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रविवार, 21 फ़रवरी 2021

नवगीत बदले मिजाज

नवगीत: 
बदले मिज़ाज
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
.
जन चाहता
बदले मिज़ाज
राजनीति का
.
भागे न
शावकों सा
लड़े आम आदमी
इन्साफ मिले
हो ना अब
गुलाम आदमी
तन माँगता
शुभ रहे काज
न्याय नीति का
.
नेता न
नायकों सा
रहे आम आदमी
तकलीफ
अपनी कह सके
तमाम आदमी
मन चाहता
फिसले न ताज
लोकनीति का
(रौद्राक छंद)
*
२१-२-२०१५