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शनिवार, 13 जुलाई 2013

gyan-vigyan: smaran shakti barhayen

ज्ञान-विज्ञान

Photo: स्मरणशक्ति कैसे बढ़ायें?

अच्छी और तीव्र स्मरण शक्ति के लिए हमें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ, सबल और निरोग रहना होगा। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और सशक्त हुए बिना हम अपनी स्मृति को भी अच्छी और तीव्र नहीं बनाये रख सकते।

आप यह बात ठीक से याद रखें कि हमारी यादशक्ति हमारे ध्यान पर और मन की एकाग्रता पर निर्भर करती है। हम जिस तरफ जितना ज्यादा एकाग्रतापूर्वक ध्यान देंगे, उस तरफ हमारी विचारशक्ति उतनी ज्यादा केन्द्रित हो जायेगी। जिस कार्य में भी जितनी अधिक तीव्रता, स्थिरता और शक्ति लगायी जायेगी, उतनी गहराई और मजबूती से वह कार्य हमारे स्मृति पटल पर अंकित हो जायेगा।

स्मृति को बनाये रखना ही स्मरणशक्ति है और इसके लिए जरूरी है सुने हुए व पढ़े हुए विषयों का बार-बार मानना करना, अभ्यास करना। जो बातें हमारे ध्यान में बराबर आती रहती हैं, उनकी याद बनी रहती है और जो बातें लम्बे समय तक हमारे ध्यान में नहीं आतीं, उन्हें हम भूल जाते हैं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने अभ्यासक्रम (कोर्स) की किताबों को पूरे मनोयोग से एकाग्रचित्त होकर पढ़ा करें और बारंबार नियमित रूप से दोहराते भी रहें। फालतू सोच विचार करने से, चिंता करने से, ज्यादा बोलने से, फालतू बातें करने से, झूठ बोलने से या बहाने बाजी करने से तथा कार्य के कार्यों में उलझे रहने से स्मरणशक्ति नष्ट होती है।

बुद्धि कहीं बाजार में मिलने वाली चीज नही है, बल्कि अभ्यास से प्राप्त करने की और बढ़ायी जाने वाली चीज है। इसलिए आपको भरपूर अभ्यास करके बुद्धि और ज्ञान बढ़ाने में जुटे रहना होगा।

विद्या, बुद्धि और ज्ञान को जितना खर्च किया जाय उतना ही ये बढ़ते जाते हैं जबकि धन या अन्य पदार्थ खर्च करने पर घटते हैं। विद्या की प्राप्ति और बुद्धि के विकास के लिए आप जितना प्रयत्न करेंगे, अभ्यास करेंगे, उतना ही आपका ज्ञान और बौद्धिक बल बढ़ता जायगा।

सतत अभ्यास और परिश्रम करने के लिए यह भी जरूरी है कि आपका दिमाग और शरीर स्वस्थ व ताकतवर बना रहे। यदि अल्प श्रम में ही आप थक जायेंगे तो पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा समय तक मन नहीं लगेगा। इसलिए निम्न प्रयोग करें।

आवश्यक सामग्रीः शंखावली (शंखपुष्पी) का पंचांग कूट-पीसकर, छानकर, महीन, चूर्ण करके शीशी में भर लें। बादाम की 2 गिरी और तरबूज, खरबूजा, पतली ककड़ी और मोटी खीरा ककड़ी इन चारों के बीज 5-5 ग्राम, 2 पिस्ता, 1 छुहारा, 4 इलायची (छोटी), 5 ग्राम सौंफ, 1 चम्मच मक्खन और एक गिलास दूध लें।

विधिः रात में बादाम, पिस्ता, छुहारा और चारों मगज 1 कप पानी में डालकर रख दें। प्रातःकाल बादाम का छिलका हटाकर उन्हें दो बार बूँद पानी के साथ पत्थर पर घिस लें और उस लेप को कटोरी में ले लें। फिर पिस्ता, इलायची के दाने व छुहारे को बारीक काट-पीसकर उसमें मिला लें। चारों मगज भी उसमें ऐसे ही डाल लें। अब इन सबको अच्छी तरह मिलाकर खूब चबा-चबाकर खा जायें। उसके बाद 3 ग्राम शंखावली का महीन चूर्ण मक्खन में मिलाकर चाट लें और एक गिलास गुनगुना मीठा दूध 1-1 घूँट करके पी लें। अंत में, थोड़े सौंफ मुँह में डालकर धीरे-धीरे 15-20 मिनट तक चबाते रहें और उनका रस चूसते रहें। चूसने के बाद उन्हें निगल जायें।

