दोहे :
समय न होता है सगा, समय न होता गैर।
'सलिल' सभी की मांगता, है ईश्वर से खैर।
समय बड़ा बलवान है, चलें सम्हलकर मीत।
बैर न नाहक ही करें, बाँटें सबको प्रीत।
समय-समय पर कीजिये, यथा-उचित व्यवहार।
सदा न कोई जीतता, सदा न होती हार।
समय-समय की बात है, राजा होता रंक।
कभी रंक राजा बने, सदा रहें निश्शंक।
समय-समय का फेर है, आज धूप कल छाँव।
'सलिल' रह पर रख सदा, भटक न पायें पाँव।
**************************************
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
दोहे समय 'सलिल' ईश्वर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
दोहे समय 'सलिल' ईश्वर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रविवार, 22 मार्च 2009
दोहे समय 'सलिल'
चिप्पियाँ Labels:
दोहे समय 'सलिल' ईश्वर
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)