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मंगलवार, 6 अगस्त 2019

बाल गीत: बरसे पानी

बाल गीत:
बरसे पानी
संजीव 'सलिल'
*
रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.
बड़े नासमझ कहते हमसे
मत भीगो यह है नादानी.
वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.
छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.
कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.
काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.
'सलिल' बालपन फिर मिल पाये.
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
*

रविवार, 17 दिसंबर 2017

bal geet

बाल गीत   
सूरज
------
आर्युष के घर आया सूरज
आर्यन के मन भाया सूरज 
*
सुबह हुई जग जाओ भाई
पापा सा  मुस्काया सूरज 
*
मम्मी धूप उठाती जल्दी
ब्रश कर, खूब नहाया सूरज 
*
आसमान पर बादल के संग 
खेल-कूद इठलाया सूरज 
*
करे प्रार्थना हाथ जोड़कर 
पहला नंबर आया सूरज 
*** 

सोमवार, 3 नवंबर 2014

bal kavita:

काव्य सलिला:

बाल कविता


हम बच्चे हैं मन के सच्चे सबने हमें दुलारा है 
देश और परिवार हमें भी सचमुच लगता प्यारा है 

अ आ इ ई, क ख ग संग ए बी सी हम सीखेंगे 
भरा संस्कृत में पुरखों ने ज्ञान हमें उपकारा है 

वीणापाणी की उपासना श्री गणेश का ध्यान करें 
भारत माँ की करें आरती, यह सौभाग्य हमारा है 

साफ-सफाई, पौधरोपण करें, घटायें शोर-धुआं 
सच्चाई के पथ पग रख बढ़ना हमने स्वीकारा है 

सद्गुण शिक्षा कला समझदारी का सतत विकास करें 
गढ़ना है भविष्य मिल-जुलकर यही हमारा नारा है 


***

शनिवार, 25 अक्टूबर 2014

bal geet: chidiya

बाल गीत : 

चिड़िया

Bird illustration print - Magnolia branch
 
*
चहक रही 
चंपा पर चिड़िया 
शुभ प्रभात कहती है 

आनंदित हो 
झूम रही है 
हवा मंद बहती है 

कहती: 'बच्चों!
पानी सींचो,
पौधे लगा-बचाओ

बन जाएँ जब वृक्ष 
छाँह में 
उनकी खेल रचाओ 

तुम्हें सुनाऊँगी 
मैं गाकर  
लोरी, आल्हा, कजरी

कहना राधा से 
बन कान्हा 
'सखी रूठ मत सज री' 

टीप रेस, 
कन्ना गोटी,
पिट्टू या बूझ पहेली 

हिल-मिल खेलें 
तब किस्मत भी 
आकर बने सहेली 

नमन करो 
भू को, माता को 
जो यादें तहती है 

चहक रही 
चंपा पर चिड़िया 
शुभ प्रभात कहती है 

***

शनिवार, 11 अक्टूबर 2014

navgeet:

नवगीत

बचपन का
अधिकार
उसे दो

याद करो
बीते दिन अपने
देखे सुंदर
मीठे सपने
तनिक न भाये
बेढब नपने

अब अपना
स्वीकार
उसे दो

पानी-लहरें
हवा-उड़ानें
इमली-अमिया
तितली-भँवरे
कुछ नटखटपन
कुछ शरारतें

देखो हँस
मनुहार
उसे दो

इसकी मुट्ठी में
तक़दीरें
यह पल भर में
हरता पीरें
गढ़ता पल-पल
नई नज़ीरें

आओ!
नवल निखार
इसे दो

*** 

बुधवार, 10 अप्रैल 2013

bal geet kumar gaurav ajitendu

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मत्तगयन्द सवैया

कौन यहाँ सबसे बलवाला



बात चली जब जंगल में - पशु कौन यहाँ सबसे बलवाला।
सूँड़ उठा गजराज कहे - सब मूरख मैं दम से मतवाला।
तो वनराज दहाड़ पड़े - बकवास नहीं बस मैं रखवाला।
बंदर पेड़ चढ़ा हँसते - मुझसे टकरा कर दूँ मुँह काला॥
लोमड़, गीदड़ और सियार सभी झपटे - रुक जा सुन थोड़ा।
नाम गधा अपना यदि आज तुझे हमने जम के नहिं तोड़ा।
देख हुआ अपमान गधा पिनका निकला झट से धर कोड़ा।
भाल, जिराफ कुते उलझे दुलती जड़ भाग गया हिनु घोड़ा॥
गैंडु प्रसाद चिढ़े फुँफु साँप बढ़ा डसने विषदंत दिखाते।
मोल, हिपो उछले हिरणों पर भैंस खड़ी खुर-सींग नचाते।
ऊँट बिलाव कहाँ चुप थे टकराकर बाघ गिरे बलखाते।
बैल कँगारु भिड़े चुटकी चुहिया बिल में छुप ली घबराते॥
पालक, गाजर ले तब ही छुटकू खरहा घर वापस आया।
पा लड़ते सबको, छुटकू अपने मन में बहुते घबराया।
बात सही बतला सबने उसको अपना सरपंच बनाया।
एक रहो इसमें बल है कह के उसने झगड़ा सुलझाया॥

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

बाल गीत: लंगडी खेलें..... संजीव 'सलिल'

बाल गीत:

लंगडी खेलें.....
संजीव 'सलिल'
*
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*************
  Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com

शनिवार, 12 जनवरी 2013

बाल गीत : रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया संजीव 'सलिल'



> बाल गीत :
> रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया
> संजीव 'सलिल'
> *
> रोज सुबह चूँ-चूँ चिड़िया, आती है हँस नमन करो.
> जो कुछ अच्छा दिखे तुम्हें, वह जीवन-पाथेय वरो..
>
> जल्दी उठ व्यायाम करो, स्नान करो फिर ध्यान धरो.
शीश झुका, आशीष मिले, पा जीवन को चमन करो..
>
> सीखो मुश्किल से लड़ना, फूल-फलो हो विनत झरो.
> सरहद पर दुश्मन आए, पाठ पढ़ाओ नहीं डरो..
>
> भेद-भाव को दूर करो, सबमें समता भाव भरो.
> निर्बल का बल बनना है,
>
> अच्छा दिखे न जो- छोड़ो, पीर किसी की 'सलिल' हरो.
> मलिन न हो धरती माता, पर्यावरण सफाई करो..
>
> ****
>
>
> Sanjiv verma 'Salil'
> salil.sanjiv@gmail.com
> http://divyanarmada.blogspot.com

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

बाल गीत: चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना -संजीव 'सलिल'

बाल गीत
चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना
संजीव 'सलिल'
*

*
चूँ-चूँ चिड़िया चुन दाना.
मुझे सुना मीठा गाना..

तुझको मित्र  बनाऊँगा
मैंने मन में है ठाना..

कौन-कौन तेरे घर में
मम्मी, पापा या नाना?

क्या तुझको भी पड़ता है
पढ़ने को शाला जाना?

दाल-भात है गरम-गरम
जितना मन-मर्जी खाना..

मुझे पूछना एक सवाल
जल्दी उत्तर बतलाना..

एक सरीखी चिड़ियों में
माँ को कैसे पहचाना?

सावधान रह इंसां से.
बातों में मत आ जाना..

जब हो तेरा जन्मदिवस
मुझे निमंत्रण भिजवाना..

अपनी गर्ल फ्रेंड से भी
मेरा परिचय करवाना..