लाभः यह प्रयोग दिमागी ताकत, तरावट और स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए बेजोड़ है। साथ ही साथ यह शरीर में शक्ति व स्फूर्ति पैदा करता है। लगातार 40 दिन तक प्रतिदिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर खाली पेट इसका सेवन करके आप चमत्कारिक लाभ देख सकते हैं।

यह प्रयोग करने के दो घंटे बाद भोजन करें। उपरोक्त सभी द्रव्य पंसारी या कच्ची दवा बेचने वाले की दुकान से इकट्ठे ले आयें और 15-20 मिनट का समय देकर प्रतिदिन तैयार करें। इस प्रयोग को आप 40 दिन से भी ज्यादा, जब तक चाहें कर सकते हैं।

एक अन्य प्रयोगः एक गाजर और लगभग 50-60 ग्राम पत्ता गोभी अर्थात् 10-12 पत्ते काटकर प्लेट में रख लें। इस पर हरा धनिया काटकर डाल दें। फिर उसमें सेंधा नमक, काली मिर्च का चूर्ण और नींबू का रस मिलाकर खूब चबा चबाकर नाश्ते के रूप में खाया करें।
भोजन के साथ एक गिलास छाछ भी पिया करें।

1) जड़-पत्तों सहित ब्राह्मी को उखाडकर एवं जल से धोकर ओखली में कुटे और कपडे में छाल ले. तत्पश्चात उसके एक तोले रस में छह माशे गौ घृत डालकर पकावे और हल्दी, आँवला, कूट, निसोत, हरड, चार-चार तोले, पीपल, वायविडंग, सेंधा नमक, मिश्री और बच एक-एक तोले इन सबकी चटनी उसमे डालकर मंद आग पर पकावे. जब पानी सुख जाए और घृत शेष रहे, तो उसे छानकर, लेवे और प्रतिदिन प्रातः काल एक तोला घृत चाटे. इसके सेवन से वाणी शुद्ध होती है. सात दिन तक सेवन करने से अनेक शास्त्रों को धारण कराता है. १८ प्रकार के कोढ़, ६ प्रकार के बवासीर, २ प्रकार के गुल्मी, २० प्रकार के प्रमेह और खाँसी दूर होती है. बंध्या स्त्री और अल्प वीर्य वाले मनुष्टों के लिए यह सारस्वत घृत वर्ण, वायु और बल को बढाता है. –चक्रदत्त.

२) बच का एक माशा चूर्ण जल, दूध या घृत के साथ एक मास सेवन करने से मनुष्य पंडित और बुद्धिमान बन जाता है. –वृहन्नीघण्टु

३) बेल कि जड़ का छाल और शतावरी का क्वाथ प्रतिदिन दूध के साथ स्नान और हवन के पश्चात पीजिए. इससे आयु और बुद्धि कि वृद्धि होती है. –सुश्रुत

४) गिलोय, ओंगा, वायविडंग, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, बच, सोंठ और शतावर इन सबको बराबर लेकर कूट-छानकर चूर्ण बनावे और प्रातःकाल चार माशे मिश्री के साथ चाटे, तो तीन हजार श्लोक कंठस्थ करने कि शक्ति हो जाती है.

सावधानियाँ

रात को 9 बजे के बाद पढ़ने के लिए जागरण करें तो आधे-आधे घंटे के अंतर पर आधा गिलास ठंडा पानी पीते रहें। इससे जागरण के कारण होने वाला वातप्रकोप  नहीं होगा। वैसे 11 बजे से पहले सो जाना ही उचित है।

लेटकर या झुके हुए बैठकर न पढ़ा करें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर बैठें। इससे आलस्य या निद्रा का असन नहीं होगा और स्फूर्ति बनी रहेगी। सुस्ती महसूस हो तो थोड़ी चहलकदमी करें। नींद भगाने के लिए चाय या सिगरेट का सेवन कदापि न करें।

स्मरणशक्ति कैसे बढ़ायें?

