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मंगलवार, 16 नवंबर 2021

छंद-बहर, गीत

कार्य शाला
छंद-बहर दोउ एक हैं
*
गीत
करेंगे वही
(छंद- अष्ट मात्रिक वासव जातीय, पंचाक्षरी)
[बहर- फऊलुन फ़अल १२२ १२]
*
करेंगे वही
सदा जो सही
*
न पाया कभी
न खोया कभी
न जागा हुआ
न सोया अभी
वरेंगे वही
लगे जो सही
करेंगे वही
सदा जो सही
*
सुहाया वही
लुभाया वही
न खोया जिसे
न पाया कभी
तरेंगे वही
बढ़े जो सही
करेंगे वही
सदा जो सही
*
गिराया हुआ
उठाया नहीं
न नाता कभी
भुनाया, सही
डरेंगे वही
नहीं जो सही
करेंगे वही
सदा जो सही
*
इस लय पर रचनाओं (मुक्तक, हाइकु, ग़ज़ल, जनक छंद आदि) का स्वागत है।

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

chhand-bahar

ॐ 
छंद बहर का मूल है: ८ 
*
छंद परिचय:
संरचना: SIS SIS SIS S / SIS SIS SISS 
सूत्र: रररग।
दस वार्णिक पंक्ति जातीय बाला छंद।
सत्रह मात्रिक महासंस्कारी जातीय रामवत छंद।
बहर: फ़ाइलुं फ़ाइलुं फ़ाइलुं फ़े / 
फ़ाइलुं फ़ाइलुं फ़ाइलातुं ।
*
आप हैं जो, वही तो नहीं हैं
दीखते है वही जो नहीं हैं 

*
खोजते हैं खुदी को जहाँ पे
जानते हैं वहाँ तो नहीं हैं
 *
जो न बोला वही बोलते हैं 

बोलते, बोलते जो नहीं हैं
*
माल को तौलते ही रहे जो
आत्म को तौलते वो नहीं  

*
देश शेष क्या? पूछते हैं
देश में शेष क्या जो नहीं हैं
*

आदमी देवता क्या बनेगा?
आदमी आदमी ही नहीं है 
*
जोश में होश को खो न देना 
देश में जोश हो, क्यों नहीं है?
***
SIS SIS SISS

आपका नूर है आसमानी
गायकी आपकी शादमानी  

*
आपका ही रहा बोलबाला
लोच है, सोज़ है रातरानी
 *
आसमां छू रहीं भावनाएँ
भ्रांत हों ही नहीं वासनाएँ
 *
खूब हालात ने आजमाया
आज हालात को आजमाएँ
*
कोशिशों को मिली कामयाबी
कोशिशें ही सदा काम आ
एँ
*
आदमी के नहीं पास आएँ
हैं विषैले न वे काट खाएँ  
***
२१.४.२०१७
***

सोमवार, 17 अप्रैल 2017

chhand-bahar

ॐ 
छंद बहर का मूल है: ५  
चामर छंद
*
छंद परिचय:
पन्द्रह वार्णिक अतिशर्करी जातीय चामर छंद।
तेईस मात्रिक रौद्राक जातीय     छंद
 
संरचना: SIS ISI SIS ISI SIS
सूत्र: रजरजर।
बहर: फ़ाइलुं मुफ़ाइलुं मुफ़ाइलुं मुफ़ाइलुं।
*
देश का सवाल है न राजनीति खेलिए
लोक को रहे न शोक लोकनीति कीजिए
*
भेद-भाव भूल स्नेह-प्रीत खूब बाँटिए 

नेह नर्मदा नहा , रीति-प्रीति भूलिए
*
नीर के बिना न जिंदगी बिता सको कभी
साफ़ हों नदी-कुएँ सभी प्रयास कीजिए
*
घूस का न कायदा, न फायदा उठाइये  

काम-काज जो करें, न वक्त आप चूकिए
*
ज्यादती न कीजिए, न ज्यादती सहें कभी
कामयाब हों, प्रयास बार-बार कीजिए
*
पीढ़ियाँ न एक सी रहीं, न हो सकें कभी 

हाथ थाम लें, गले लगा न आप जूझिए
*
घालमेल छोड़, ताल-मेल से रहें सुखी
सौख्य पालिए, न राग-द्वेष आप घोलिए
*
१७.४.२०१७
***

रविवार, 16 अप्रैल 2017

chhand-bahar

ॐ 
छंद बहर का मूल है: ४ 
कुंडल छंद
*
छंद परिचय:
बाईस मात्रिक महारौद्र जातीय कुंडल छंद 

चौदह वार्णिक शर्करी जातीय छंद।
संरचना: SIS ISI SIS ISI SS
सूत्र: रजरजगग।
बहर: फ़ाइलुं मुफ़ाइलुं मुफ़ाइलुं फ़ऊलुं।
*
प्रात, शाम, रात रोज आप ही सुहाए 

