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मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

bal geet

बाल गीत:

"कितने अच्छे लगते हो तुम "

संजीव वर्मा 'सलिल'

*

कितने अच्छे लगते हो तुम |

बिना जगाये जगते हो तुम ||

नहीं किसी को ठगते हो तुम |

सदा प्रेम में पगते हो तुम ||

दाना-चुग्गा मँगते हो तुम |

चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चुगते हो तुम ||

आलस कैसे तजते हो तुम?

क्या प्रभु को भी भजते हो तुम?

चिड़िया माँ पा नचते हो तुम |

बिल्ली से डर बचते हो तुम ||

क्या माला भी जपते हो तुम?

शीत लगे तो कँपते हो तुम?

सुना न मैंने हँसते हो तुम |

चूजे भाई! रुचते हो तुम |

*************************

बुधवार, 25 अक्टूबर 2017

baalgeet

बाल गीत :
चिड़िया
*
चहक रही 
चंपा पर चिड़िया
शुभ प्रभात कहती है
आनंदित हो
झूम रही है
हवा मंद बहती है
कहती: 'बच्चों!
पानी सींचो,
पौधे लगा-बचाओ
बन जाएँ जब वृक्ष
छाँह में
उनकी खेल रचाओ
तुम्हें सुनाऊँगी
मैं गाकर
लोरी, आल्हा, कजरी
कहना राधा से
बन कान्हा
'सखी रूठ मत सज री'
टीप रेस,
कन्ना गोटी,
पिट्टू या बूझ पहेली
हिल-मिल खेलें
तब किस्मत भी
आकर बने सहेली
नमन करो
भू को, माता को
जो यादें तहती है
चहक रही
चंपा पर चिड़िया
शुभ प्रभात कहती है
***
*
salil.sanjiv@gmail.com. 9425183244 
http://divyanarmada.blogspot.com
#hindi_blogger 

शनिवार, 25 अक्टूबर 2014

bal geet: chidiya

बाल गीत : 

चिड़िया

Bird illustration print - Magnolia branch
 
*
चहक रही 
चंपा पर चिड़िया 
शुभ प्रभात कहती है 

आनंदित हो 
झूम रही है 
हवा मंद बहती है 

कहती: 'बच्चों!
पानी सींचो,
पौधे लगा-बचाओ

बन जाएँ जब वृक्ष 
छाँह में 
उनकी खेल रचाओ 

तुम्हें सुनाऊँगी 
मैं गाकर  
लोरी, आल्हा, कजरी

कहना राधा से 
बन कान्हा 
'सखी रूठ मत सज री' 

टीप रेस, 
कन्ना गोटी,
पिट्टू या बूझ पहेली 

हिल-मिल खेलें 
तब किस्मत भी 
आकर बने सहेली 

नमन करो 
भू को, माता को 
जो यादें तहती है 

चहक रही 
चंपा पर चिड़िया 
शुभ प्रभात कहती है 

***

शनिवार, 12 जनवरी 2013

बाल गीत : रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया संजीव 'सलिल'



> बाल गीत :
> रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया
> संजीव 'सलिल'
> *
> रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया, आती है हँस नमन करो.
> जो कुछ अच्छा दिखे तुम्हें, वह जीवन-पाथेय वरो..
>
> जल्दी उठ व्यायाम करो, स्नान करो फिर ध्यान धरो.
शीश झुका, आशीष मिले, पा जीवन को चमन करो..
>
> सीखो मुश्किल से लड़ना, फूल-फलो हो विनत झरो.
> सरहद पर दुश्मन आए, पाठ पढ़ाओ नहीं डरो..
>
> भेद-भाव को दूर करो, सबमें समता भाव भरो.
> निर्बल का बल बनना है,
>
> अच्छा दिखे न जो- छोड़ो, पीर किसी की 'सलिल' हरो.
> मलिन न हो धरती माता, पर्यावरण सफाई करो..
>
> ****
>
>
> Sanjiv verma 'Salil'
> salil.sanjiv@gmail.com
> http://divyanarmada.blogspot.com

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

बाल गीत: चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना -संजीव 'सलिल'

बाल गीत
चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना
संजीव 'सलिल'
*

*
चूँ-चूँ चिड़िया चुन दाना.
मुझे सुना मीठा गाना..

तुझको मित्र  बनाऊँगा
मैंने मन में है ठाना..

कौन-कौन तेरे घर में
मम्मी, पापा या नाना?

क्या तुझको भी पड़ता है
पढ़ने को शाला जाना?

दाल-भात है गरम-गरम
जितना मन-मर्जी खाना..

मुझे पूछना एक सवाल
जल्दी उत्तर बतलाना..

एक सरीखी चिड़ियों में
माँ को कैसे पहचाना?

सावधान रह इंसां से.
बातों में मत आ जाना..

जब हो तेरा जन्मदिवस
मुझे निमंत्रण भिजवाना..

अपनी गर्ल फ्रेंड से भी
मेरा परिचय करवाना..

बातें हमने बहुत करीं
चल अब तो चुग ले दाना..
****
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

नवगीत: समाचार है... संजीव 'सलिल'

नवगीत:                                                                                          
समाचार है...                                                                     
संजीव 'सलिल'
*
बैठ मुड़ेरे चिड़िया चहके'
समाचार है.
सोप-क्रीम से जवां दिख रही
दुष्प्रचार है...
*
बिन खोले- अख़बार जान लो,
कुछ अच्छा, कुछ बुरा मान लो.
फर्ज़ भुला, अधिकार माँगना-
यदि न मिले तो जिद्द ठान लो..

मुख्य शीर्षक अनाचार है.
और दूसरा दुराचार है.
सफे-सफे पर कदाचार है-
बना हाशिया सदाचार है....

पैठ घरों में टी. वी. दहके
मन निसार है...
*
अब भी धूप खिल रही उज्जवल.
श्यामल बादल, बरखा निर्मल.
वनचर-नभचर करते क्रंदन-
रोते पर्वत, सिसके जंगल..

घर-घर में फैला बजार है.
अवगुन का गाहक हजार है.
नहीं सत्य का चाहक कोई-
श्रम सिक्के का बिका चार है..

मस्ती, मौज-मजे का वाहक
असरदार है...
*
लाज-हया अब तलक लेश है.
चुका नहीं सब, बहुत शेष है.
मत निराश हो बढ़े चलो रे-
कोशिश अब करनी विशेष है..

अलस्सुबह शीतल बयार है.
खिलता मनहर हरसिंगार है.
मन दर्पण की धूल हटायें-
चेहरे-चेहरे पर निखार है..

एक साथ मिल मुष्टि बाँधकर
संकल्पित करना प्रहार है...
*