अच्छी और तीव्र स्मरण शक्ति के लिए हमें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ, सबल और निरोग रहना होगा। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और सशक्त हुए बिना हम अपनी स्मृति को भी अच्छी और तीव्र नहीं बनाये रख सकते।

आप यह बात ठीक से याद रखें कि हमारी यादशक्ति हमारे ध्यान पर और मन की एकाग्रता पर निर्भर करती है। हम जिस तरफ जितना ज्यादा एकाग्रतापूर्वक ध्यान देंगे, उस तरफ हमारी विचारशक्ति उतनी ज्यादा केन्द्रित हो जायेगी। जिस कार्य में भी जितनी अधिक तीव्रता, स्थिरता और शक्ति लगायी जायेगी, उतनी गहराई और मजबूती से वह कार्य हमारे स्मृति पटल पर अंकित हो जायेगा।

स्मृति को बनाये रखना ही स्मरणशक्ति है और इसके लिए जरूरी है सुने हुए व पढ़े हुए विषयों का बार-बार मानना करना, अभ्यास करना। जो बातें हमारे ध्यान में बराबर आती रहती हैं, उनकी याद बनी रहती है और जो बातें लम्बे समय तक हमारे ध्यान में नहीं आतीं, उन्हें हम भूल जाते हैं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने अभ्यासक्रम (कोर्स) की किताबों को पूरे मनोयोग से एकाग्रचित्त होकर पढ़ा करें और बारंबार नियमित रूप से दोहराते भी रहें। फालतू सोच विचार करने से, चिंता करने से, ज्यादा बोलने से, फालतू बातें करने से, झूठ बोलने से या बहाने बाजी करने से तथा कार्य के कार्यों में उलझे रहने से स्मरणशक्ति नष्ट होती है।

बुद्धि कहीं बाजार में मिलने वाली चीज नही है, बल्कि अभ्यास से प्राप्त करने की और बढ़ायी जाने वाली चीज है। इसलिए आपको भरपूर अभ्यास करके बुद्धि और ज्ञान बढ़ाने में जुटे रहना होगा।

विद्या, बुद्धि और ज्ञान को जितना खर्च किया जाय उतना ही ये बढ़ते जाते हैं जबकि धन या अन्य पदार्थ खर्च करने पर घटते हैं। विद्या की प्राप्ति और बुद्धि के विकास के लिए आप जितना प्रयत्न करेंगे, अभ्यास करेंगे, उतना ही आपका ज्ञान और बौद्धिक बल बढ़ता जायगा।

सतत अभ्यास और परिश्रम करने के लिए यह भी जरूरी है कि आपका दिमाग और शरीर स्वस्थ व ताकतवर बना रहे। यदि अल्प श्रम में ही आप थक जायेंगे तो पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा समय तक मन नहीं लगेगा। इसलिए निम्न प्रयोग करें।

आवश्यक सामग्रीः शंखावली (शंखपुष्पी) का पंचांग कूट-पीसकर, छानकर, महीन, चूर्ण करके शीशी में भर लें। बादाम की 2 गिरी और तरबूज, खरबूजा, पतली ककड़ी और मोटी खीरा ककड़ी इन चारों के बीज 5-5 ग्राम, 2 पिस्ता, 1 छुहारा, 4 इलायची (छोटी), 5 ग्राम सौंफ, 1 चम्मच मक्खन और एक गिलास दूध लें।

विधिः रात में बादाम, पिस्ता, छुहारा और चारों मगज 1 कप पानी में डालकर रख दें। प्रातःकाल बादाम का छिलका हटाकर उन्हें दो बार बूँद पानी के साथ पत्थर पर घिस लें और उस लेप को कटोरी में ले लें। फिर पिस्ता, इलायची के दाने व छुहारे को बारीक काट-पीसकर उसमें मिला लें। चारों मगज भी उसमें ऐसे ही डाल लें। अब इन सबको अच्छी तरह मिलाकर खूब चबा-चबाकर खा जायें। उसके बाद 3 ग्राम शंखावली का महीन चूर्ण मक्खन में मिलाकर चाट लें और एक गिलास गुनगुना मीठा दूध 1-1 घूँट करके पी लें। अंत में, थोड़े सौंफ मुँह में डालकर धीरे-धीरे 15-20 मिनट तक चबाते रहें और उनका रस चूसते रहें। चूसने के बाद उन्हें निगल जायें।

लाभः यह प्रयोग दिमागी ताकत, तरावट और स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए बेजोड़ है। साथ ही साथ यह शरीर में शक्ति व स्फूर्ति पैदा करता है। लगातार 40 दिन तक प्रतिदिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर खाली पेट इसका सेवन करके आप चमत्कारिक लाभ देख सकते हैं।

