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शनिवार, 27 मई 2023

नोटबंदी, दोहा-सोरठा गीत

नोटबंदी पर गीत
खोट
(छंद : दोहा-सोरठा)
*
एक दूसरे पर करे, नाहक मानव चोट।
खोट नोट में है नहीं, नीयत में है खोट।।
*
नेता देता साथ, सेठों में लालच बहुत।
रहें मिलाए हाथ, अफसर रिश्वत जोड़ते।।
जिआ उठाए माथ, सब के मन भाया बहुत।
कोई रहा न नाथ, मानव मन में कपट था।।

खुद का मुँह काला करें, टैक्स न दे, रख जोड़।
मुझको मत काला कहें, कहूँ यही कर जोड़ ।।
क्यों ठगते इंसान तुम, इक-दूजे को पोट।
खोट नोट में है नहीं, नीयत में है खोट।।
*
पृष्ठभूमि है श्वेत, रंग बैगनी गुलाबी।
गला रहे क्यों रेत, गाँधी जी चुप पूछते?
रहे न नेता चेत, परेशान जन गण हुआ।
रखे दबाए प्रेत, पकड़ जेल में डालिए।।
रुपया-रुपया बचाया, गृहणी को संतोष।
गुल्लक फोड़ी गँवाया, मन में बेहद रोष।।
हाय! नहीं बाकी रही, बचा रखे की ओट।
खोट नोट में है नहीं, नीयत में है खोट।।
*
बच्चे उनका बाप, देख कर रहे खर्च मिल।
नेता तुमको शाप, कभी नहीं संतोष हो।।
सुख न सकेगा व्याप, चाहे जितना जोड़ लो।
नहीं फलेगा पाप, सत्ता पा जो कर रहे।।

करती नहीं सुधार क्यों, शासन में सरकार।
पत्रकार सच्चे नहीं, बिके हुए अखबार।।
चुनकर गलती हो गई, मनुआ कहे कचोट।
खोट नोट में है नहीं, नीयत में है खोट।।
***

रविवार, 21 जुलाई 2019

दोहा - सोरठा गीत पानी की प्राचीर



दोहा - सोरठा गीत
पानी की प्राचीर
*
आओ! मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।
पीर, बाढ़ - सूखा जनित 
हर, कर दे बे-पीर।। 
*
रखें बावड़ी साफ़,
गहरा कर हर कूप को। 
उन्हें न करिये माफ़,
जो जल-स्रोत मिटा रहे।।
चेतें, प्रकृति का कहीं,
कहर न हो, चुक धीर।
आओ! मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।।
* 
सकें मछलियाँ नाच, 
पोखर - ताल भरे रहें। 
प्रणय पत्रिका बाँच, 
दादुर कजरी गा सकें।।
मेघदूत हर गाँव को,
दे बारिश का नीर। 
आओ! मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।।
* 
पर्वत - खेत - पठार पर
हरियाली हो खूब। 
पवन बजाए ढोलकें,
हँसी - ख़ुशी में डूब।।
चीर अशिक्षा - वक्ष दे ,
जन शिक्षा का तीर।
आओ मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।।
***
२०-७-२०१६ 
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