बातें हमने बहुत करीं
चल अब तो चुग ले दाना..
****
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com

बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

बाल गीत: आओ मिलकर संजीव 'सलिल'

बाल गीत:
आओ मिलकर
संजीव 'सलिल'
*




आओ मिलकर खेलें हम।
सुख-दुःख हँसकर झेलें हम।।

कदम ताल कर साथ चलें। हाथ-हाथ में ले लें हम।।

धूप-छाँव से क्या डरना?
तम को दूर ढकेलें हम।।

मतभेदों को भुला सकें।
झगड़े-झंझट ठेलें हम।।

संकट में मिल साथ रहें।
मात शत्रु को दे लें हम।।

श्रम-चूल्हा, कोशिश आटा,
मंजिल रोटी बेलें हम।।

बाधाओं की छाती में
शूल ऐक्य का पेलें हम।।

*****




बुधवार, 1 अगस्त 2012

बाल गीत: आओ नाचो... --संजीव 'सलिल'

बाल गीत:

आओ नाचो...


संजीव 'सलिल'
*


आओ नाचो हिलमिलकर.
जीवन जीना खिलखिलकर..
*


झरने की मानिंद बहो.
पर्वत से भी कलकलकर..
*


कोशिश के आकाश में 
तारा बनना झिलमिलकर..
*


जाग जगाओ औरों को
रचो नया नित हलचलकर..
*


पग मंजिल छू पाते हैं
राहों पर चल छिलछिलकर..
*


अवसर चूक नहीं जाना
मत पछता कर मलमलकर..
*


पल से बाधा हटे नहीं
'सलिल' हटा दे तिल-तिलकर..
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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http://hindihindi.in



मंगलवार, 31 जुलाई 2012

बाल गीत: बरसे पानी -- संजीव 'सलिल'

बाल गीत:

बरसे पानी



संजीव 'सलिल'
*



रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.



बड़े नासमझ कहते हमसे
मत भीगो यह है नादानी.



वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.



छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.



कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.



काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.



'सलिल' बालपन फिर मिल पाये.
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
*



Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



मंगलवार, 17 जुलाई 2012

बाल गीत चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना --संजीव 'सलिल'

बाल गीत
चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना
संजीव 'सलिल'
*

*
चूँ-चूँ चिड़िया चुन दाना.
मुझे सुना मीठा गाना..

तुझको मित्र  बनाऊँगा
मैंने मन में है ठाना..

कौन-कौन तेरे घर में
मम्मी, पापा या नाना?

क्या तुझको भी पड़ता है
पढ़ने को शाला जाना?

दाल-भात है गरम-गरम
जितना मन-मर्जी खाना..

मुझे पूछना एक सवाल
जल्दी उत्तर बतलाना..

एक सरीखी चिड़ियों में
माँ को कैसे पहचाना?

सावधान रह इंसां से.
बातों में मत आ जाना..

जब हो तेरा जन्मदिवस
मुझे निमंत्रण भिजवाना..

अपनी गर्ल फ्रेंड से भी
मेरा परिचय करवाना..

बातें हमने बहुत करीं
चल अब तो चुग ले दाना..
****

रविवार, 17 जून 2012

बाल गीत: पाखी की बिल्ली --संजीव 'सलिल'

बाल गीत:
पाखी की बिल्ली
संजीव 'सलिल'
*

 
 




*
पाखी ने बिल्ली पाली.
सौंपी घर की रखवाली..

फिर पाखी बाज़ार गयी.
लाये किताबें नयी-नयी



तनिक देर जागी बिल्ली.
हुई तबीयत फिर ढिल्ली..

लगी ऊंघने फिर सोयी.
सुख सपनों में थी खोयी..



मिट्ठू ने अवसर पाया.
गेंद उठाकर ले आया..

गेंद नचाना मन भाया.
निज करतब पर इठलाया..



घर में चूहा आया एक.
नहीं इरादे उसके नेक..

चुरा मिठाई खाऊँगा. 
ऊधम खूब मचाऊँगा..



आहट सुन बिल्ली जागी.
चूहे के पीछे भागी..

झट चूहे को जा पकड़ा.
भागा चूहा दे झटका..



बिल्ली खीझी, खिसियाई.
मन ही मन में पछताई..




अगर न दिन में सो जाती.
खो अवसर ना पछताती.

******

रविवार, 10 जून 2012

बाल गीत: लंगडी खेलें..... --आचार्य संजीव 'सलिल'

*
बाल गीत:

लंगडी खेलें.....

