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बुधवार, 19 सितंबर 2012

हास्य सलिला: उमर क़ैद संजीव 'सलिल'



हास्य सलिला:

उमर क़ैद

संजीव 'सलिल'



नोटिस पाकर कचहरी पहुँचे चुप दम साध.
जज बोलीं: 'दिल चुराया, है चोरी अपराध..'

हाथ जोड़ उत्तर दिया, 'क्षमा करें सरकार!.
दिल देकर ही दिल लिया, किया महज व्यापार..'

'बेजा कब्जा कर बसे, दिल में छीना चैन.
रात स्वप्न में आ किया, बरबस ही बेचैन..

लाख़ करो इनकार तुम, हम मानें इकरार.
करो जुर्म स्वीकार- अब, बंद करो तकरार..'

'देख अदा लत लग गयी, किया न कोई गुनाह.
बैठ अदालत में भरें, हम दिल थामे आह..'

'नहीं जमानत मिलेगी, सात पड़ेंगे फंद.
उम्र क़ैद की अमानत, मिली- बोलती बंद..

***


Acharya Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

हास्य सलिला: खोज -संजीव 'सलिल'

हास्य सलिला:
 


आई लव यू 
 
 








संजीव 'सलिल'
*

लालू से कालू कहे, 'यारां यह तो सोच.
कौन देश जिसने करी, 'आई लव यू' की खोज?'
समझ गये लालू तुरत, बेढब किया सवाल.
जान बचाने के लिये किसी तरह दूँ टाल.

भाषण देना सहज है, प्रश्न लगे आसान.
सूझ नहीं उत्तर रहा, आफत में है जान..
कालू बोला: 'मान लो, हार- बढ़ेगा ज्ञान.
मैं उत्तर बतलाऊँगा', है बेहद आसान..

सिर खुजलाया, मूँदकर बैठे लालू नैन.
लेकिन उत्तर ना मिला, थे बेहद बेचैन.
मरता क्या करता नहीं, आखिर मानी हार.
अट्टहास कालू करे, जीता अब की बार.

फिर बोला: 'चाइना ने, 'आई लव यू' की खोज.
करी वापरें लोग सब, दुनिया भर में रोज.
कोई गारंटी नहीं, पल भर में हो अंत.
कभी जिंदगी भर चले, जैसे सृष्टि अनंत.

चाइना का प्रोडक्ट जो, ले वह तो पछताय.
और न ले जो उसे भी देखो नित ललचाय..
'आई लव यू' की विफलता, देती दुःख-अफ़सोस.
'सलिल' सफल ज़िंदगी भर, रोता खुद को कोस..

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सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
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0761 2411131 / 94251 83244

शनिवार, 8 सितंबर 2012

हास्य सलिला: खरीदी संजीव 'सलिल'

हास्य सलिला:
खरीदी 


संजीव 'सलिल'
*
लल्लू जी बाज़ार में, थे बीबी के सँग.
सतत हाथ पकड़े रहे, देख लोग थे दंग..

देख लोग थे दंग, बात कुछ समझ न आई.
प्यार बहुत या, बात सुरक्षा की है भाई?

कैसे जानें राज, गले मिल कारण पूछा.
बोले: 'खाली जेब, हाथ अपना है छूछा.

छोडूंगा यदि हाथ मुसीबत होगी भारी.
आईं खरीदी करने को करके तैयारी.

***


Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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सोमवार, 19 मार्च 2012

होली का रंग रोटेरियन के सँग --संजीव 'सलिल'

होली का रंग रोटेरियन के सँग
संजीव 'सलिल'
*
रोटेरियन का ब्याह भया तो, हमें खुसी भई खासी.
नाच रहे पी झूम बाराती, सुन-गा भीम पलासी..
मैके जाती भौजी ने, चुपके से हमसे पूछा-
'इनखों ख़त में का लिक्खें?' बतलाओ सुने न दूजा..
मैं बोलो: 'प्रानों से प्यारे' सबसे पहले लिखना.
आखिर में 'चरणों की दासी', लिख ख़त पूरा करना..
पत्र मिला तो रोटेरियन पर छाई गहन उदासी.
हमने पूछो: 'काय! भओ का? बोले आफत खासी.
'चरणदास' लिख बिनने भेजी, चिट्ठी सत्यानासी.
कोढ़ खाज में, लिखो अंत में' प्रिय-प्रानों की प्यासी'..
*
जो तुरिया रो-रो टरी, बाखों जम गओ रंग.
रुला-झिंकाकर खसम खों, कर डरो बदरंग.

