एक कविता : दो कवि
शिखा:
एक मिसरा कहीं अटक गया है
दरमियाँ मेरी ग़ज़ल के
जो बहती है तुम तक
जाने कितने ख़याल टकराते हैं उससे
और लौट आते हैं एक तूफ़ान बनकर
कई बार सोचा निकाल ही दूँ उसे
तेरे मेरे बीच ये रुकाव क्यूँ?
फिर से बहूँ तुझ तक बिना रुके
पर ये भी तो सच है
कि मिसरे पूरे न हों तो
ग़ज़ल मुकम्मल नहीं होती
*
संजीव
ग़ज़ल मुकम्मल होती है
तब जब
मिसरे दर मिसरे
दूरियों पर पुल बनाती है
बह्र और ख़याल
मक्ते और मतले
एक दूसरे को अर्थ देते हैं
गले मिलकर
काश! हम इंसान भी
साँसों और आसों के मिसरों से
पूरी कर सकें ज़िंदगी की ग़ज़ल
जिसे गुनगुनाकर कहें:
आदाब अर्ज़
आ भी जा ऐ अज़ल!
***
२९-४-२०१५
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 29 अप्रैल 2021
शनिवार, 12 अक्टूबर 2019
सरस्वती वंदना शिखा
शिखा स्वरूप
हे माँ! तुझे प्रणाम
स्वर दे, वर दे वरदे!
विद्या-ज्ञान ह्रिदय में भर दे
दे नव जीवन-उत्थान
हे माँ! तुझे प्रणाम
कल दे , बल दे , दल दे
बुद्धिदात्री हे! कलरव कर दे
जीवन घट में भर दे ज्ञान
हे माँ! तुझे प्रणाम
उच्च शिखर तक जाऊँ मैं
अमर मृत्यु कर जाऊँ मैं
विन्ध्येश्वरी! दो वरदान
हे माँ! तुझे प्रणाम
वेदत्रयी, ओ कालजयी!
सकल विश्व की महामयी
हर संकट; दो त्राण
हे माँ! तुझे प्रणाम
चरण शरण हूँ मातु तुम्हारी
नित सविनय आरती उतारी
करूँ मातु जय गान
हे माँ! तुझे प्रणाम
*
सरस्वती महामाया
सरस्वती महामाया महायोगिन्यधीश्वरी
विद्येश्वरीं नमस्तुभ्यं प्रज्ञांदात्री नमो नम:
महा गौरी महाकाली महालक्ष्मी द्विजप्रिया:
विश्वेश्वरी कालजयी ब्रह्मेश्वरी नमो नम:
विद्युन्माला महोत्साहा दिव्यांका कमलासनी
शुभ्रवस्त्रा धवलप्रिया सिद्धिदात्री नमो नम:
नमो द्वि जगद्धात्री वाग्धिष्ठातृ देवताम्
शुक्लवर्णां सुपूजितां परमेश्वरी नमो नम:
वैष्णवी सावित्री सौदामिनी सुवासिनी
ब्राह्मी विश्वा वाग्देवी महाभागा नमो नम:
नमस्तुभ्यं जया जटिला ब्रह्मजाया त्रिकालजा
वेदमाता ब्रह्मविद्या तमविनाशा नमो नम:
नादरूपा तालदात्री गायत्री सर्वमंगला
विशालाक्षी कमलनयना चतुराननी नमो नम:
***
आत्मजा - श्रीमती अनीता - श्री विजय शुक्ल।
शिक्षा - एम. ए. अंग्रेजी।
ईमेल - shikha.shikhaswaroop.swaroop8@gmail.com
*
हे माँ! तुझे प्रणामहे माँ! तुझे प्रणाम
स्वर दे, वर दे वरदे!
विद्या-ज्ञान ह्रिदय में भर दे
दे नव जीवन-उत्थान
हे माँ! तुझे प्रणाम
कल दे , बल दे , दल दे
बुद्धिदात्री हे! कलरव कर दे
जीवन घट में भर दे ज्ञान
हे माँ! तुझे प्रणाम
उच्च शिखर तक जाऊँ मैं
अमर मृत्यु कर जाऊँ मैं
विन्ध्येश्वरी! दो वरदान
हे माँ! तुझे प्रणाम
वेदत्रयी, ओ कालजयी!
सकल विश्व की महामयी
हर संकट; दो त्राण
हे माँ! तुझे प्रणाम
चरण शरण हूँ मातु तुम्हारी
नित सविनय आरती उतारी
करूँ मातु जय गान
हे माँ! तुझे प्रणाम
*
सरस्वती महामाया
विद्येश्वरीं नमस्तुभ्यं प्रज्ञांदात्री नमो नम:
महा गौरी महाकाली महालक्ष्मी द्विजप्रिया:
विश्वेश्वरी कालजयी ब्रह्मेश्वरी नमो नम:
विद्युन्माला महोत्साहा दिव्यांका कमलासनी
शुभ्रवस्त्रा धवलप्रिया सिद्धिदात्री नमो नम:
नमो द्वि जगद्धात्री वाग्धिष्ठातृ देवताम्
शुक्लवर्णां सुपूजितां परमेश्वरी नमो नम:
वैष्णवी सावित्री सौदामिनी सुवासिनी
ब्राह्मी विश्वा वाग्देवी महाभागा नमो नम:
नमस्तुभ्यं जया जटिला ब्रह्मजाया त्रिकालजा
वेदमाता ब्रह्मविद्या तमविनाशा नमो नम:
नादरूपा तालदात्री गायत्री सर्वमंगला
विशालाक्षी कमलनयना चतुराननी नमो नम:
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