यह प्रयोग करने के दो घंटे बाद भोजन करें। उपरोक्त सभी द्रव्य पंसारी या कच्ची दवा बेचने वाले की दुकान से इकट्ठे ले आयें और 15-20 मिनट का समय देकर प्रतिदिन तैयार करें। इस प्रयोग को आप 40 दिन से भी ज्यादा, जब तक चाहें कर सकते हैं।

एक अन्य प्रयोगः एक गाजर और लगभग 50-60 ग्राम पत्ता गोभी अर्थात् 10-12 पत्ते काटकर प्लेट में रख लें। इस पर हरा धनिया काटकर डाल दें। फिर उसमें सेंधा नमक, काली मिर्च का चूर्ण और नींबू का रस मिलाकर खूब चबा चबाकर नाश्ते के रूप में खाया करें।
भोजन के साथ एक गिलास छाछ भी पिया करें।

1) जड़-पत्तों सहित ब्राह्मी को उखाडकर एवं जल से धोकर ओखली में कुटे और कपडे में छाल ले. तत्पश्चात उसके एक तोले रस में छह माशे गौ घृत डालकर पकावे और हल्दी, आँवला, कूट, निसोत, हरड, चार-चार तोले, पीपल, वायविडंग, सेंधा नमक, मिश्री और बच एक-एक तोले इन सबकी चटनी उसमे डालकर मंद आग पर पकावे. जब पानी सुख जाए और घृत शेष रहे, तो उसे छानकर, लेवे और प्रतिदिन प्रातः काल एक तोला घृत चाटे. इसके सेवन से वाणी शुद्ध होती है. सात दिन तक सेवन करने से अनेक शास्त्रों को धारण कराता है. १८ प्रकार के कोढ़, ६ प्रकार के बवासीर, २ प्रकार के गुल्मी, २० प्रकार के प्रमेह और खाँसी दूर होती है. बंध्या स्त्री और अल्प वीर्य वाले मनुष्टों के लिए यह सारस्वत घृत वर्ण, वायु और बल को बढाता है. –चक्रदत्त.

२) बच का एक माशा चूर्ण जल, दूध या घृत के साथ एक मास सेवन करने से मनुष्य पंडित और बुद्धिमान बन जाता है. –वृहन्नीघण्टु

३) बेल कि जड़ का छाल और शतावरी का क्वाथ प्रतिदिन दूध के साथ स्नान और हवन के पश्चात पीजिए. इससे आयु और बुद्धि कि वृद्धि होती है. –सुश्रुत

४) गिलोय, ओंगा, वायविडंग, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, बच, सोंठ और शतावर इन सबको बराबर लेकर कूट-छानकर चूर्ण बनावे और प्रातःकाल चार माशे मिश्री के साथ चाटे, तो तीन हजार श्लोक कंठस्थ करने कि शक्ति हो जाती है.

सावधानियाँ

रात को 9 बजे के बाद पढ़ने के लिए जागरण करें तो आधे-आधे घंटे के अंतर पर आधा गिलास ठंडा पानी पीते रहें। इससे जागरण के कारण होने वाला वातप्रकोप नहीं होगा। वैसे 11 बजे से पहले सो जाना ही उचित है।

लेटकर या झुके हुए बैठकर न पढ़ा करें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर बैठें। इससे आलस्य या निद्रा का असन नहीं होगा और स्फूर्ति बनी रहेगी। सुस्ती महसूस हो तो थोड़ी चहलकदमी करें। नींद भगाने के लिए चाय या सिगरेट का सेवन कदापि न करें।

शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

ज्ञानविज्ञान :
पीपल के पत्ते से मोबाइल चार्ज करें
राजीव दीक्षित
*
Photo: यह बहुत अजीब है परन्तु सत्य है !!!  राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

अब आपको अपने मोबाइल को चार्ज करने के लिए मोबाइल चार्जर की आवश्यकता नही है आपको केवल पीपल के दो हरे पत्ते चाहिए और कुछ समय बाद आपकी मोबाइल चार्ज हो जाएगी।

जल्द ही लोगों ने इसको सिख लिया फिर परीक्षण किया और पाया के परिणाम उत्साहजनक हैं। यदि आपकी मोबाइल की चार्ज ख़तम हो जाये और आप किसी जंगल के भीतर हो तो आपको किसी भी चार्जर की उपयोग की आवश्यकता नही। आप बस दो पीपल के पत्ते तोडिये और आपका काम हो जायेगा। 

