका लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कशानिका लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 26 मार्च 2018

haiku, mahiya, kashnika, pyaramid,

विधा विविधा:
हाइकु:
(त्रिपदिक वाचिक जापानी छंद ५-७-५ ध्वनि) 
.
गुलाब खिले 
तुम्हारे गालों पर
निगाह मिले.
*
माहिया:
(त्रिपदिक मात्रिक पंजाबी छंद, १३-१०-१३ मात्रा)
.
मत माँगने मत आना
जुमला वादों को
कह चाहते बिसराना.
*
क्षणिका:
( नियम मुक्त)
.
मन-पंछी
उड़ा नीलाभ नभ में
सिंदूरी प्राची से आँख मिलाने,
झटपट भागा
सूरज ने आँख तरेरी
लगा धरती को जलाने.
***
चित्र अलंकार: समकोण त्रिभुज
(वर्ण पिरामिड: ७ पंक्ति, वर्ण क्रमश: १ से ७)
मैं
भीरु
कायर
डरपोंक,
हूँ भयभीत
वर्ण पिरामिड
लिखना नहीं आता.
*
हो
तुम
साहसी
पराक्रमी
बहादुर भी
मुझ असाहसी
को झेलते रहे हो.
*

हो 
गया 
अवाक्, 
घटनाएँ 
सतत घट, 
कर अचंभित 
कहें मत रुकना।   
 *
२५.३.२०१८

गुरुवार, 28 मई 2009

काव्य-किरण: चुटकी - अमरनाथ




नव काव्य विधा: चुटकी



समयाभाव के इस युग में बिन्दु में सिन्धु समाने का प्रयास सभी करते हैं। शहरे-लखनऊ के वरिष्ठ रचनाकार अभियंता अमरनाथ ने क्षणिकाओं से आगे जाकर कणिकाओं को जन्म दिया है जिन्हें वे 'चुटकी' कहते हैं।



चुटकी काटने की तरह ये चुटकियाँ आनंद और चुभन की मिश्रित अनुभूति कराती हैं। अंगरेजी के paronyms की तरह इसकी दोनों पंक्तियों में एक समान उच्चारण लिए हुए कोई एक शब्द होता है जो भिन्नार्थ के कारण मजा देता है।





गीता



जब से देखा तुझको गीता.



भूल गया मैं पढ़ना गीता..




काले खां



नाम रखा है काले खां



दिल के भी वे काले खां...




दो राह

चले सदा दो राहों पर. .

पर मिले सदा दोराहों पर॥




नाना



नाना चीजें लाते नाना..

कभी पाइनेपिल कभी बनाना..


पालतू

है यह कुत्ता पालतू।

पाल सके तो, पाल तू॥




*********************