आचार्य संजीव 'सलिल'
*



*
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*



आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*



हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*************

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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रविवार, 3 जून 2012

बाल गीत चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना ---संजीव 'सलिल'

बाल गीत
चूँ चूँ चिड़िया चुन दाना
संजीव 'सलिल'
*

*
चूँ-चूँ चिड़िया चुन दाना.
मुझे सुना मीठा गाना..

तुझको मित्र  बनाऊँगा
मैंने मन में है ठाना..

कौन-कौन तेरे घर में
मम्मी, पापा या नाना?

क्या तुझको भी पड़ता है
पढ़ने को शाला जाना?

दाल-भात है गरम-गरम
जितना मन-मर्जी खाना..

मुझे पूछना एक सवाल
जल्दी उत्तर बतलाना..

एक सरीखी चिड़ियों में
माँ को कैसे पहचाना?

सावधान रह इंसां से.
बातों में मत आ जाना..

जब हो तेरा जन्मदिवस
मुझे निमंत्रण भिजवाना..

अपनी गर्ल फ्रेंड से भी
मेरा परिचय करवाना..

बातें हमने बहुत करीं
चल अब तो चुग ले दाना..
****
Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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शनिवार, 6 अगस्त 2011

बाल गीत: बरसे पानी --- संजीव 'सलिल'

बाल गीत:                                                                    0511-1103-0713-4707_Kids_Playing_in_the_Rain_clipart_image.jpg
बरसे पानी
संजीव 'सलिल'
*
रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.

बड़े नासमझ कहते हमसे
मत भीगो यह है नादानी.

वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.

छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.

कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.

काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.

'सलिल' बालपन फिर मिल पाये.
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
*

सोमवार, 25 जुलाई 2011

बाल कविता: मेरी माता! --संजीव 'सलिल'

बाल कविता: मेरी माता! --संजीव 'सलिल'

मेरी मैया!, मेरी माता!!

किसने मुझको जन्म दिया है?
प्राणों से बढ़ प्यार किया है.
किसकी आँखों का मैं तारा?
किसने पल-पल मुझे जिया है?

किसने बरसों दूध पिलाया?
निर्बल से बलवान बनाया.
खुद का वत्स रखा भूखा पर-
मुझको भूखा नहीं सुलाया.
वह गौ माता!, मेरी माता!!
*
किसकी गोदी में मैं खेला?
किसने मेरा सब दुःख झेला?
गिरा-उठाया, लाड़ लड़ाया.
हाथ पकड़ चलना सिखलाया.
भारत माता!, मेरी माता!!

किसने मुझको बोल दिये हैं?
जीवन के पट खोल दिये हैं.
किसके बिन मैं रहता गूंगा?
शब्द मुझे अनमोल दिये हैं.
हिंदी माता!, मेरी माता!!
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

आर्यव के लिए -- संजीव 'सलिल'

आर्यव के लिए

संजीव 'सलिल'
*
है फूलों सा कोमल बच्चा, आर्यव इसका नाम.
माँ की आँखों का तारा है, यह नन्हा गुलफाम..

स्वागत करो सभी जन मिलकर नाचो झूमो गाओ
इस धरती पर लेकर आया खुशियों का पैगाम.

उड़नतश्तरी के कंधे पर बैठ करेगा सैर.
इसकी सेवा से ज्यादा कुछ नहीं जरूरी काम..

जिसने इसकी बात न मानी उस पर कर दे सुस्सू.
जिससे खुश उसके संग घूमे गुपचुप उँगली थाम..

'सलिल' विश्व मानव यह सच्चा, बच्चा प्रतिभा पुंज.
बब्बा सिर्फ समीर उठे यह बन तूफ़ान ललाम..

************************

रविवार, 27 मार्च 2011

बाल गीत: लंगडी खेलें..... संजीव 'सलिल'

*
बाल गीत:                                                 

लंगडी खेलें.....

संजीव 'सलिल'
*
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....*
हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*************