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शनिवार, 14 अगस्त 2021

गले मिले दोहा यमक

गले मिले दोहा यमक
*
अजब गजब दुनिया सलिल, दिखा रही है रंग.
रंग बदलती है कभी, कभी कर रही जंग.
*
जंग करे बेबात ही, नापाकी है पाक
जंग लगी है अक्ल में, तनिक न बाकी धाक
*
तंग कर रहे और को, जो उनका दिल तंग
भंग हुआ सपना तुरत, जैसे उत्तरी भंग
*
संगदिलों को मत रखें, सलिल कभी भी संग
गंग नहाएँ दूर हो, नहीं लगाएँ अंग
*
हल्ला-गुल्ला शब्द है,
मौन करे संवाद।
क्वीन जिया में पैठकर
करे विहँस आबाद।
क्या लेना है शब्द से,
रखें भाव से काम।
नहीं शब्द से काम से,
ही होता है नाम।
*

रविवार, 5 अप्रैल 2020

गले मिले दोहा यमक

गले मिले दोहा यमक
*
काहे को रोना मचा, जीना किया हराम
कोरोना परदेश से, लाये ख़ास न आम

बिना सिया-सत सियासत, है हर काम सकाम
काम तमाम न काम का, बाकि काम तमाम

हेमा की तस्वीर से, रोज लड़ाते नैन
बीबी दीखते झट कहें हे माँ, मन बेचैन

बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..

देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो कल का राज..
***
संजीव
९४२५१८३२४४