मौन हेरता रहा न आज आप आए 
*
छंद-गीत, राग-रीत कौन सीखता है?
शारदा कृपा करें तभी न सीख पाए 
*
है कहाँ छिपा हुआ, न चाँद दीखता है 
दीप बाल-बाल रात ही न हार जाए 
*
दूर बैठ ताकती , न भू भुला सकी है 
सूर्य रश्मि-रूप धार श्वास में समाए 
*
आसमान छेदता, दिशा-हवा न रोके 
कामदेव चित्त को अशांत क्यों बनाये?
*
प्रेमिका न ज्ञान-दान प्रेम चाहती है 
रुठती न, रूठना दिखा-दिखा खिझाए 
*
हारता न, हार-हार प्रेम जीतता है 
जीतता न जीत-जीत, प्रेम ही हराए 
*
१६.४.२०१७
***

गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

chhand-bahar

छंद बहर का मूल है: १
छंद परिचय:
दस मात्रिक दैशिक जातीय भव छंद।
षडवार्णिक गायत्री जातीय सोमराजी छंद।
संरचना: ISS ISS,
सूत्र: यगण यगण, यय।
बहर: फ़ऊलुं फ़ऊलुं ।
*
कहेगा-कहेगा
सुनेगा-सुनेगा।
हमारा-तुम्हारा
फ़साना जमाना।
          मिलेंगे-खिलेंगे
          चलेंगे-बढ़ेंगे।
          गिरेंगे-उठेंगे
          बनेंगे निशाना।
न रोके रुकेंगे
न टोंके झुकेंगे।
कभी ना चुकेंगे
हमें लक्ष्य पाना।
          नदी हो बहेंगे
          न पीड़ा तहेंगे।
          ख़ुशी से रहेंगे
          सुनाएँ तराना।  
नहीं हार मानें
नहीं रार ठानें।
नहीं भूल जाएँ
वफायें निभाना।
***

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

chhand - bahar

कार्यशाला
छंद बहर दोउ एक हैं
२ (रगण लघु मगण) = २ (राजभा लघु मातारा) = २ (२१२ १ २२२)= १४ वर्ण / २४ मात्रा, पदांत २२२    
सूत्र- २ x रलम
चौदह वर्णीय शर्करी जातीय छंद / चौबीस  मात्रीय अवतारी जातीय छंद
बहर- फाइलुं मुफाईलुं फाइलुं मुफाईलुं = २१२ १२२२
*
मुक्तक
मौन क्यों धरा?, तोड़ो, सेतु बात का जोड़ो
मंजिलें नहीं सीधी, राह को सदा मोड़ो
बात-बात में रूठे, बात-बात में माने
रूपसी लुभाती है, हाथ थाम ना छोड़ो
*
रूप की अदा प्यारी, रूपसी लगे न्यारी
होश होश खो बैठा, जोश तप्त चिंगारी
मौन ही रहा मानी, मूक हो रही बानी
रात नींद की बैरी, वाक् धार दोधारी
*
बात ठीक बोलूँगा, राज मैं न खोलूँगा
काम-काज क्या बोलो, व्यर्थ मैं न डोलूँगा
बात कायदे की हो, ना कि फायदे की हो
बाध्यता न मानूँ  मैं, बोल-बोल तोलूँगा
*
साम्य-
अ. २(गुरु जगण मगण) = २ (गुरु जभान मातारा) = २ (२ १२१ २२२) = १४ वर्ण/ २४ मात्रा, पदांत २२२,
सूत्र- २ x गजम,

आ. २(रगण यगण गुरु) २ (राजभा यमाता गुरु) = २ (२१२ १२२ २ )= १४ वर्ण/ २४मात्रा, पदांत २२२,
सूत्र- २ x रयग   

शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

chhand-bahar 3

कार्य शाला
छंद-बहर दोउ एक हैं ३
*
मुक्तिका
चलें साथ हम
(छंद- तेरह मात्रिक भागवत जातीय, अष्टाक्षरी अनुष्टुप जातीय छंद, सूत्र ययलग )
[बहर- फऊलुं फऊलुं फअल १२२ १२२ १२, यगण यगण लघु गुरु ]
*
चलें भी चलें साथ हम 
करें दुश्मनों को ख़तम 
*
न पीछे हटेंगे कदम 
न आगे बढ़ेंगे सितम 
*
न छोड़ा, न छोड़ें तनिक 
सदाचार, धर्मो-करम 
*
तुम्हारे-हमारे सपन
हमारे-तुम्हारे सनम
*
कहीं और है स्वर्ग यह
न पाला कभी भी भरम
***

बुधवार, 16 नवंबर 2016

chhnd bahar dou ek hain

कार्य शाला
छंद-बहर दोउ एक हैं १
*
गीत
करेंगे वही
(छंद- अष्ट मात्रिक वासव जातीय, पंचाक्षरी)
[बहर- फऊलुन फ़अल १२२ १२]
*
करेंगे वही
सदा जो सही
*
न पाया कभी
न खोया कभी
न जागा हुआ
न सोया अभी
वरेंगे वही
लगे जो सही
करेंगे वही
सदा जो सही
*
सुहाया वही
लुभाया वही
न खोया जिसे
न पाया कभी
तरेंगे वही
बढ़े जो सही
करेंगे वही
सदा जो सही
*
गिराया हुआ
उठाया नहीं
न नाता कभी
भुनाया, सही
डरेंगे वही
नहीं जो सही
करेंगे वही
सदा जो सही
*
इस लय पर रचनाओं (मुक्तक, हाइकु, ग़ज़ल, जनक छंद आदि) का स्वागत है।