दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शनिवार, 26 सितंबर 2009
चिंतन कण : अंतिम सत्य -मृदुल कीर्ति
अंतिम सत्य
मृदुल कीर्ति
जगत को सत मूरख कब जाने .
दर-दर फिरत कटोरा ले के, मांगत नेह के दाने,
बिनु बदले उपकारी साईं, ताहि नहीं पहिचाने.
आपुनि-आपुनि कहत अघायो, वे सब अब बेगाने.
निज करमन की बाँध गठरिया, घर चल अब दीवाने.
रैन बसेरा, जगत घनेरा, डेरा को घर जाने.
जब बिनु पंख , हंस उड़ जावे, अपने साईं ठिकाने.
पात-पात में लिखा संदेशा , केवल पढ़ही सयाने.
आज बसन्ती, काल पतझरी, अगले पल वीराने.
बहुत जनम धरि जनम अनेका, जनम-जनम भटकाने.
मानुष तन धरि, ज्ञान सहारे, अपनों घर पहिचाने.
विनत
मृदुल
रविवार, 30 अगस्त 2009
भजन: बहे राम रस गंगा -स्व. शान्ति देवी वर्मा
बहे राम रस गंगा,
करो रे मन सतसंगा.
मन को होत अनंदा,
करो रे मन सतसंगा...
राम नाम झूले में झूली,
दुनिया के दुःख झंझट भूलो.
हो जावे मन चंगा,
करो रे मन सतसंगा...
राम भजन से दुःख मिट जाते,
झूठे नाते तनिक न भाते.
बहे भाव की गंगा,
करो रे मन सतसंगा...
नयन राम की छवि बसाये,
रसना प्रभुजी के गुण गाये.
तजो व्यर्थ का फंदा,
करो रे मन सतसंगा...
राम नाव, पतवार रामजी,
सांसों के सिंगार रामजी.
'शान्ति' रहे मन रंगा,
करो रे मन सतसंगा...
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शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
भजन: कान्हा जी आप आओ ना -गार्गी
मेरा मन तुम्हे बुला रहा है !!
अपनी मधुर मुरली सुनाओ ना ....
जो मेरे अन्दर के कोलाहल को मिटा दे !!
अपनी साँवरी छवि दिखा जाओ ना ...
जो मन, आत्मा और शरीर को निर्मल कर दे !!
अपना सुदर्शन चक्र घुमाओ ना ...
जो इस दुनिया की सारी बुराइयों को नष्ट कर दे !!
हर तरफ झूठ ही झूठ है .....
आप सत्या की स्थापना करने आओ ना !
फिर से अपना विराठ रूप दिखाओ ना !!
हे कान्हा ! तुम सारथी बनो .....
जैसे अर्जुन को राह दिखाई थी....
मुझको भी राह दिखाओ ना !!
मेरी हिम्मत टूट रही है .....
मुझको भी गीता का ज्ञान सुनाओ ना !!
जीवन की इस रण भूमि में ....
अपने ही मेरे शत्रु बने है ....
आप ही कोई सच्ची राह दिखाओ ना !!
तड़प रही हूँ इस देह की जंजीरो में ....
मुझको मुक्त कराओ ना !!
भाव सागर में डूब रही हूँ ....
तुम मुझको पार लगओ ना !!
कान्हा जी आप आओ ना ..........
कान्हा जी आप आओ ना ...........
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करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
मंगलवार, 4 अगस्त 2009
सरवन में शिव भजन कर: स्व. शान्ति देवी वर्मा
गिरिजा कर सोलह सिंगार
चलीं शिव शंकर हृदय लुभांय...
मांग में सेंदुर, भाल पे बिंदी,
नैनन कजरा लगाय.
वेणी गूंथी मोतियन के संग,
चंपा-चमेली महकाय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
बांह बाजूबंद, हाथ में कंगन,
नौलखा हार सुहाय.
कानन झुमका, नाक नथनिया,
बेसर हीरा भाय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
कमर करधनी, पाँव पैजनिया,
घुँघरू रतन जडाय.
बिछिया में मणि, मुंदरी मुक्ता,
चलीं ठुमुक बल खांय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
लंहगा लाल, चुनरिया पीली,
गोटी-जरी लगाय.
ओढे चदरिया पञ्च रंग की ,
शोभा बरनि न जाय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
गज गामिनी हौले पग धरती,
मन ही मन मुसकाय.
नत नैनों मधुरिम बैनों से
अनकहनी कह जांय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
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गुरुवार, 30 अप्रैल 2009
भजन: गिरिजा पूजन... -स्व. शान्तिदेवी वर्मा.
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सिया फुलबगिया आई हैं
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
कमर करधनी, पांव पैजनिया, चाल सुहाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
कुसुम चुनरी की शोभा लख, रति लजाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
चंदन रोली हल्दी अक्षत माल चढाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
दत्तचित्त हो जग जननी की आरती गाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
फल मेवा मिष्ठान्न भोग को नारियल लाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
लताकुंज से प्रगट भए लछमन रघुराई हैं।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
मोहनी मूरत देख 'शान्ति' सुध-बुध बिसराई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
विधना की न्यारी लीला लख मति चकराई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
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बुधवार, 29 अप्रैल 2009
राम भजन : स्व. शान्ति देवी
सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ, राज कुंवर दो आए।
सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...
कौन के कुंवर?, कहाँ से आए?, कौन काज से आए? 
कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...
दशरथ-कुंवर, अवध से आए, स्वयम्वर देखे आए।
सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...
का पहने हैं?, का धारे हैं?, कैसे कहो सुहाए?
कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...
पट पीताम्बर, कांध जनेऊ, श्याम-गौर मन भये।
सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...
शौर्य-पराक्रम भी है कछु या कोरी बात बनायें?
कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...
राघव-लाघव, लखन शौर्य से मार ताड़का आए।
सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...
चार कुंअरि हैं जनकपुरी में, कौन को जे मन भाए?
कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...
अवधपुरी में चार कुंअर, जे सिया-उर्मिला भाए।
सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...
विधि सहाय हों, कठिन परिच्छा रजा जनक लगाये।
कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...
तोड़ सके रघुवर पिनाक को, सिया गिरिजा से मनाएं।
सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...
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