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बुधवार, 14 अप्रैल 2021

दोहा मानवता

मानवता पर दोहे
*
मानवता के नाम पर, मजलिस बनी कलंक
शहर शहर को चुभ रहा, यह तबलीगी डंक
*
मानवता कह रही है, आज पुकार पुकार
एकाकी रहकर करो, कोरोना पर वार
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मानवता लड़ रही है, अजब-अनूठी जंग
साधनहीनों की मदद, मानवता का रंग
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मानवता के घाट पर, बैठे राम-रसूल
एक दूसरे की मदद, करें न लड़ते भूल
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मानवता के बन गए, तबलीगी गद्दार
रहम न कर सख्ती करे, जेल भेज सरकार
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मानवता लिख रही है, एक नया अध्याय
कोरोना से जीतकर, बनें ईश पर्याय
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मानवता को बचाते, डॉक्टर पुलिस शहीद
मिल श्रद्धांजलि दें करें, अर्पित होली ईद
***
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर
९४२५१८३२४४