कलप-कलपकर क्लब बना, पतिगण रोना रोंय.
इक-दूजे के पोंछकर आँसू, मुस्का सोंय..

जे 'आ-आ' हँस कह रहीं, बे 'हट-हट' कह मौन.
आहत-चाहत की ब्यथा-कथा बताये कौन?

अंग्रेजी के फूल ने, दे हिंदी का फूल.
फूल बनाकर सच कहा, चुभा शूल तज भूल..

खोते सिक्के चल रहे, खरे चलन से दूर.
भाभी की आरति करें, भैया बढ़ता नूर..
*
पिटता पति जितना अधिक, उतना जाता फूल.
वापरती पत्नी अगर, टूट जाए स्टूल.

कभी गेंद, बल्ला कभी बलम बाने स्टंप.
काँधे चढ़कर मरती, पत्नि ऊँचा जंप..

करते आँखें चार जब, तब थे उनके ठाठ.
दोनों को चश्मा चढ़ा, करते आँखें आठ..
*
फागुन में गुन बहुत हैं, लाया फाग-अबीर.
टिके वही मैदान में, जिसके मन में धीर..
जिसके मन में धीर, उसे ही संत कहेंगे.
दीक्षित जो बीवी से, उसको कंत कहेंगे.
तंत न भिड़ पिटने में, चापो चरण शगुन में.
रोटेरियन धोते हैं धोती हँस फागुन में..
*Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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रविवार, 31 जुलाई 2011

हास्य रचना: स्वादिष्ट निमंत्रण ---तुहिना वर्मा 'तुहिन'

हास्य रचना
स्वादिष्ट निमंत्रण
तुहिना वर्मा 'तुहिन'
*
''खट्टे-मिट्ठे जिज्जाजी को चटपटी साली जी यानी आधी घरवाली जी की ताज़ा-ताज़ा गरमागरम मीठी-मीठी नमस्ते।

यह कुरकुरी पाती पाकर आपके मन में पानी - बतासे की तरह मोतीचूर के लड्डू फूटने लगेंगे क्योंकि हम आपको आपकी ससुराल में तशरीफ़ लाने की दावत दे रहे हैं।

मौका? अरे हुजूर मौका तो ऐसा है कि जो आये वो भी पछताए...जो न आये वह भी पछताये क्योंकि आपकी सिर चढ़ी सिरफिरी साली इमरतिया की शादी यानी बर्बादी का जश्न बार-बार तो होगा नहीं।

ये रसमलाई जैसा मिठास भरा रिश्ता पेड़ा शहर, कचौड़ी नगर, के खीरपुर मोहल्ले के मोटे-ताजे सेठ समोसामल मिंगौड़ीलाल के हरे-भरे साहिबजादे, खीरमोहन सिवईं प्रसाद के साथ होना तय हुआ है।

चांदनी चौक में चमचम चाची को चांदी की चमचमाती चम्मच से चिरपिरी चटनी चटाकर चर्चा में आ चुके चालू चाचा अपने आलूबंडे बेटे और भाजीबड़ा बिटिया के साथ चटखारे लेते हुए यहाँ आकर डकार ले रहे हैं।

जलेबी जिज्जी, काजू कक्का, किशमिश काकी, बादाम बुआ, फुल्की फूफी, छुहारा फूफा, चिरौंजी चाची, चिलगोजा चाचा, मखाना मौसा, मुसम्बी मौसी, दहीबड़ा दादा, दाल-भात दादी, आज गुलाब जामुन-मैसूरपाग एक्सप्रेस से आइसक्रीम खाते हुए, अखरोटगंज स्टेशन पर उतरेंगे।

रसमलाई धरमशाला में संदेश बैंड, बर्फी आर्केस्ट्रा, सिवईया बानो की कव्वाली, बूंदी बेगम का मुजरा, आपको दिल थामकर आहें भरने पर मजबूर कर देगा।

शरबती बी के बदबख्त हाथों से विजया भवानी यानी भांग का भोग लगाकर आप पोंगा पंडित की तरह अंगुलियाँ चाटते हुए कार्टून या जोकर नजर आयेंगे।

पत्थर हज़म हजम हाजमा चूर्ण, मुंह जलाऊ मुनक्का बाटी के साथ मीठे मसालेवाला पान और नशीला पानबहार लिये आपके इन्तेज़ार में आपकी नाक में दम करनेवाली रस की प्याली
                                                                                                                                  -- रबड़ी मलाई


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