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गुरुवार, 1 जनवरी 2015

navgeet 2015

प्रथम नवगीत २०१५
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हे साल नये!
मेहनत के रच दे गान नये
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सूरज ऊगे
सब तम पीकर खुद ही डूबे
शाम हँसे, हो 
गगन सुनहरा, शशि ऊगे
भूचाल नये
थक-हार विफल तूफ़ान नये
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सामर्थ्य परख  
बाधा-मुश्किल वरदान बने  
न्यूनता दूर कर  
दृष्टि उठे या भृकुटि तने  
वाचाल न हो 
पुरुषार्थ गढ़े प्रतिमान नये 
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कंकर शंकर 
प्रलयंकर, बन नटराज नचे
अमृत दे सबको
पल में सारा ज़हर पचे
आँसू पोंछे
दस दिश गुंजित हों  गान नये
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१-१-२०१५, ०१.१०