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मंगलवार, 16 नवंबर 2021

नीति के दोहे

नीति के दोहे
*
बैर न दुर्जन से करें, 'सलिल' न करिए स्नेह
काला करता कोयला, जले जला दे देह
*
बुरा बुराई कब तजे, रखे सदा अलगाव
भला भलाई क्यों तजे?, चाहे रहे निभाव
*
असफलता के दौर में, मत निराश हों मीत
कोशिश कलम लगाइए, लें हर मंज़िल जीत
*
रो-रो क़र्ज़ चुका रही, संबंधों का श्वास
भूल-चूक को भुला दे, ले-दे कोस न आस
*
ज्ञात मुझे मैं हूँ नहीं, यार तुम्हारा ख्वाब
मन चाहे मुस्कुरा लो, मुझसे कली गुलाब

*

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

दोहा सलिला नीति

दोहा सलिला (नीति)
संजीव
*
कहे सफलता-कहानी, मात्र एक संदेश 
मिले विफलता-कथा से, नव पथ का निर्देश 
*
तर्क तुम्हें ले जाएगा, और एक सोपान 
दिखलायेगी कल्पना, नीला भव्य वितान 
*
भोज्य स्वास्थ्यकर यदि नहीं, औषध करे न काम 
भोज्य स्वास्थ्यकर है अगर, औषध पड़े न काम 
*
क्या लाए हो कमाकर?, पूछे बीबी रोज
कुछ खाया भी या नहीं? माँ ही करती खोज 
*   

मंगलवार, 20 नवंबर 2012

दोहा सलिला: नीति के दोहे संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला



नीति के दोहे
संजीव 'सलिल'
*
रखें काम से काम तो, कर पायें आराम .
व्यर्थ  घुसेड़ें नाक तो हो आराम हराम।।

खाली रहे दिमाग तो, बस जाता शैतान।
बेसिर-पैर विचार से, मन होता हैरान।।

फलता है विश्वास ही, शंका हरती बुद्धि।
कोशिश करिए अनवरत, 'सलिल' तभी हो शुद्धि।।

सकाराsत्मक साथ से, शुभ मिलता परिणाम।
नकाराsत्मक मित्रता, हो घातक अंजाम।।


दोष गैर के देखना, खुद को करता हीन।
अपने दोष सुधारता, जो- वह रहे न दीन।।

औसत बुद्धि करे सदा, घटनाओं पर सोच।
तेज दिमाग विकल्प को सोचे रखकर लोच।।

जो महान वह मौन रह, करता काम तमाम।
दोष गैर के देख कर, करे न काम तमाम।।

रचनात्मक-नैतिक रहे, चिंतन रखिए ध्यान।
आस और विश्वास ही, लेट नया विहान।।

मत संकल्प-विकल्प में, फँसिए आप हुजूर।
सही निशाना साधिए, आयें हाथ खजूर।।

बदकिस्मत हैं सोचकर, हों प्रिय नहीं हताश।
कोशिश सकती तोड़ हर, असफलता का पाश।।

***