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गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

harigitika: ambareesh shrivastav



माँ नर्मदा दिवस पर विशेष..

छंद हरिगीतिका:
इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
Ambarish Srivastava
*
हर शिवसुता माँ नर्मदा आहत हुईं अपमान से.
विपरीत पथ पर भी अडिग हैं बह रहीं सम्मान से.
क्षणमात्र दर्शन पापमोचक, शांति सुख वरदान दें.
दें नर्मदेश्वर विश्वपूजित, भक्तिमय सद्ज्ञान दें..


Anshumali Patel की फ़ोटो. 
मन कामना है यह हमारी नर्मदा युग-युग बहें.
शुभ शिवकृपा उन पर सदा हो, कष्ट मत कोई सहें.
हृद वेदना हो दूर उनकी, हम सदा ही ध्यान दें.
हों अतिक्रमण से दूर हम, माँ नर्मदा को मान दें.. 


Ambarish Srivastava की फ़ोटो.

शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

हरिगीतिका --अम्बरीष श्रीवास्तव


Ambarish Srivastava
--अम्बरीष श्रीवास्तव

 

(१)
मधु छंद सुनकर छंद गुनकर, ही हमें कुछ बोध है,
सब वर्ण-मात्रा गेयता हित, ही बने यह शोध है, 
अब छंद कहना है कठिन क्यों, मित्र क्या अवरोध है,
रसधार छंदों की बहा दें, यह मेरा अनुरोध है ||

(२)
यह आधुनिक परिवेश इसमें, हम सभी पर भार है,
यह भार भी भारी नहीं जब, संस्कृति आधार  है,
सुरभित सुमन सब है खिले अब, आपसे मनुहार है, 
निज नेह के दीपक जलायें, ज्योंति का त्यौहार है ||

(३)
सहना पड़े सुख दुःख कभी मत, भूलिए उस पाप को,
यह जिन्दगी है कीमती अब, छोडिये संताप को,
अभिमान को भी त्यागिये तब, मापिये निज ताप को,    
तब तो कसौटी पर कसें हम, आज अपने आप को||
*