चित्र पर कविता:
१. नवगीत: संजीव
१. नवगीत: संजीव
निज छवि हेरूँ
तुझको पाऊँ
.
मन मंदिर में कौन छिपा है?
गहन तिमिर में कौन दिपा है?
मौन बैठकर
किसको गाऊँ?
.
हुई अभिन्न कहाँ कब किससे?
गूँज रहे हैं किसके किस्से??
कौन जानता
किसको ध्याऊँ?
.
कौन बसा मन में अनजाने?
बरबस पड़ते नयन चुराने?
उसका भी मन
चैन चुराऊँ?
…
२. दोहा - राकेश खण्डेलवाल
२. दोहा - राकेश खण्डेलवाल
| कही-सुनी, रूठी- मनी, यों साधें हर शाम |
खुद तो वे राधा हुई, परछाईं घनश्याम
|