कुल पेज दृश्य

abhar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
abhar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 20 अगस्त 2018

abhar

आभार
आपसे शुभ कामना पा, हुआ यह दिन ख़ास
साँस में अमृत घुला ज्यों, सुमन में सुवास
ईश्वर दे पात्रता, बढ़ता रहे नित स्नेह
ज्यों की त्यों चादर रहे, जब जाऊँ अपने गेह
ह्रदय से आभार प्रिय! अनमोल है यह प्यार
जिंदगी के द्वार पर है यही बन्दनवार 

  

रविवार, 29 अक्टूबर 2017

muktak,

मुक्तक 
*
स्नेह का उपहार तो अनमोल है
कौन श्रद्धा-मान सकता तौल है? 
भोग प्रभु भी आपसे ही पा रहे
रूप चौदस भावना का घोल है
*
स्नेह पल-पल है लुटाया आपने।
स्नेह को जाएँ कभी मत मापने
सही है मन समंदर है भाव का
इष्ट को भी है झुकाया भाव ने
*
फूल अंग्रेजी का मैं,यह जानता
फूल हिंदी की कदर पहचानता
इसलिए कलियाँ खिलता बाग़ में
सुरभि दस दिश हो यही हठ ठानता
*
उसी का आभार जो लिखवा रही
बिना फुरसत प्रेरणा पठवा रही
पढ़ाकर कहती, लिखूँगी आज पढ़
सांस ही मानो गले अटका रही
*

गुरुवार, 27 जुलाई 2017

kshanika

क्षणिकायें:
१. आभार
*
आभार
अर्थात आ भार.
तभी कहें
जब सकें स्वीकार
*
२. वरदान
*
ज़िन्दगी भरा चाहा
किन्तु न पाया.
अवसर मिला
तो नाहक गँवाया.
मन से किया
कन्यादान.
पर भूल गए
करना वरदान.
*
३. कविता
भाव सलिला से
दर्द की उषा किरण
जब करती है अठखेली
तब जिंदगी
उसे बनाकर सहेली
कर देती है कविता.
*
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
#हिंदी_ब्लॉगर