यह बहुत अच्छा विचार है और अपने मोबाइल चार्ज करने के लिए आसान है। आपको अपने मोबाइल की बैटरी को खोलना और पीपल के पत्ते के साथ कनेक्ट करना होगा। कुछ समय के बाद आपके मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जाएगी।

हालांकि यह अविश्वसनीय है, लेकिन जैसे ही चित्रकूट के निवासियों को इस खोज के बारे में पता चला वे इस खबर को विश्वास नहीं कर सके। लेकिन जब वे इसको व्यावहारिक रूप से देखा तो घटना की सत्यता को स्वीकार किया।

अब सैकड़ों मोबाइल धारक इस तकनीक का उपयोग कर रहे हैं और उनके मोबाइल फोन चार्ज कर रहें है।

जबकि वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार, यह सिर्फ म्युचुअल ऊर्जा विद्युत ऊर्जा शक्ति में बदलना है जो बैटरी में संचित होता है। उन्होंने कहा कि यह शोध का विषय है।
पीपल पत्ती का उपयोग से मोबाइल की बैटरी चार्ज करने का मार्गदर्शन :-
1. अपने मोबाइल की कवर खोलिए।
2. बैटरी को निकाले।
3. पीपल / अश्वथ्थ पेड़ के दो ताज़ा पत्ते लीजिये।
4. अपने मोबाइल की बैटरी टर्मिनल पर इन पत्तियों के ठूंठ को एक मिनट के लिए छु कर रखिये।
5. अब मुलायम कपड़े से मोबाइल बैटरी टर्मिनल साफ करिए।
6. अपनी बैटरी फिर से आपके मोबाइल में रखिये और स्विच ओन करिए।
7. अब आप परिणाम देख सकते हैं।
8. यदि आवश्यक हो ताजा पत्तों के साथ इस प्रक्रिया को दोहराएँ।

राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

अब आपको अपने मोबाइल को चार्ज करने के लिए मोबाइल चार्जर की आवश्यकता नही है आपको केवल पीपल के दो हरे पत्ते चाहिए और कुछ समय बाद आपकी मोबाइल चार्ज हो जाएगी।

जल्द ही लोगों ने इसको सिख लिया फिर परीक्षण किया और पाया के परिणाम उत्साहजनक हैं। यदि आपकी मोबाइल की चार्ज ख़तम हो जाये और आप किसी जंगल के भीतर हो तो आपको किसी भी चार्जर की उपयोग की आवश्यकता नही। आप बस दो पीपल के पत्ते तोडिये और आपका काम हो जायेगा।

यह बहुत अच्छा विचार है और अपने मोबाइल चार्ज करने के लिए आसान है। आपको अपने मोबाइल की बैटरी को खोलना और पीपल के पत्ते के साथ कनेक्ट करना होगा। कुछ समय के बाद आपके मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जाएगी।

हालांकि यह अविश्वसनीय है, लेकिन जैसे ही चित्रकूट के निवासियों को इस खोज के बारे में पता चला वे इस खबर को विश्वास नहीं कर सके। लेकिन जब वे इसको व्यावहारिक रूप से देखा तो घटना की सत्यता को स्वीकार किया।

अब सैकड़ों मोबाइल धारक इस तकनीक का उपयोग कर रहे हैं और उनके मोबाइल फोन चार्ज कर रहें है।

जबकि वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार, यह सिर्फ म्युचुअल ऊर्जा विद्युत ऊर्जा शक्ति में बदलना है जो बैटरी में संचित होता है। उन्होंने कहा कि यह शोध का विषय है।
पीपल पत्ती का उपयोग से मोबाइल की बैटरी चार्ज करने का मार्गदर्शन :-
1. अपने मोबाइल की कवर खोलिए।
2. बैटरी को निकाले।
3. पीपल / अश्वथ्थ पेड़ के दो ताज़ा पत्ते लीजिये।
4. अपने मोबाइल की बैटरी टर्मिनल पर इन पत्तियों के ठूंठ को एक मिनट के लिए छु कर रखिये।
5. अब मुलायम कपड़े से मोबाइल बैटरी टर्मिनल साफ करिए।
6. अपनी बैटरी फिर से आपके मोबाइल में रखिये और स्विच ओन करिए।
7. अब आप परिणाम देख सकते हैं।
8. यदि आवश्यक हो ताजा पत्तों के साथ इस प्रक्रिया को दोहराएँ।